वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: क्यों बढ़ रहा CAA का विरोध?
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: January 15, 2020 07:15 IST2020-01-15T07:15:03+5:302020-01-15T07:15:03+5:30
असलियत तो यह है कि देश में सर्वत्न इस कानून के विरोध में जो नौजवान नारे बुलंद कर रहे हैं, उनको प्रेरणा कांग्रेस या किसी अन्य संगठन ने नहीं दी है. नौजवानों की यह बगावत स्वत:स्फूर्त है.

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: क्यों बढ़ रहा CAA का विरोध?
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में पांच-छह क्षेत्रीय दलों ने भाग नहीं लिया. भाजपा इस पर खुश हो रही है कि कांग्रेस की मुहिम नाकाम हो रही है. यह भाजपा की गलतफहमी है. जिन दलों ने इस बैठक का बहिष्कार किया है, उनमें से कुछ दल ऐसे हैं, जो नागरिकता रजिस्टर और शरणार्थी कानून दोनों का विरोध कांग्रेस से भी ज्यादा जोरों से कर रहे हैं. जैसे ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस! इस बैठक का बहिष्कार करने वाले सभी दल नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं. वे कांग्रेस को अपना नेता नहीं बनाना चाहते, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे इस कानून का विरोध नहीं कर रहे हैं.
असलियत तो यह है कि देश में सर्वत्न इस कानून के विरोध में जो नौजवान नारे बुलंद कर रहे हैं, उनको प्रेरणा कांग्रेस या किसी अन्य संगठन ने नहीं दी है. नौजवानों की यह बगावत स्वत:स्फूर्त है. इस जन-आंदोलन में युवक आगे-आगे हैं और विपक्षी दल उनके पीछे-पीछे हैं. सच्चाई तो यह है कि विपक्षी दलों के पास न तो कोई अखिल भारतीय नेता है और न ही कोई सर्वस्वीकार्य नीति है लेकिन पिछले साढ़े पांच साल में इन सब दलों को यह पहला मौका मिला है कि वे एक होकर देश के नौजवानों को आंदोलित करें.
नए नागरिकता कानून से देश का कोई बड़ा नुकसान नहीं होने वाला है लेकिन उसने देश के नौजवानों के दिल में एक आक्रोश का माहौल खड़ा कर दिया है, जो खतरनाक सिद्ध हो सकता है. इस माहौल ने विपक्ष में नई जान फूंक दी है. इस विवाद में पूरा देश उलझ गया है और देश की डांवाडोल अर्थव्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. बेरोजगारी और महंगाई इसी तरह बढ़ती रही तो अगले छह माह बाद भाजपा के सामने गंभीर संकट हो सकता है.