विश्वकर्मा योजनाः परंपरागत कारीगरों को बड़ा हौसला देने वाली योजना

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 17, 2023 09:31 IST2023-08-17T09:30:40+5:302023-08-17T09:31:53+5:30

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस योजना की घोषणा की। योजना के तहत बुनकरों, स्वर्णकारों, लुहारों, कपड़े धोने वाले लांड्री कर्मियों तथा बाल काटने का पेशा करनेवाले समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन अपने हुनर में माहिर लोगों की जिंदगी की दिशा बदल जाएगी। योजना के तहत पांच प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर इन लोगों को एक से दो लाख तक का कर्ज मिलेगा। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में ऐसे कारीगरों की संख्या तीस लाख है।

Vishwakarma Shram Yojana giving great encouragement to traditional artisans | विश्वकर्मा योजनाः परंपरागत कारीगरों को बड़ा हौसला देने वाली योजना

विश्वकर्मा योजनाः परंपरागत कारीगरों को बड़ा हौसला देने वाली योजना


सरकार ने परंपरागत पेशे से जुड़े कारीगरों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए बुधवार को महत्वाकांक्षी विश्वकर्मा योजना लागू करने की घोषणा की। इस योजना के तहत कारीगरों को बहुत कम ब्याज पर एक से दो लाख रु। का कर्ज मिलेगा। यह वह वर्ग है जिसके बिना हमारी जिंदगी के रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने परंपरागत संबोधन में समाज के विभिन्न वर्गों के कल्याण से जुड़ी योजनाओं की घोषणा करते हैं। स्वच्छ भारत योजना, मेक इन इंडिया, आयुष्मान योजना, जनधन योजना, जल जीवन मिशन जैसी अनगिनत योजनाओ की घोषणा प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी लगातार दस वर्षों से कर रहे हैं। इन योजनाओं का लाभ समाज के छोटे से छोटे तबके को भी मिल रहा है। जिस मेक इन इंडिया की सफलता पर संदेह व्यक्त किया जा रहा था, वह आज विश्व स्तर पर विकासशील देशों के लिए एक मिसाल बन गई है। इसी तरह आयुष्मान योजना भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुकरणीय पहल के रूप में देखी जा रही है। 

इन्हीं योजनाओं की कड़ी में बुधवार को विश्वकर्मा योजना जुड़ गई जिससे करोड़ों छोटे कारीगरों का जीवन स्तर सुधारने और उन्हें अपने परंपरागत व्यवसाय का विस्तार करने में सहायता मिलेगी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस योजना की घोषणा की। योजना के तहत बुनकरों, स्वर्णकारों, लुहारों, कपड़े धोने वाले लांड्री कर्मियों तथा बाल काटने का पेशा करनेवाले समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन अपने हुनर में माहिर लोगों की जिंदगी की दिशा बदल जाएगी। योजना के तहत पांच प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर इन लोगों को एक से दो लाख तक का कर्ज मिलेगा। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में ऐसे कारीगरों की संख्या तीस लाख है। ये लोग फुटपाथों पर, सड़क के किनारे अपने घरों में या छोटी-मोटी दुकानें लगाकर अपना व्यवसाय करते हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान इन लोगों को कर्ज नहीं देते क्योंकि वे पहले यह देखते हैं कि कर्ज लेने वाले के पास उसे चुकाने की क्षमता है या नहीं या गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति है या नहीं। बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों की इस कड़ी शर्त की कसौटी पर यह वर्ग खरा नहीं उतरता। 

यह वह वर्ग है जिसकी कोई निश्चित आमदनी नहीं है। वह रोज कमाओ, रोज खाओ की श्रेणी में आता है। अपने पारंपरिक पेशे को बढ़ाने के लिए वह जिंदगी भर काम करने के बाद भी पर्याप्त आर्थिक संसाधन जुटा नहीं पाता। स्वर्णकार, लुहार, बढ़ई, बुनकर, कपड़े धोनेवाले, बाल काटने वाले उस वक्त से हमारे समाज का महत्वपूर्ण अंग हैं, जब से मनुष्य सभ्य बना। ये कुशल कारीगर भारतीय परिवारों के सदस्यों की तरह हुआ करते थे। भारतीय अर्थव्यवस्था में इनकी भूमिका मजबूत बुनियादी ढांचे की तरह है। इन कारीगरों के जरिये देश में प्रतिवर्ष 10 लाख करोड़ रु। से ज्यादा का कारोबार होता है। भारत में सदियों से कुटीर उद्योग अर्थव्यवस्था का सबसे मजबूत स्तंभ रहे हैं। सुतार, बढ़ई, लुहार, बुनकर, मूर्तिकार और औजार बनानेवाले कारीगर, दर्जी समेत विभिन्न क्षेत्रों में काम करनेवाले कारीगर कुटीर उद्योग के मजबूत जाल के शिल्पी रहे हैं। अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा करने के बाद कुटीर उद्योगों को तहस-नहस कर दिया। देश की आजादी के बाद अर्थव्यवस्था के विकास के लिए बड़े उद्योगों की स्थापना को ज्यादा प्रोत्साहन मिला। इससे छोटे स्तर पर चलने वाले परंपरागत व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए लेकिन वे पूरी तरह खत्म नहीं हुए क्योंकि ये कारीगर हमारे दैनंदिन जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए थे। आज भी गांवों, कस्बों तथा छोटे शहरों में इन कारीगरों के बल पर ही हमारे बहुत से महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हो सकते हैं। इन कारीगरों के पेशे में बड़ी कंपनियां उतर रही हैं लेकिन उनका पेशेवराना अंदाज सामान्य नागरिक को ज्यादा रास नहीं आता। धनाढ्य वर्ग ही इन कंपनियों की सेवा लेता है। मध्यम, निम्न मध्यम तथा गरीब तबका अपनी रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए छोटे स्तर पर काम करने वाले इन कारीगरों पर ही निर्भर है। मोदी सरकार की नई योजना इन कारीगरों की आकांक्षाओं को नई उड़ान भरने का हौसला प्रदान करेगी।

Web Title: Vishwakarma Shram Yojana giving great encouragement to traditional artisans

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