ब्लॉग: लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान जरूरी

By प्रवीण दीक्षित | Published: April 6, 2024 09:51 AM2024-04-06T09:51:30+5:302024-04-06T09:53:46+5:30

वोट न देने या वोट के प्रति उदासीनता की कीमत विनाशकारी है और हम अपनी स्वतंत्रता को एक बार फिर खोने का जोखिम नहीं उठा सकते.

Voting is necessary to strengthen democracy | ब्लॉग: लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान जरूरी

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlights भारत 1947 में एक स्वतंत्र देश बनने में सफल हुआअब हम उसी का अमृत काल मना रहे हैंपढ़े-लिखे लोगों में इतनी उदासीनता है कि मतदान 50 प्रतिशत के आसपास है

ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति पाने के लिए लंबे संघर्ष के बाद, भारत 1947 में एक स्वतंत्र देश बनने में सफल हुआ और अब हम उसी का अमृत काल मना रहे हैं. हमें स्वतंत्रता क्यों चाहिए थी? स्वतंत्रता हमारे प्रतिनिधियों को चुनने के लिए आवश्यक है जो हमारी आकांक्षाओं पर विचार करें और हम में से प्रत्येक को अपने सपनों को साकार करने और दुनिया में आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखने का अवसर प्रदान करें.

उस समय ऐसे कई देश थे, जिन्होंने केवल पुरुषों को ही वोट देने का अधिकार दिया था. कई ऐसे भी थे, जिन्होंने केवल करदाताओं को ही वोट देने का अधिकार देना उचित समझा. ऐसे सभी अल्पकालिक भेदभावों को त्यागते हुए, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान के निर्माताओं ने संविधान लागू होने के समय से ही सार्वभौमिक मताधिकार को सख्ती से लागू किया. आज भी, अगर हम अपने पड़ोसी देशों पर नजर डालें तो वहां कई वर्ग अपने शासकों को चुनने के लिए वोट के अधिकार से वंचित हैं. 

ये सभी देश भारत की ओर देखते हैं और भारतीय चुनावों से प्रेरणा लेते हैं. सदियों से, भारत में ‘जनपद’ की प्रथा थी, जहां लोग अपने शासकों को चुनते थे. इस प्रकार, लोकतांत्रिक शासन भारतीय लोकाचार का अभिन्न अंग है. संविधान निर्माताओं को इस बात का पूरा भरोसा था कि जनता अपने प्रतिनिधियों को सही ढंग से चुनने के लिए जागरूक है. पिछले पचहत्तर सालों ने बार-बार यह साबित किया है कि लोगों को पता है कि किसे चुनना है. 

दरअसल, ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने में कहीं ज्यादा मुखर हैं. मुझे याद है, मैं 1989 में लेह, लद्दाख में तैनात था और तब वहां संसदीय चुनाव थे. दूर-दूर से आए ग्रामीण लोग सुबह होते ही अपने पारंपरिक परिधानों में बूथों के सामने कतार में खड़े हो गए थे. इनमें महिलाओं के साथ-साथ बुजुर्ग भी थे. मतदान का प्रतिशत 96 प्रतिशत को पार कर गया. दूसरी ओर, तथाकथित विकसित और शहरी इलाकों में पढ़े-लिखे लोगों में इतनी उदासीनता है कि मतदान 50 प्रतिशत के आसपास है.

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सभी लोगों से मेरी विनम्र अपील है कि वे अपने वोट के अधिकार को सुनिश्चित करें. इससे ही वे आने वाले दिनों में अपने सपनों को साकार कर सकेंगे. वोट न देने या वोट के प्रति उदासीनता की कीमत विनाशकारी है और हम अपनी स्वतंत्रता को एक बार फिर खोने का जोखिम नहीं उठा सकते.

Web Title: Voting is necessary to strengthen democracy

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