वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विदेशी नेताओं के दिल्ली आने से बढ़ी विदेश मंत्रालय की चिंता
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 16, 2020 07:14 AM2020-01-16T07:14:41+5:302020-01-16T07:14:41+5:30
चीन ने श्रीलंका में कई निर्माण-कार्य हाथ में ले रखे हैं और उसके प्रसिद्ध सामरिक बंदरगाह हंबनतोता को 99 वर्ष की लीज पर अपने कब्जे में ले रखा है.
एक ओर हमारी सरकार रायसीना डायलॉग कर रही है, जिसमें दर्जनों विदेशी नेता दिल्ली आए हुए हैं और दूसरी ओर मलेशिया और श्रीलंका से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनसे हमारे विदेश मंत्रालय की चिंता बढ़ सकती है. मलेशिया के राष्ट्रपति महाथिर मुहम्मद कश्मीर, नागरिकता संशोधन कानून और जाकिर नाइक के मामले में साफ-साफ भारत-विरोधी रवैया अपना रहे हैं. उन्होंने इन तीनों मुद्दों पर न सिर्फ भारत की कड़ी आलोचना की है बल्कि इस्लामी राष्ट्रों का एक वैकल्पिक संगठन खड़ा करने की कोशिश भी की है.
भारत सरकार मलेशिया को सबक सिखाने के लिए उससे खरीदे जानेवाले पाम आॅइल पर पाबंदी लगाने जा रही है और वह उससे माइक्र ोप्रोसेसरों की खरीद पर भी पुनर्विचार कर रही है. यदि ऐसा हुआ तो भारत-मलेशिया व्यापार जो कि 17 अरब डॉलर का है, आधे से भी कम रह जाएगा.
मलेशिया को ज्यादा नुकसान होगा. यह जानते हुए भी 94 वर्षीय महाथिर कह रहे हैं कि घाटे के डर से क्या वे सच बोलना बंद कर दें? महाथिर से मेरा निवदेन है कि वे ‘अपने सच’ को अपने तक ही सीमित रखें, क्योंकि उक्त तीनों मामले भारत के आंतरिक मामले हैं? अपने विदेश मंत्रालय से मैं कहूंगा कि वह मलेशिया के खिलाफ बदले की कार्रवाई न करे.
महाथिर को सनक निकालने दें. उससे भारत का कुछ बिगड़नेवाला नहीं है. ज्यादा चिंता की बात यह है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कल कोलंबो में बड़ा ही विचित्र सा बयान दे डाला. उन्होंने भारत का नाम लिए बिना कहा, ‘‘चीन किसी भी देश को श्रीलंका के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने देगा.’’ अब श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे शीघ्र ही चीन-यात्रा भी करेंगे.
चीन ने श्रीलंका में कई निर्माण-कार्य हाथ में ले रखे हैं और उसके प्रसिद्ध सामरिक बंदरगाह हंबनतोता को 99 वर्ष की लीज पर अपने कब्जे में ले रखा है. राजपक्षे नवंबर में भारत आए थे. तब उन्होंने काफी अच्छी-अच्छी बातें की थी लेकिन लगता है कि वे अब अपने भाई और पूर्व राष्ट्रपति के पदचिह्नों पर चल पड़े हैं.