विजय दर्डा का ब्लॉग: अपनी और दूसरों की जान की भी फिक्र कीजिए

By विजय दर्डा | Published: February 22, 2021 09:19 AM2021-02-22T09:19:32+5:302021-02-22T09:27:27+5:30

कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर जिस तरह से देश में बढ़ रहे हैं, उसने चिंता पैदा कर दी है। महाराष्ट्र के कई इलाकों में स्थिति ज्यादा विकट है।

Vijay Darda Blog: Coronavirus increasing cases, precautions and covid vaccination | विजय दर्डा का ब्लॉग: अपनी और दूसरों की जान की भी फिक्र कीजिए

कोरोना के बढ़ते मामले, हर किसी को एहतियात बरतने की जरूरत (फाइल फोटो)

Highlightsकोरोना के बढ़ने लगें हैं फिर से मामले, कर्नाटक और महाराष्ट्र में स्थिति लगातार खराब हो रही हैलोगों को लापरवाही से स्थिति ज्यादा विकट होती जा रही है, सख्ती से एहतियात को बरतने की जरूरतकोरोना का फैलाव ऐसे ही हुआ तो इससे सीधे-सीधे हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी

साल की शुरुआत में ऐसा लगा था कि कोरोना अब सिमट रहा है. संक्रमितों की संख्या तेजी से कम होने लगी थी और मौतों के आंकड़े में भी गिरावट आ रही थी लेकिन फरवरी का मध्य आते-आते देश के कई हिस्सों से कोरोना के फैलाव की खबरें फिर से आने लगीं. 

कर्नाटक और महाराष्ट्र में स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. महाराष्ट्र के अमरावती, वर्धा, यवतमाल, मुंबई के कुछ इलाकों, पुणे, अकोला और नागपुर में स्थिति ज्यादा विकट है. यदि कारणों की पड़ताल करें तो एक बात साफ समझ में आती है कि ये लोगों की लापरवाही ही है जो स्थिति को लगातार बिगाड़ रही है.

यदि मैं अपने राज्य की बात करूं तो वसंत पंचमी के मुहूर्त पर जो विवाह समारोह हुए उनमें सैकड़ों लोग शामिल हुए और लोगों ने बिल्कुल भी एहतियात नहीं बरती और न ही सैनिटाइजर का उपयोग किया. ऐसा बरताव किया जैसे कोरोना खत्म हो चुका है, अब हमें क्या डर है! एक-एक हॉल में पांच-छह सौ लोग एकत्रित थे. 

ये शादियां कोरोना के फैलाव का स्थान साबित हुई हैं. इतनी मेहनत करके सरकारी अधिकारियों ने, डॉक्टरों ने, अन्य एजेंसियों ने कोरोना पर काबू पाया था और कोविड योद्धा होने का अभिनंदन पत्र पाया था, उनकी सारी मेहनत मिट्टी में मिल गई. 

कोरोना से निपटने के लिए लापरवाही को दूर करने की जरूरत

नए संकट के लिए शादी समारोहों के आयोजक तो जिम्मेदार हैं ही, होटल और मंगल कार्यालय के साथ ही नगर निगम के लोग भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं.  बिना मिलीभगत के यह सब हो ही नहीं सकता था.

इसके साथ ही बाजारों में पूरी तरह लापरवाही का आलम दिख रहा है. लोग नाम के लिए मास्क लगा रहे हैं. मास्क ठुड्डी पर लटकाए रहते हैं. मुंह और नाक पूरी तरह खुले रहते हैं. यह स्थिति कारोना के फैलाव के लिहाज से बिल्कुल माकूल है. यदि भीड़ में एक व्यक्ति भी कोरोना पीड़ित हो तो वह न जाने कितनों को संक्रमित कर देगा. 

हम यह कैसे भूल सकते हैं कि कोरोना के कारण हमने अपने प्रियजनों को खोया है. मैं मानता हूं कि बाजार खुलना बहुत जरूरी है क्योंकि यह लोगों की रोजी-रोटी से जुड़ा है लेकिन इसके साथ ही कुछ नियम तो हमें अपनाने ही होंगे अन्यथा हम कोरोना से बचेंगे कैसे?

कोरोना फैला तो अर्थव्यवस्था फिर होगी प्रभावित

यदि कोरोना का फैलाव होगा तो इससे सीधे-सीधे हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. बड़ी मुश्किल से हम लॉकडाउन से बाहर आए हैं और अर्थव्यवस्था पटरी पर आनी शुरू हुई है. ऐसे में यदि हालात फिर खराब होंगे तो इससे न केवल वे लोग प्रभावित होंगे, जिन्हें कोरोना पकड़ेगा बल्कि दूसरे लोग भी तबाह होंगे. यदि फिर से लॉकडाउन या कर्फ्यू लगाने की जरूरत पड़ी तो हालात बिगड़ जाएंगे. 

आम आदमी से लेकर व्यापारी, व्यवसायी और उद्योगपति इतने टूट चुके हैं कि अब और बंद की कल्पना से भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. स्कूलों की हालत खराब है. उनके सामने समस्या यह है कि वे कैसे फीस वसूलें और कैसे शिक्षकों को तनख्वाह दें! 

दुर्भाग्य की बात है कि लोग इस बारे में सोच ही नहीं रहे हैं. इन्हें न अपनी जान का डर है और न दूसरों की फिक्र. मेरी नजर में ऐसे लोग समाज के दुश्मन हैं. इनके खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए कि वे दोबारा ऐसी हरकत करने से बाज आएं.

कोरोना वैक्सीनेशन में और तेजी की भी जरूरत

इसके साथ ही सरकार को अब वैक्सीनेशन में भी बहुत तेजी लानी चाहिए. केवल फ्रंटलाइन वॉरियर्स को टीके लगाए जा रहे हैं. भारत में कोरोना का टीकाकरण 16 जनवरी को शुरू हुआ था और एक महीने में एक करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है. यदि रफ्तार यही रही तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सभी जरूरतमंदों को टीका लगाने में कितना वक्त लगेगा. 

कहा जा रहा है कि पचास साल से ज्यादा की उम्र वाले आम लोगों का नंबर मार्च के मध्य में आएगा. सवाल यह पैदा होता है कि जब हमारे पास करीब 10 करोड़ टीके तैयार हैं और सीरम इंस्टीट्यूट तथा बायोटेक पूरी क्षमता से वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं तो फिर वैक्सीन लगाने की रफ्तार तेज क्यों नहीं की जा रही है. 

50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन देने में इतनी देरी क्यों? कहा जा रहा है कि एप्प की कुछ समस्याएं हैं जिन्हें दूर किया जा रहा है. आज के तकनीकी युग में क्या इतना वक्त लगना चाहिए? 

एक बात और कहना चाहूंगा कि तमिलनाडु ने पत्रकारों का टीकाकरण भी शुरू कर दिया है क्योंकि पत्रकार भी कोरोना के खिलाफ फ्रंट वारियर रहे हैं.

खुले बाजार में कोरोना के टीके हों उपलब्ध

और दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि जब हमारे पास करोड़ों की संख्या में टीके मौजूद हैं तो उसे खुले बाजार में उपलब्ध क्यों नहीं कराया जा रहा है. खुले बाजार से मेरा मतलब दवाई दुकानों से नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों से है. 

हमारे देश में निजी क्षेत्र के अस्पताल संसाधनों से सुसज्जित हैं और उनकी यदि सहायता ली जाती है तो टीकाकरण की रफ्तार तेज होगी और सरकार पर बोझ भी कम होगा. जो लोग टीके के लिए पैसा खर्च करने की क्षमता रखते हैं, वे निजी अस्पताल चले जाएं और जिन लोगों के पास पैसा नहीं है उन्हें सरकार अपने केंद्रों के माध्यम से टीका दिलवाए. 

अब आम आदमी भी चाह रहा है कि वैक्सीन निजी अस्पतालों में उपलब्ध हो और सरकार तय कर दे कि कोई भी अस्पताल निर्धारित राशि से ज्यादा न वसूले.

टीकाकरण के माध्यम से भारत ने कई बीमारियों को मात दी है. इसी टीकाकरण के कारण ही हम भारतीयों का इम्यून सिस्टम अमेरिका और यूरोप के देशों में रहने वाले लोगों से बेहतर है. यही वजह है कि कोरोना का प्रकोप हम पर अपेक्षाकृत कम हुआ है. 

टीकाकरण के मामले में हम दुनिया में नंबर एक हैं. हमारे संसाधन और हमारी क्षमता अपार है. टीकाकरण के माध्यम से हम कोरोना को भी निश्चय ही मात दे सकते हैं. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम बचाव के रास्ते त्याग दें. 

लापरवाही का अपराध बिल्कुल मत कीजिए. खुद की जान की परवाह कीजिए और दूसरों की जिंदगी से भी खिलवाड़ मत कीजिए. सही तरीके से मास्क पहनिए. सुरक्षित दूरी का पालन कीजिए. स्वस्थ रहिए और दूसरों को भी स्वस्थ रखिए.

Web Title: Vijay Darda Blog: Coronavirus increasing cases, precautions and covid vaccination

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