वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: लचीला हो नागरिकता कानून

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: December 23, 2019 04:56 IST2019-12-23T04:56:38+5:302019-12-23T04:56:38+5:30

इसमें शक नहीं कि यह बात ठीक है लेकिन क्या भारत की कोई सरकार जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव करे तो उसका कुर्सी पर टिके रहना असंभव नहीं हो जाएगा? यह जो नागरिकता संशोधन कानून सरकार ने बनाया है, इसका दोष यही है कि इसमें धार्मिक आधार पर स्पष्ट भेदभाव है.

vedapratap Vedic Blog: Be flexible citizenship law caa | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: लचीला हो नागरिकता कानून

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: लचीला हो नागरिकता कानून

Highlightsपिछले साढ़े पांच साल में मोदी सरकार के विरुद्ध जिसे भी जितना भी गुस्सा है, वह अब इस कानून के बहाने फूटकर बाहर निकल रहा है.देश में फिजूल की हिंसा हो रही है. इस कानून पर संयुक्त राष्ट्र से जनमत संग्रह कराने की हास्यास्पद मांग भी की जा रही है.

प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने रविवार को रामलीला मैदान में जो भाषण दिया, यदि वे उसकी भावना पर ठीक से अमल करें तो आज देश में जो उपद्रव हो रहा है वह बंद हो जाएगा. वह होता ही नहीं. आज भी वह बंद हो सकता है, बशर्ते कि वे नागरिकता संशोधन कानून को अपने भाषण के अनुरूप बना लें.

उन्होंने कहा कि हम देश की किसी भी जाति, मजहब, संप्रदाय और वर्ग के विरुद्ध नहीं हैं. हमने दिल्ली की सैकड़ों कॉलोनियां वैध कीं, करोड़ों लोगों को गैस कनेक्शन दिए और सार्वजनिक हित के जितने भी काम किए, क्या कभी उससे उसकी जाति या धर्म पूछा?

इसमें शक नहीं कि यह बात ठीक है लेकिन क्या भारत की कोई सरकार जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव करे तो उसका कुर्सी पर टिके रहना असंभव नहीं हो जाएगा? यह जो नागरिकता संशोधन कानून सरकार ने बनाया है, इसका दोष यही है कि इसमें धार्मिक आधार पर स्पष्ट भेदभाव है. यह तो बहुत अच्छा है कि कुछ पड़ोसी मुस्लिम देशों के हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों को, यदि वे उत्पीड़ित हैं तो उन्हें शरण देने की घोषणा भारत सरकार ने की है.

लेकिन, इस सूची में से मुसलमानों का नाम निकालकर घर बैठे मुसीबत मोल ले ली है. इस प्रावधान से भारतीय मुसलमानों का कुछ लेना-देना नहीं है लेकिन इसने गलतफहमी का ऐसा अंबार खड़ा कर दिया है कि आंदोलन होने लगे हैं. सारे देश में हिंसा फैल रही है.

पिछले साढ़े पांच साल में मोदी सरकार के विरुद्ध जिसे भी जितना भी गुस्सा है, वह अब इस कानून के बहाने फूटकर बाहर निकल रहा है. देश में फिजूल की हिंसा हो रही है. इस कानून पर संयुक्त राष्ट्र से जनमत संग्रह कराने की हास्यास्पद मांग भी की जा रही है.

इस मामले को इज्जत का सवाल बनाने और देश में अस्थिरता बढ़ाने की बजाय बेहतर यह होगा कि इस नागरिकता कानून में से मजहबों के नाम ही हटा दें. जो भी उत्पीड़ित है, उसके लिए भारत माता की शरण खुली है. प्रत्येक व्यक्ति को गुण-दोष के आधार पर ही भारत की नागरिकता दी जाए.

 

Web Title: vedapratap Vedic Blog: Be flexible citizenship law caa

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