वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भारत सक्रिय भूमिका निभाए

By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 5, 2019 10:04 AM2019-10-05T10:04:22+5:302019-10-05T10:04:22+5:30

मैं यह दावे से कहता हूं कि तालिबान चाहे पाकिस्तान की आज सक्रिय मदद ले रहा हो लेकिन यदि वे सत्ता में आ गए तो वे किसी का भी अंकुश बर्दाश्त नहीं करेंगे. वे अमेरिका के पिछलग्गू नहीं बने तो पाकिस्तान के क्यों बनेंगे, कैसे बनेंगे?

Ved Pratap Vaidik blog: India should play an active role | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भारत सक्रिय भूमिका निभाए

विदेश मंत्नी एस जयशंकर। (फाइल फोटो)

हमारे विदेश मंत्नी जयशंकर ने एक अमेरिकी संगोष्ठी में कह दिया कि अफगान सरकार और तालिबान के बारे में भारत को कुछ नहीं बोलना चाहिए, चुप रहना चाहिए. पता नहीं उन्होंने वहां ऐसा क्यों कह दिया. मैं सोचता हूं कि अफगानिस्तान में जितनी अमेरिका की रुचि है, उससे ज्यादा भारत की होनी चाहिए. एक तो अफगानिस्तान भारत का पड़ोसी है, दूसरा, भारत ने उसके पुनर्निर्माण में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया है और तीसरा, अफगानिस्तान शांत और स्थिर रहेगा तो भारत को मध्य एशिया के पांचों गणराज्यों के साथ उद्योग-व्यापार बढ़ाने में भारी सुविधा हो जाएगी. चौथा, यदि अफगानिस्तान, भारत और मध्य एशिया के बीच सेतु बनता है तो पाकिस्तान को सबसे ज्यादा फायदा होगा. उसकी बेरोजगारी दूर होगी, उसके उद्योग-धंधे और व्यापार बढ़ेंगे तथा उसके और भारत के संबंध भी सुधरेंगे. कश्मीर और पख्तूनिस्तान के मामले अपने आप सुधरेंगे.

यह विश्लेषण मैं अपने 55 साल के अनुभव के आधार पर पेश कर रहा हूं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लगभग सभी प्रमुख नेताओं से मेरा संवाद चलता रहा है. अफगानिस्तान के कई मुजाहिदीन और तालिबान नेता मेरे साथ काबुल विश्वविद्यालय में पढ़ा करते थे. मैं यह दावे से कहता हूं कि तालिबान चाहे पाकिस्तान की आज सक्रिय मदद ले रहा हो लेकिन यदि वे सत्ता में आ गए तो वे किसी का भी अंकुश बर्दाश्त नहीं करेंगे. वे अमेरिका के पिछलग्गू नहीं बने तो पाकिस्तान के क्यों बनेंगे, कैसे बनेंगे?

इस वक्त ट्रम्प के प्रतिनिधि जलमई खलीलजाद दुबारा इस्लामाबाद पहुंच गए हैं और तालिबान मुखिया अब्दुल गनी बिरादर भी. वे पाकिस्तान के विदेश मंत्नी शाह महमूद कुरैशी से भी मिले हैं. हो सकता है अमेरिका अपना टूटा तार फिर जोड़ ले. अफगानिस्तान के वर्तमान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्नी भारतप्रेमी हैं. अभी-अभी उन्होंने चुनाव भी लड़ा है. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी को इस मायने में खुद पहल करनी चाहिए. यदि काबुल सरकार, तालिबान और अमेरिका- इन तीनों को भारत एक साथ बिठा सके तो कोई आश्चर्य नहीं कि पाकिस्तान भी कुछ देर बाद उसमें शामिल हो जाए. यदि भारत अभी खुलकर सामने नहीं आना चाहता तो गैर-सरकारी स्तर पर तो पहल करवा ही सकता है.

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: India should play an active role

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