विष्णुगुप्त का ब्लॉग: चीन को क्यों खटकती है भारत-भूटान की दोस्ती?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 22, 2019 10:57 IST2019-08-22T10:57:19+5:302019-08-22T10:57:19+5:30

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान जाने और भूटान निवासियों के साथ वार्ता करने में गर्व महसूस क्यों करते हैं, भूटान नरेश को गणतंत्र दिवस पर अतिथि बना भारत अपने आप पर गर्व क्यों महसूस करता है? 

Vishnu Gupta's blog: Why India-Bhutan friendship beats China? | विष्णुगुप्त का ब्लॉग: चीन को क्यों खटकती है भारत-भूटान की दोस्ती?

विष्णुगुप्त का ब्लॉग: चीन को क्यों खटकती है भारत-भूटान की दोस्ती?

विष्णुगुप्त

भारत और भूटान के बीच बढ़ती दोस्ती पर दो महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े होते हैं. पहला प्रश्न यह कि भारत के लिए भूटान इतना महत्वपूर्ण क्यों है? कह सकते हैं कि भूटान तो एक छोटा सा देश है, जिसकी जनसंख्या बहुत ही सीमित है, जिसकी अर्थव्यवस्था भी कोई ध्यान खींचने वाली नहीं है, जिसकी सामरिक शक्ति भी सीमित है, छोटा देश होने और सामरिक शक्ति सीमित होने के कारण उसकी कूटनीतिक शक्ति भी उल्लेखनीय नहीं है फिर भी भारत हमेशा भूटान के साथ दोस्ती के लिए तत्पर क्यों रहता है?

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान जाने और भूटान निवासियों के साथ वार्ता करने में गर्व महसूस क्यों करते हैं, भूटान नरेश को गणतंत्र दिवस पर अतिथि बना भारत अपने आप पर गर्व क्यों महसूस करता है? 

दूसरा प्रश्न यह है कि चीन को भारत-भूटान की दोस्ती क्यों खटकती है, भारत और भूटान की दोस्ती से चीन के शासक क्यों खफा होते हैं, भूटान को नजदीक लाने और भूटान को भारत से दूर करने की चीनी कोशिशें क्यों नहीं सफल होती हैं, चीनी मीडिया भी भारत और भूटान की दोस्ती को लेकर अतिरंजित अफवाहें क्यों फैलाता रहता है? 

अभी-अभी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय भूटान की यात्रा पूरी हुई है, जहां पर नरेंद्र मोदी ने न केवल भूटान की राजसत्ता से वार्ता की है बल्कि भूटान की नई पीढ़ी को भी संबोधित किया है. भूटान की नई पीढ़ी को नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत की सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ भूटान के मेधावी छात्र उठा सकते हैं. भारत भूटान के मेधावी छात्रों को हर सुविधा देने के लिए तैयार है. नरेंद्र मोदी की इस यात्रा पर चीन का मीडिया कहता है कि भारत चीन की घेराबंदी कर रहा है, पड़ोसियों को चीन के खिलाफ भड़का रहा है.

वर्तमान भारतीय सरकार के एजेंडे में भूटान की जगह नंबर एक की है. नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में और फिर अपने दूसरे कार्यकाल में भूटान की यात्रा की है. चीनी कुदृष्टि से भूटान को बचाना भी भारत का कर्तव्य ही नहीं बल्कि भविष्य की जरूरत भी है. भूटान में राजशाही को समाप्त करने और माओवाद लाने की चीनी कुदृष्टि जारी है. नेपाल की तरह भूटान में भी माओवादियों को चीन स्थापित करना चाहता है.

अभी तक माओवाद लाने की कोशिश इसलिए विफल हुई है कि भूटान का नरेश जनपक्षीय रहा है. राजसत्ता जनविरोधी नहीं बल्कि जनपक्षीय रही है. नरेंद्र मोदी के शासन में पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत हुए हैं. भारत का दृष्टिकोण हमेशा पड़ोसी हित को लूटने का नहीं बल्कि पड़ोसी हित की रक्षा करने का है. इसी कारण आज बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और मालदीव हमारे अच्छे पड़ोसी और अच्छे मित्र हैं. 
 

Web Title: Vishnu Gupta's blog: Why India-Bhutan friendship beats China?

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