ब्लॉग: कानून हाथ में लेने वालों को मिले कड़ी सजा
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: May 29, 2024 11:01 IST2024-05-29T11:00:07+5:302024-05-29T11:01:50+5:30
पुलिस ने सोमवार को दावा किया कि 17 वर्षीय किशोर के रक्त के नमूनों(ब्लड सैंपल) को उसके पिता के कहने पर सरकारी ससून अस्पताल के चिकित्सकों ने कूड़ेदान में फेंक दिया था और किसी अन्य व्यक्ति के नमूनों को लड़के के रक्त का नमूना बताने की कोशिश की गई।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
पुणे के हाई प्रोफाइल पोर्श हादसा मामले में हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं। पहले तो गिरफ्तारी होने के बाद, नाबालिग होने के नाम पर रईसजादे अभियुक्त तो ताबड़तोड़ जमानत मिल गई, राजनीतिक दबाव में आरोपी को बचाने की कोशिशें की गईं, जांच में लापरवाही बरतने वाले दो पुलिसकर्मियों को सीपी ने निलंबित भी किया, अभियुक्त के दादा ने ड्राइवर को बंधक बनाकर उसे इल्जाम अपने सिर पर लेने के लिए मनाने की कोशिश की और अब सामने आ रहा है कि आरोपी को बचाने के लिए डाॅक्टरों ने उसका ब्लड सैंपल तक बदल डाला था!
पुलिस ने सोमवार को दावा किया कि 17 वर्षीय किशोर के रक्त के नमूनों(ब्लड सैंपल) को उसके पिता के कहने पर सरकारी ससून अस्पताल के चिकित्सकों ने कूड़ेदान में फेंक दिया था और किसी अन्य व्यक्ति के नमूनों को लड़के के रक्त का नमूना बताने की कोशिश की गई। वह तो पुलिस ने सावधानी बरतते हुए किशोर के रक्त का एक अन्य नमूना पहले ही ले लिया था, जिसके कारण सच्चाई सामने आ सकी और आरोपी चिकित्सकों को गिरफ्तार किया जा सका। जरा सोचिए कि मामला अगर इतना हाई प्रोफाइल नहीं बन गया होता तो डरा-धमका कर और पैसों के बल पर अभियुक्त को किस तरह बेदाग बरी करवा लिया जाता!
अगर हादसा न हुआ होता तो बार और पब में नाबालिग को प्रवेश देने वालों का तो बाल भी बांका न होता! बिना रजिस्ट्रेशन के ही, बिना नंबर प्लेट वाली महंगी गाड़ी एक नाबालिग बिना ड्राइविंग लाइसेंस के सड़कों पर दौड़ा रहा था और संबंधित विभागों को कोई खबर ही नहीं थी! इस मामले में कदम-कदम पर कानून के इतनी बार धज्जियां उड़ाए जाने के खुलासे हो रहे हैं कि हैरानी की कोई सीमा नहीं है। पैसों के बल पर क्या कोई इस तरह पूरे सिस्टम को ही खरीदने की कोशिश कर सकता है?
नाबालिग अभियुक्त के दादा का अंडरवर्ल्ड से भी कनेक्शन होने की बात कही जा रही है। हो सकता है कि जिसे पैसों के जरिये न खरीदा जा सका हो, उसे अन्य तरीकों से भी डराया-धमकाया गया हो!
डर तो आम आदमी के मन में यह भी पैदा हो रहा है कि क्या पता इसी तरह पैसे और धमकी के बल पर अतीत में कितने ही मामले दबा दिए गए हों! इस विचार से ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है कि अपराधी कानून के लंबे हाथों को कितनी दूृर तक काबू में करने की कोशिश कर सकते हैं! निश्चित रूप से इस तरह के मामलों से इतनी सख्ती से निपटा जाना चाहिए कि फिर कोई ऐसी गुस्ताखी करने की कोशिश न कर सके और आम आदमी कानून के राज में निर्भय हो कर रह सके।