ब्लॉग: उत्तर प्रदेश का जनादेश- राजनीतिक दलों और राजनेताओं को बड़ा संदेश

By विवेकानंद शांडिल | Published: March 11, 2022 08:56 PM2022-03-11T20:56:13+5:302022-03-11T20:57:14+5:30

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर भाजपा की मजबूती को दर्शाया है। यूपी में 37 साल बाद कोई दल लगातार दूसरी बार सरकार बना रही है।

UP Assembly election result 2022 Big message to political parties and politicians | ब्लॉग: उत्तर प्रदेश का जनादेश- राजनीतिक दलों और राजनेताओं को बड़ा संदेश

राजनीतिक भविष्य की परीक्षा में पास हुए योगी आदित्यनाथ! (फोटो- ट्विटर, @myogiadityanath)

10 मार्च को आए 5 राज्यों के चुनावी नतीजों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और मणिपुर में बीजेपी की पूर्ण बहुमत के साथ वापसी हुई है जबकि गोवा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। भाजपा वहां भी दोबारा से सरकार बनाने की स्थिति में मज़बूत दिख रही है। वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी की लहर में कांग्रेस और अकाली दल का सफाया होता दिखा। 

बीजेपी पंजाब में कुछ खास तो नहीं कर पाई लेकिन अकाली दल के बिना अपने दम पर पहली बार चुनाव लड़ी और वहां अपनी मौजूदगी दर्शाने में सफल रही। बीजेपी को वहां 2 सीटों से ही संतोष करना पड़ा लेकिन वोटिंग प्रतिशत में इजाफा हुआ है। बहरहाल, इन राज्यों के जनादेश से जीत-हार से अलग कई संदेश मिले हैं। इस पर राजनीतिक दलों और राजनेताओं को ज़रूर गौर करना चाहिए।

राजनीतिक भविष्य की परीक्षा में पास हुए योगी!

साल 2017 के चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली थी और तब बीजेपी की ओर से गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम का ऐलान उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सबको हैरान कर दिया था। 

इसके बाद से कई तरह के सवाल बीजेपी विरोधी दलों से लेकर बीजेपी समर्थकों और राजनीतिक विशेषज्ञों के मन में पनप रहे थे। इन पांच सालों में योगी आदित्यनाथ के सामने एक के बाद एक चुनौतियां आती रही और इन घटनाओं ने योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक भविष्य को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़े किए।

जापानी बुखार से हुई बच्चों की मौत से लेकर, विकास दुबे का एनकाउंटर, लखीमपुर खीरी की घटना से लेकर कोरोना संकट का मुकाबला व अन्य। विरोधी योगी को घेरने में लगे रहे और योगी आदित्यनाथ ने अपने कुशल नीति, निष्ठा और नेतृत्व से लोगों में अपनी पकड़ मजबूत बनाते गए। 

ये चुनाव योगी के राजनीतिक भविष्य को लेकर बड़ा चुनाव था। इस जीत से योगी ने न सिर्फ बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व में अपनी जगह पक्की की है बल्कि देश की केंद्रीय राजनीति में भी योगी एक बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं।

जातिवाद- परिवारवाद की राजनीति को जनता ने नकार दिया

उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद कोई दल लगातार दूसरी बार सरकार बना रही है। वैसे भारतीय राजनीति के केंद्र बिंदु में ही जातिवाद और परिवारवाद है। खासकर उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों की राजनीति में ये लंबे समय से हावी रहा है। लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता अब इसे नकारने लगी है। इसका प्रमाण बीते कुछ सालों के चुनाव में देखे गए है। 

पहले जातियों की संख्या के आधार पर क्षेत्र की सीटें तय हो जाती थी। क्षेत्र के राजा-महाराजाओं के नाम पर वोट तय होते थे लेकिन अब ये परिस्थिति बदली है। साल 2019 के लोकसभा के चुनाव में अमेठी से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा। तब मध्यप्रदेश की ...लोकसभा सीट से केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुंह की खानी पड़ी थी। तब वो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। 

वहीं यूपी चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर योगी के खिलाफ गोरखपुर से चुनाव लड़े चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण को हार का मुंह देखना पड़ा। 400 सीटें जीतने का दावा करने वाले सपा प्रमुख को महज 111 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। जबकि सपा सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (8), बसपा (1)और कांग्रेस (2) पर ही सिमट गई।

पंजाब में अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल व उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल तक को हार का सामना करना पड़ा है। ये जनादेश एक संदेश है कि राजा का बेटा अब राजा नहीं बनेगा। जो सेवक बनकर जनता की सेवा करेगा उसे ही सत्ता का ताज मिलेगा।

राशन, प्रशासन, विकास बना बीजेपी की प्रचंड जीत का आधार

बीजेपी को दोबारा से सत्ता वापसी कराने में सबसे अहम योगदान सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रशासन पर अच्छी पकड़ को जाता है। बीते पांच सालों में उत्तर प्रदेश में गुंडे - बदमाशो और माफियाओं पर काफी हद तक योगी सरकार शिकंजा कसने में कामयाब रही।

लोंगो को खासकर महिलाओं के मन में घर से बाहर निकलने पर होने वाली असुरक्षा की भावना को दूर करने में सफल रही। वहीं उत्तर प्रदेश पिछले पांच सालों में दंगामुक्त रही। जिससे व्यापारी से लेकर किसान व हर वर्ग के लोंगो में सरकार के प्रति एक मजबूत संदेश गया। कोरोना संकट के समय से चली आ रही 'अन्न दाता योजना' यानी मुफ्त राशन योजना, गरीब वर्गों में सरकार के प्रति एक नया विश्वास पैदा किया।

वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर(हाइवे, एयरपोर्ट व अन्य) से लेकर डिफेंस कॉरिडोर, नए अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत, फर्टिलाइजर प्लांट, बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर का सौंदर्यीकरण, राम मंदिर का हो रहे निर्माण जैसे कार्य लोगों में एक नई उम्मीद पैदा कराने में सफल रही।

2024 का रास्ता बीजेपी के लिए हुआ आसान

उत्तर प्रदेश के चुनाव को लोकसभा का सेमीफाइल माना जाता है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें है इसलिए यहां पकड़ होने से सरकार बनाने के लिए जादुई अंक को पाना आसान हो जाता है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव जीतना। 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक 2 साल पहले उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत अगले लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी की जीत की दावेदारी भी मज़बूत करेगी।

योगी की राजनीतिक पारी हुई लंबी।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड रूप से वापसी ने न सिर्फ योगी आदित्यनाथ के बीजेपी व देश की केंद्रीय राजनीति में कद को बढ़ाया है। बल्कि वो अब राजनीति में लंबी पारी खेलने जा रहे हैं, ये भी इस जीत ने सुनिश्चित कर दिया है। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ को जल्द ही बीजेपी पार्लियामेंट्री कमिटी का हिस्सा बनाया जाएगा। बीजेपी जल्द ही इसकी घोषणा करेगी।

साल 2024 में बीजेपी की ओर से पीएम उम्मीदवार कौन होगा, इसके लिए तो फिलहाल इंतज़ार करना होगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी की ओर से योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी मज़बूत कर ली है।

मोदी फिर से साबित हुए अजेय

पांच राज्यों के चुनावी नतीजों में चार राज्यों में बीजेपी की प्रचंड जीत ने एक बार फिर से साबित किया है कि फिलहाल मोदी का कोई विकल्प नहीं है। पंजाब में आम आदमी पार्टी एक बड़ी ताकत के रूप में ज़रूर उभरी है लेकिन अभी मोदी के नेतृत्व में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी।

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