वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: शिक्षा में हम अपने पड़ोसी देशों से भी है काफी पीछे, चिकित्सा की हालत भी है बहुत खस्ता
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 5, 2022 10:18 AM2022-11-05T10:18:59+5:302022-11-05T10:26:26+5:30
अगर हम शिक्षा के मामले में भारत की तुलना दक्षेस के अपने पड़ोसी सातों देशों से करें तो उक्त पैमाने पर वह अफगानिस्तान के सबसे करीब है लेकिन वह श्रीलंका, भूटान और पाकिस्तान से भी बहुत पिछड़ा हुआ है।
नई दिल्ली:भारत में शिक्षा की कितनी दुर्दशा है, इसका पता यूनेस्को की एक ताजा रपट से चल रहा है. 75 साल की आजादी के बावजूद एशिया के छोटे-मोटे देशों के मुकाबले भारत क्यों पिछड़ा हुआ है, इसका मूल कारण यह है कि हमारी सरकारों ने शिक्षा और चिकित्सा पर कभी समुचित ध्यान दिया ही नहीं.
इसीलिए देश के मुट्ठीभर लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं और निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवाते हैं. देश के 100 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के बच्चे उचित शिक्षा-दीक्षा से और वे लोग पर्याप्त चिकित्सा से वंचित रहते हैं.
73 प्रतिशत माता-पिता नहीं चाहते बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना-यूनेस्को
यूनेस्को ने भारत में खोज-पड़ताल करके बताया है कि देश के 73 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि वहां पढ़ाई का स्तर घटिया होता है. वहां से पढ़े हुए बच्चों को ऊंची नौकरियां नहीं मिलती हैं, क्योंकि उनका अंग्रेजी ज्ञान कमजोर होता है.
अंग्रेजी माध्यम से पढ़े बच्चों का क्या है भविष्य
हमारी सरकारों के निकम्मेपन के कारण आज तक सरकारी नौकरियों में अंग्रेजी अनिवार्य है. अंग्रेजी माध्यम से पढ़े हुए बच्चे बड़े होकर या तो सरकारी नौकरियां हथियाने या फिर अमेरिका और कनाडा भागने के लिए आतुर रहते हैं. गैर-सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की फीस 50-50 हजार रु. महीना तक है.
बिना शिक्षा भी जीते है कई लोग
देश के गरीब, ग्रामीण, पिछड़े और आदिवासी लोग समुचित शिक्षा और चिकित्सा के बिना ही अपना जीवन गुजारते रहते हैं. सरकारी स्कूल और अस्पताल भी उनकी सेवा सरल भाव से नहीं करते. देश के 90 प्रतिशत स्कूल फीस-वसूली के दम पर जिंदा रहते हैं. देश में 29600 स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें मान्यता प्राप्त नहीं है. 4 हजार से ज्यादा मदरसे भी इसी श्रेणी में आते हैं.
शिक्षा में भारत कहां खड़ा है
इन स्कूलों से निकलनेवाले छात्र क्या नए भारत के निर्माण में कोई उल्लेखनीय योगदान कर सकते हैं? यदि हम शिक्षा के मामले में भारत की तुलना दक्षेस के अपने पड़ोसी सातों देशों से करें तो उक्त पैमाने पर वह अफगानिस्तान के सबसे करीब है लेकिन वह श्रीलंका, भूटान और पाकिस्तान से भी बहुत पिछड़ा हुआ है. दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा राष्ट्र भारत है. प्राचीन भारत की शिक्षा-व्यवस्था जगप्रसिद्ध रही है, लेकिन आज क्या हालत है!