Blog: बदलती भावनाओं के साथ बदल जाता है आपका संगीत
By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: January 2, 2018 16:44 IST2018-01-02T16:12:57+5:302018-01-02T16:44:05+5:30
इंसान के जन्म से लेकर मौत के सफर के हर उतार चढ़ाव को गानों में सजाया गया है।

Blog: बदलती भावनाओं के साथ बदल जाता है आपका संगीत
बॉलीवुड गानों के बारे में जो कहा जाए कम है, ऐसा लगता है जिंदगी के हर पल को शब्दों में पिरो के पेश कर गानों के जरिए पेश कर दिया गया हो। इंसान के जन्म से लेकर मौत के सफर के हर उतार चढ़ाव को गानों में कुछ यूं सजाया गया है मानो जीवन में आने वाले हर हालात को संगीत ने पहले से ही हमारे गुनगुनाने के लिए पेश कर दिया हो।
कुछ यूं बदल जाता है संगीत
जब कोई दोस्त छोड़कर जाने वाला होता है तो दिल पहले ही गाने लगता है 'तू कल चला जाएगा'...', ऐ जाते हुए लम्हों जरा ठहरो...'। आंनदी बख्शी, गुलजार से लेकर आज के प्रसून जोशी तक सभी के शब्द दिल की वो बात कह जाते हैं जो हम कभी बोल नहीं पाते। 'चिट्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए' जब भी ये गाना हम सुनतें हैं तो कुछ अपने जो हमें छोड़कर बहुत दूर चले गए, उनकी यादें आंखों में पानी दे जाती हैं और किसी अपने के इस दुनिया से जाने के दर्द आखें बयां करने लगती हैं।
प्यार का अहसास दिला जाता है संगीत
इश्क में डूबे इंसान को जितनी जल्दी संगीत मोहित करता है उतनी जल्दी शायद किसी को नहीं करता होगा। जब भी किसी को पहली बार प्यार होता है तो कानों में एक ही गाना बजता है 'हो गया है तुझको प्यार'। इसे शब्दों का खेल कहें या फिर गीतकार की भावनाएं, जो भी हो लेकिन समय के साथ ये गाने खुद वा खुद दिमाग में आवारा बादलों की तरह घुमड़ने लग जाते हैं। शब्दों को गीतों में पिरोना लेखकों को तब से बखूबी आता है जब कहा जाता था कि 'प्यार से फिर क्यों डरता है दिल..., अरे ! क्या कहा जाए गीतकार की कलम का जिसने अगले ही पल दिमाग के लिए जवाब देने वाला गाना 'प्यार किया तो डरना क्या...' को प्रेमियों को जोश भरने के लिए पेश कर दिया।
90 के दशक सुनहारा संगीत
90 के दशक में गीतकारों का सुनहरा दौर कहा जाता है जिसमें एक से एक सुपरहिट गानों को पेश किया गया। जहां 'हम आपके हैं कौन' के गानों ने लोकप्रियता का रिकॉर्ड बनाया था तो वहीं, 'टिप टिप बरसा पानी' ने रवीना टंडन को नया मुकाम दिलाया। सावन से लेकर पतझड़ तक हर मौसम को गीतकारों ने जीवन का एक अहम हिस्सा सा बना दिया है। आज ऐसा हो गया है कि हर एक पल में अपनी परिस्थिति के अनुसार गाने गुनगुनाना आम बात हो गई है।
'वक्त ने किया क्या हसीं सितम हम रहे न हम', 'दिल क्या करे जब किसी से किसी को प्यार हो जाए' इनके शब्द प्यार और दुख दोनों की भावनाओं को पेश करने का जरिया बन रहा है। मां-बाप, भाई-बहन हर रिश्ते के अहसास को गानों में यूं बयां कर दिया है मानों इनको गुनगुनाए बिना इन रिश्तों को प्यार या गुस्सा झलकाना बेकार सा लगता हो। एक गीतकार का कहना है कि जब वह अपने गीतों का कलम से उतारते हैं उस समय वह खुद को उसका हिस्सा बना लेते हैं।
संगीत खो रहा है वो मुकाम
खैर हम आज ये भी कह सकते हैं कि जिस तरह से जिंदगी में हम भाग रहे हैं उसी तरह से भावनाओं को उजागर करने वाला संगीत भी कहीं विलुप्त सा हो रहा है। आज वो गानें कहीं खो रहे हैं जो इश्क में डूबा प्रेमी या वेबफाई में प्रेमिका गुनगुनाता था। लाउड म्यूजिक की भेट बॉलीलुड का दिल को सुकून देने वाला संगीत कहीं चला गया है।
खैर, जो भी हो अगर ये गीतकार अपनी रचना पेश करते तो हम जैसों का क्या होता जो हर वक्त अपनी बदलती परिस्थिति के अनुसार गानों को गुनगुनाएं बिना मानते ही नहीं।दौर बदले भावानएं बदली बस अगर कुछ साथ चला तो वो था संगीत, शायद ये संगीत नें गुनगुनाता होगा हम तो भाई जैसे हैं वैसे रहेंगे....।