विजय दर्डा का ब्लॉग: ढेर सारी सफलताओं के बीच कुछ जरूरी सवाल

By विजय दर्डा | Published: January 26, 2020 05:29 AM2020-01-26T05:29:50+5:302020-01-26T05:29:50+5:30

मैं लंबे अरसे तक संसद में रहा हूं इसलिए सरकारी कामकाज के तरीके को अच्छी तरह से जानता हूं. नरेंद्र मोदी की कार्यशैली और उनकी कर्मनिष्ठा को लेकर किसी को कोई संदेह नहीं है लेकिन जिस सिस्टम के माध्यम से काम होता है वह चाहे तो सफलता का प्रतिशत ज्यादा हो सकता है.

Vijay Darda blog: Some important questions amidst many successes | विजय दर्डा का ब्लॉग: ढेर सारी सफलताओं के बीच कुछ जरूरी सवाल

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि हमारे देश ने बेपनाह तरक्की की है. हां हमारे सामने अभी भी बहुत सी चुनौतियां हैं लेकिन इससे सफलताओं के ग्राफ पर कोई ग्रहण नहीं लगता. 1947 में जब हम आजाद हुए थे तो हमारी साक्षरता दर केवल 12 प्रतिशत थी. जब हमने 26 जनवरी 1950 को पहला गणतंत्र दिवस मनाया तो हमारी साक्षरता दर करीब 18 प्रतिशत तक पहुंच चुकी थी. अनुमान है कि हमारी साक्षरता दर आज 80 प्रतिशत को पार कर चुकी है.

गणतंत्र दिवस के इस मौके पर मैं शिक्षा की बात इसलिए कर रहा हूूं क्योंकि राष्ट्र का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि उसके नागरिक कितने शिक्षित और कुशल हैं.

जब हम आजाद हुए थे तब हम इतना अन्न भी नहीं उपजा पाते थे कि देश का ठीक से पेट भर सके. हमारे पास हमारी जरूरत का सामान बनाने वाले बुनियादी कल-कारखाने भी नहीं थे. आज हम अपनी जरूरत का ज्यादातर सामान खुद बनाते हैं और बड़े पैमाने पर निर्यात भी करते हैं. तो जाहिर सी बात है कि विकास के पायदान पर हमारी रफ्तार को किसी भी सूरत में कम नहीं कहा जा सकता है. कई बार यह सवाल जरूर उठता है कि चीन हमारे बाद आजाद हुआ लेकिन उसने हमसे ज्यादा तरक्की की.

हमें यह समझने की जरूरत है कि चीन ने यह तरक्की अपने लोगों के बुनियादी हकों को कुचलकर की है. हमने लोकतंत्र के रास्ते पर चलकर तरक्की हासिल की है इसलिए हमें गर्व है. हमें गर्व है कि हमारे यहां किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कोई भी रहा हो, सबने देश के विकास में पूरी क्षमता के साथ योगदान दिया है. पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता.

हाल के कुछ आंकड़ों पर ही गौर कीजिए तो हमारी रफ्तार से दुनिया भौंचक है. नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 60 करोड़ लोगों के उपयोग के लिए 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बन गए. 2014 में 38.7 प्रतिशत लोगों के घर में शौचालय थे. अब करीब 98 प्रतिशत घरों में है. उज्‍जवला योजना के तहत केवल 4 साल की अवधि में 8 करोड़ गरीब महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन दे दिया गया. लकड़ी के धुएं से महिलाओं को मुक्ति मिल गई है और लकड़ी की बचत भी हो रही है.

इसमें कोई संदेह नहीं कि कृषि से लेकर अंतरिक्ष तक हमारी तूती बोल रही है. हमारे युवा अपनी क्षमता का लोहा पूरी दुनिया में मनवा रहे हैं.

लेकिन इन सबके बीच कुछ महत्वपूर्ण सवाल भी हैं जिन पर सोचना जरूरी है. ये वक्त यह सोचने का है कि हमारी जीडीपी की रफ्तार क्यों गिर रही है? उद्योग-धंधे क्यों मंदी महसूस कर रहे हैं? बाजार में खरीददार क्यों नहीं हैं? लोगों को क्यों लग रहा है कि बेरोजगारी बढ़ रही है? गरीब तबका और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार क्यों स्वयं को महंगाई से पिसा हुआ महसूस कर रहा है? देश का युवा वर्ग क्यों बेचैन है? किसान आत्महत्या क्यों नहीं रुक रही है? सरकारी शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाएं क्यों बदहाल हैं? सरकारी अस्पतालों की सूरत क्यों नहीं बदल रही है?

गरीब आदमी अपने बच्चे को कहां पढ़ाए और कहां शिक्षा दिलवाए? मुझे भरोसा है कि प्रधानमंत्री इन सवालों पर भी कुछ न कुछ कर रहे होंगे.

मैं लंबे अरसे तक संसद में रहा हूं इसलिए सरकारी कामकाज के तरीके को अच्छी तरह से जानता हूं. नरेंद्र मोदी की कार्यशैली और उनकी कर्मनिष्ठा को लेकर किसी को कोई संदेह नहीं है लेकिन जिस सिस्टम के माध्यम से काम होता है वह चाहे तो सफलता का प्रतिशत ज्यादा हो सकता है.

मैं जब दिल्ली में गणतंत्र दिवस या स्वतंत्र दिवस पर परेड देखता हूं तो सीना गर्व से फूल जाता है लेकिन मन में यह सवाल भी पैदा होता है कि आज भी हमारे देश में बहुत से लोग दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज क्यों हैं? लोग फुटपाथ पर क्यों सो रहे हैं? उनके पास अपना घर क्यों नहीं हैं? कुछ मुट्ठीभर लोगों के पास ही देश का ज्यादातर धन क्यों है? विचार इस पर भी होना चाहिए.

और हां, यह वक्त चुनौतियों से भरा हुआ है और ऐसे किसी मुद्दे को कतई नहीं छेड़ना चाहिए जो विवाद पैदा करे. देश के लिए जो अत्यंत जरूरी मुद्दे हैं, उन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. विचारधारा के मुद्दों को विराम दिया जा सकता है लेकिन देश के मुद्दों पर तत्काल एक्शन आवश्यक है. जो विवाद खड़े हो गए हैं, उनका भी शांतिपूर्ण समाधान बहुत जरूरी है.  

विकास की राह पर तभी आगे बढ़ पाएंगे जब शांति का वातावरण रहेगा. हम सभी का दायित्व है कि संविधान के दायरे में रहें और अपने गणतंत्र की पताका पूरी दुनिया में फैलाएं..! तो आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई और शुभकामनाएं! हम सब अच्छे नागरिक बनें, यही कामना है. खासतौर पर मैं अपने पुलिस बल, अर्धसैनिक बल और भारतीय सेना का अभिवादन करता हूं जो  साहस और समर्पण के साथ भारतीय गणतंत्र की रक्षा कर रहे हैं.  जय हिंद!

Web Title: Vijay Darda blog: Some important questions amidst many successes

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