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अमेरिका की तरह हम क्यों नहीं निकालते घुसपैठियों को?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 20, 2025 06:44 IST

हमें अमेरिका से सीख लेनी चाहिए जिसने अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर उनके देश वापस भेजा.

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प्रदेश के गृह राज्यमंत्री योगेश कदम का यह कहना कि 90 प्रतिशत बांग्लादेशी घुसपैठिए पश्चिम बंगाल से आते हैं, एक कड़वी सच्चई है. बांग्लादेशी घुसपैठियों की बड़ी फौज भारत में खुलेआम रह रही है और पता नहीं क्यों, सरकार कुछ खास कार्रवाई नहीं कर रही बल्कि कुछ लोग राजनीतिक फायदे के लिए घुसपैठियों को प्रश्रय भी दे रहे हैं.

कितने घुसपैठिए भारत में रह रहे हैं, इसका आंकड़ा बता पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है क्योंकि बहुतों ने राशन कार्ड, आधार कार्ड बनवा लिए हैं. यहां तक कि अपना नाम भी बदल लिया है. हाल ही में जिस बांग्लादेशी घुसपैठिए शरीफुल इस्लाम शहजाद ने अभिनेता सैफ अली खान के घर में घुसकर उन पर हमला किया था वह बिजॉय दास के नाम से मुंबई में रह रहा था.

पुलिस ने मोहिनी नाम की एक महिला को पकड़ा लेकिन जांच-पड़ताल में पता चला कि वह तो बांग्लादेश की कुलसुम शेख है जो वर्षों से नाम बदल कर मुंबई में रह रही थी. खुद को हिंदू बता अपनी वास्तविक पहचान छिपाने वाले बांग्लादेशी न केवल मुंबई बल्कि कई राज्यों में पकड़े जा चुके हैं.

इनकी संख्या कितनी है, यह अब तक सुनिश्चित नहीं है. वर्ष 2007 में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संसद में बताया था कि देश में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या एक करोड़ बीस लाख के आसपास है. बाद में उन्होंने इस आंकड़े को यह कहकर वापस ले लिया था कि यह आंकड़ा ठीक नहीं है.

सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिंदर सिंह ने 2014 में कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या करीब पांच करोड़ है लेकिन इस आंकड़े को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. लेकिन इतना तय है कि प. बंगाल घुसपैठियों की शरणगाह बना हुआ है. सबसे ज्यादा घुसपैठिए वहीं हैं. इसका कारण उन्हें राजनीतिक संरक्षण है. एक पूरा नेक्सस काम करता है जो उन्हें आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड तक फर्जी तरीके से उपलब्ध करा देता है. जिस स्तर पर घुसपैठियों की जांच-पड़ताल होनी चाहिए, वह नहीं हो रही है.

असम में भी बांग्लादेशी घुसपैठिए काफी संख्या में हैं लेकिन वहां बड़े पैमाने पर धड़पकड़ हुई है. यदि आप भारत और बांग्लादेश का नक्शा देखें तो भारत के पांच राज्यों प. बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के साथ बांग्लादेश की सीमा लगती है.

त्रिपुरा तो तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा है. पाकिस्तान की क्रूरता के कारण भारत आने वाले बांग्लादेशियों की बात पुरानी पड़ चुकी है. उसके बाद भी लाखों की संख्या में चोरी-छिपे बांग्लादेशी भारत में आते रहे हैं क्योंकि सीमा अब भी खुली पड़ी है. और बड़ी आसानी से गुम भी होते रहे हैं क्योंकि उन्हें वोट में बदलने वाली ताकतें यहां मौजूद हैं. यहां तक कि जो लोग बांग्लादेशी पासपोर्ट पर भारत आए, उनमें से बहुत सारे लोग गायब हैं.

सीधा मतलब है कि भारत में वे कहीं छिप गए हैं. अब तो रोहिंग्या भी बड़ी संख्या में भारत में पहुंच चुके हैं. दुर्भाग्य यह है कि हमारी सरकार इस मामले में सख्ती से नहीं निपट रही. हमें अमेरिका से सीख लेनी चाहिए जिसने अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर उनके देश वापस भेजा. निश्चित ही एक बड़ी मुहिम की जरूरत है और ऐसी मुहिम के लिए संकल्पशक्ति की भी जरूरत पड़ेगी अन्यथा घुसपैठियों से हम कभी मुक्ति नहीं पा सकेंगे.

टॅग्स :RohingyaभारतIndiaPolice
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