प्रदूषित हवा का मसला केवल दिल्ली का नहीं है...!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 20, 2025 08:04 IST2025-12-20T08:04:16+5:302025-12-20T08:04:46+5:30

बल्कि आंकड़े तो ये कहते हैं कि गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा दिल्ली के 80 किलोमीटर के दायरे में ही हैं.

The issue of polluted air is not only of Delhi | प्रदूषित हवा का मसला केवल दिल्ली का नहीं है...!

प्रदूषित हवा का मसला केवल दिल्ली का नहीं है...!

दिल्ली में प्रदूषित हवा को लेकर इस वक्त कोहराम मचा हुआ है. मचना भी चाहिए क्योंकि यह आम आदमी की जिंदगी से जुड़ा हुआ मसला है. बड़ी संख्या में लोग सांस की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं लेकिन एक सवाल यह भी है कि क्या प्रदूषित हवा का मसला केवल दिल्ली का है? बाकी सारे शहर ठीक हालत में हैं? आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली की हालत ज्यादा बुरी है लेकिन उससे सटे इलाके, नेशनल कैपिटल रीजन, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम की हालत भी कम खराब नहीं है. बल्कि आंकड़े तो ये कहते हैं कि गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा दिल्ली के 80 किलोमीटर के दायरे में ही हैं.

यानी इस 80 किलोमीटर के दायरे की हवा सबसे खराब है. वैसे समय-समय पर लखनऊ, वाराणसी, आगरा, प्रयागराज, कानपुर, पटना, मुजफ्फरपुर और यहां तक कि चंडीगढ़, जयपुर, मुंबई, कोलकाता, नागपुर, बेंगलुरु में भी वायु प्रदूषण का मामला उठता रहा है. हालांकि इन शहरों में स्थिति उतनी खराब नहीं है कि हो-हल्ला मच जाए. मगर सवाल पैदा होता है कि यदि इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो क्या आने वाले समय में इन शहरों की हालत भी दिल्ली जैसी नहीं हो जाएगी?

क्या हमारे पास कोई दीर्घकालिक योजना है? हकीकत यह है कि इस संकट के प्रति हमारी सरकारों ने उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाया है. क्योंकि वायु प्रदूषण की यह स्थिति कोई अचानक पैदा नहीं हो गई है. 2018 में ग्रीनपीस नाम की पर्यावरण संस्था ने एक सर्वे करवाया और उस वक्त ग्रीनपीस ने बताया था कि दुनिया के 30 प्रदूषित शहरों में 22 भारत के थे! क्या उसी समय हमारी व्यवस्था को चाक-चौबंद नहीं हो जाना चाहिए था?

संभव है कि कागजों पर कुछ योजना बनी भी हो और सफलता की कुछ कहानियां दर्ज भी की गई हों लेकिन वास्तविकता तो यही है कि हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं. वायु प्रदूषण का असर क्या होता है, यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट से समझा जा सकता है. यह रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में जो स्मॉग अभी मौजूद है, उससे फेफड़े तो खराब होते ही हैं, फेफड़ों का कैंसर तक हो जाता है. इसके अलावा दिल का दौड़ा पड़ने, मधुमेह की स्थिति और खराब होने की आशंका भी बढ़ जाती है. दुनिया में करीब 70 लाख लोग हर साल ऐसी स्थिति से मौत के शिकार हो जाते हैं. अभी दिल्ली की हालत खराब हुई है तो सरकार ने तात्कालिक रूप से कुछ कदम उठाए हैं.

वाहनों का कार्बन उत्सर्जन कम हो, इसके लिए कार्यालयों में 50 प्रतिशत लोगों को घर से काम करने का आदेश जारी किया है. प्रदूषण मानक-06 से नीचे के वाहनों का दिल्ली में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है. निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है ताकि धूलकण न उड़ें लेकिन निर्माण कार्य कब तक रोकेंगे? जो मजदूर निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं, उनकी रोजी-रोटी का क्या होगा? इसलिए जरूरी है कि वैज्ञानिक तरीके से इस प्रदूषण पर स्थायी रोक लगाने की व्यवस्था की जाए.

Web Title: The issue of polluted air is not only of Delhi

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