विश्व बाल श्रम निषेध दिवस: आखिर क्यों खत्म नहीं हो रही समस्या, दुनिया में 16 करोड़ हो चुकी है बाल श्रमिकों की संख्या
By रमेश ठाकुर | Published: June 12, 2023 01:06 PM2023-06-12T13:06:49+5:302023-06-12T13:07:27+5:30
बाल-श्रम को पूरी तरह समाप्त करने के उद्देश्य से हर साल 12 जून को बाल-श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है लेकिन चिंता की बात है कि यह समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. गरीबी बाल-श्रम की सबसे बड़ी वजह है जो बच्चों को अपनी पढ़ाई-लिखाई और स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़कर अपनी आजीविका के लिए काम करने को मजबूर कर देती है. इसके अलावा, कुछ संगठित अपराधी गिरोह भी बाल-श्रम के लिए बच्चों को मजबूर करते हैं.
देश में लाखों बच्चे ऐसे हैं जो किसी न किसी किस्म की मजबूरियों के चलते अपनी पढ़ाई-लिखाई बीच में ही छोड़कर बाल मजदूरी में लगे हुए हैं. ये तब है, जब सरकारी और सामाजिक स्तर पर इसे रोकने के प्रयास हो रहे हैं. यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट की मानें तो हिंदुस्तान में कुछ राज्य ऐसे हैं जहां ये आंकड़ा कोरोना महामारी के थमने के बाद बहुत तेजी से बढ़ा. इनमें मुख्यत: झारखंड़, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल व असम का समावेश है.
केंद्रीय संस्था ‘राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास संस्थान’ जो केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन है, में पिछले पांच वर्षों से बतौर सदस्य मैंने खुद कड़वा अनुभव किया है कि प्रदेश स्तर पर बालश्रम रुकवाने के कार्य होते तो हैं, लेकिन जिस तत्परता से होने चाहिए, वैसे नहीं. केंद्र की कई योजनाएं इस क्षेत्र में चल रही हैं लेकिन प्रशासनिक स्तर पर घोर उदासीनता देखने को मिलती है. यूनिसेफ और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ की ताजा रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर अब करीब 16 करोड़ हो चुकी है.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और उसके अधीन सरकारी संस्थान ‘राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास विभाग’ पिछले कई वर्षों से बाल-श्रम रोकथाम की मुहिम में लगा है. सभी जिलों में जिलास्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें लोगों को जागरूक किया जाता है कि उन्हें कहीं पर भी कोई बच्चा मजदूरी करता दिखे तो तुरंत रिपोर्ट करें.