ब्लॉग: कोरोना के तीसरे हमले से निपटने की तैयारी जरूरी, मनोबल भी बुलंद रखना होगा
By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 18, 2021 09:54 AM2021-05-18T09:54:55+5:302021-05-18T09:54:55+5:30
कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बरकरार है. भारत के लिए महामारी की दूसरी लहर परेशानियों भरी रही. ऐसे में देश को तीसरे लहर से सावधान रहने की अभी से जरूरत है.
अमेरिका जैसे कुछ देशों में लोग मुखपट्टी लगाए बिना इस बेफिक्री में घूम रहे हैं, जैसे कि कोरोना की महामारी खत्म हो चुकी है. उन्होंने दो टीके क्या लगवा लिए, सोचते हैं कि अब उन्हें कोई खतरा नहीं है. लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टी.ए. ग्रेब्रोसिस ने सारी दुनिया को अभी से चेता दिया है.
उनका कहना है कि यह दूसरा साल, कोविड-19 का, पिछले साल से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. उनका कहना है कि कोविड का नया वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है.
यह तो फैल ही सकता है लेकिन मुझे यह डर भी लगता है कि भारत की तरह अफ्रीका और एशिया के गांवों में यह नया संक्रमण फैल गया तो क्या होगा? हमारे गांवों में रहनेवाले करोड़ों लोग भगवान भरोसे हो जाएंगे. न उनके पास दवा है, न डॉक्टर है और न ही अस्पताल. उनके पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वे शहरों में आकर अपना इलाज करवा सकें.
इस समय भारत में 18 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है लेकिन अगर कोरोना का तीसरा हमला हो गया तो क्या पता कि अकेला भारत ही दुनिया का सबसे अधिक दु:खी देश बन जाए. भारत अपने भोलेपन पर शायद खुद पछताए. उसने छह करोड़ से ज्यादा टीके दुनिया के दर्जनों देशों को बांट दिए जबकि अब भी कई देशों के पास करोड़ों टीकों का भंडार भरा हुआ है लेकिन वे उन्हें भारत को देने में आनाकानी कर रहे हैं.
रूस जैसे देश दे रहे हैं लेकिन जो टीका भारत में 100-150 रु . का बनता है, उसे वह हजार रु. में बेच रहा है. यह भी कितना विचित्र है कि भारत की कुछ कंपनियां, जो रेमडेसिवीर इंजेक्शन बनाती हैं, सिर्फ निर्यात के लिए, उनको अभी तक भारत सरकार ने देश के अंदर इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी है.
लाखों इंजेक्शन मुंबई हवाई अड्डे पर पड़े धूल खा रहे हैं. यह ठीक है कि दुनिया के कई छोटे-मोटे देश भारत को ऑक्सीजन-यंत्र, दवाइयां, कोरोना-किट आदि भेंट कर रहे हैं लेकिन वे यह क्यों नहीं सोचते कि भारत के बुजुर्गो को टीके सबसे पहले लगने चाहिए.
उन देशों के बच्चों और नौजवानों को उतना खतरा नहीं है, जितना भारत के बुजुर्गो को है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के देशों से अपील की है कि वे फ्रांस और स्वीडन का अनुकरण करें, जिन्होंने अपने वरिष्ठ नागरिकों को टीके लगाने के बाद उन्हें अन्य देशों के जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया है.
जो भी हो, भारत के 140 करोड़ लोगों को अपनी कमर कसनी होगी. अगर तीसरा हमला हुआ तो उसका मुकाबला भी डट कर करना होगा. टीका, इंजेक्शन, ऑक्सीजन वगैरह तो जुटाएं ही, मुखपट्टी, शारीरिक दूरी, प्राणायाम, काढ़ा, घरेलू इलाज के साथ अपना मनोबल बुलंद रखा जाए.