वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: राजनीतिक दलों का दोहरा चरित्र
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 5, 2019 05:25 AM2019-01-05T05:25:23+5:302019-01-05T05:25:23+5:30
भाजपा और कांग्रेस के नेता केरल की मार्क्सवादी सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहते हैं.
केरल के सबरीमला मंदिर ने हमारे राजनीतिक दलों और नेताओं की पोल खोलकर रख दी है. यदि दो महिलाओं ने सबरीमला मंदिर में बड़े सबेरे जाकर पूजा कर ली तो उन्होंने कौन-सा पाप कर दिया? उन्होंने देवता की पूजा ही की. उनका अपमान तो नहीं किया. यदि उनकी उम्र 10 से 50 के बीच थी तो भी उन्होंने क्या गुनाह किया है?
उन्होंने तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक ही आचरण किया है. लेकिन देखिए पूरे केरल में कितनी हिंसा भड़की है. हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, सैकड़ों घायल हुए, एक की मौत हो गई और सैकड़ों को गिरफ्तार करना पड़ा. स्कूल, कॉलेज, बाजार बंद हो गए.
यह सब क्यों हुआ? क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के नेता केरल की मार्क्सवादी सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहते हैं. केरल के मुख्यमंत्नी पिनरई विजयन, जो कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करना चाह रहे हैं, इन तत्वों के विरुद्ध खड़े हुए हैं. विजयन पाखंड के खिलाफ हैं.
प्रांतीय सरकार का मुखिया होने के नाते वे अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं. जो दल 2019 में केंद्र में सत्तारूढ़ होने का दावा कर रहे हैं, जरा देखिए उनका रवैया क्या है? न्यायपालिका का वे अपमान कर रहे हैं. उनका दोहरापन देखिए. दिल्ली में वे अदालत के फैसले को अच्छा बताते हैं और केरल में अपने अनुयायियों को उसके खिलाफ दंगल करने देते हैं.
अगर ये नेता सचमुच नेता होते तो ये अपने कार्यकर्ताओं पर कसके लगाम लगाते. लेकिन ये नेता वोट के पिछलग्गू हैं. ये सबरीमला मंदिर के ब्रह्मचारी देवता अयप्पा के भक्त नहीं हैं, ये केरल की मार्क्सवादी सरकार के दुश्मन हैं. इस तरह के धार्मिक और पारंपरिक मामलों को सुलझाने की कोशिशें अदालतों के जरिए कम, बातचीत, समाज-सुधार और लोक-शिक्षण के जरिए ज्यादा होनी चाहिए.