वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: मलेरकोटला- सद्भाव की सराहनीय मिसाल
By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 20, 2021 03:50 PM2021-05-20T15:50:09+5:302021-05-20T15:50:58+5:30
हाल में मलेरकोटला को पंजाब का 23 वां जिला घोषित करते हुए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तर्क दिया है कि अगर जिले छोटे हों तो प्रशासन बेहतर तरीके से काम करता है.
पंजाब के मलेरकोटला कस्बे के बारे में ज्ञानी जैलसिंहजी मुझे बताया करते थे कि अब से लगभग 300 साल पहले जब गुरु गोविंद सिंह जी के दोनों बेटों को दीवार में जिंदा चिनवाया जा रहा था, तब मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान ने उसका डटकर विरोध किया था.
यह वही मलेरकोटला है, जिसे अब पंजाब की सरकार ने एक अलग जिला घोषित किया है. इसको अलग जिला बनाने का विरोध उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है. उनका तर्क है कि मलेरकोटला का क्षेत्र मुस्लिम-बहुल है. उसे सांप्रदायिक आधार पर पृथक जिला बनाना बिल्कुल गलत है.
योगी का तर्क इस दृष्टि से ठीक माना जा सकता है कि यदि सांप्रदायिक आधार पर नए जिले, नए ब्लॉक और नए प्रांत बनने लगे तो यह भारत-विभाजन की भावना को दुबारा पनपाना होगा. योगी ने यह तर्क इसलिए दिया है कि मलेरकोटला की आबादी एक लाख 35 हजार है. इसमें से 92000 मुस्लिम हैं, 28 हजार हिंदू हैं और 12 हजार सिख हैं.
मलेरकोटला को पंजाब का 23 वां जिला घोषित करते हुए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तर्क दिया है कि अगर जिले छोटे हों तो वहां प्रशासन बेहतर तरीके से काम करता है. मलेरकोटला को संगरुर जिले से अलग करने पर उसका विकास तेजी से होगा.
अमरिंदर का तर्क निराधार नहीं है. दस साल पहले तक भारत में 593 जिले थे लेकिन आजकल उनकी संख्या 718 है. अभी कई प्रांत ऐसे हैं, जिनके जिले काफी बड़े-बड़े हैं. यदि भारत जैसे विशाल देश में एक हजार जिले भी बना दिए जाएं तो भी उचित ही होगा. जहां तक सांप्रदायिक आधार पर जिला-विभाजन की बात है तो मलेरकोटला तो अपने आप में सांप्रदायिक सद्भाव की बेमिसाल मिसाल है.
गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों की कुर्बानी की बात तो मैं बता ही चुका हूं लेकिन 1947 को भी हम न भूलें. विभाजन के वक्त जब पंजाब का चप्पा-चप्पा सांप्रदायिक दंगों में धधक रहा था, मुस्लिम-बहुल मलेरकोटला वह स्थान था, जहां लगभग शांति बनी रही. आज भी मलेरकोटला की गली-गली में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे साथ-साथ बने हुए हैं. हिंदू, मुसलमान और सिख एक-दूसरे के त्यौहारों को साथ-साथ मिलकर मनाते हैं.
सिखों ने मलेरकोटला में नवाब शेर मोहम्मद खान की स्मृति में ‘हा दा नारा साहेब’ का गुरुद्वारा बना रखा है. मलेरकोटला के लक्ष्मीनारायण मंदिर के पुरोहित ने कहा है कि नया जिला बनने से आम लोगों का फायदा ही फायदा है.
मुख्यमंत्री ने जो नए अस्पताल, कॉलेज और सड़कें बनाने की घोषणा की है, क्या उनका उपयोग सिर्फ मुसलमान ही करेंगे? यों भी भारतीय संविधान में राज्यों को पूरा अधिकार है कि वे अपने प्रांतों में जैसे चाहें, वैसे परिवर्तन करें.