ब्लॉग: पिघल रही है भारत और चीन के बीच बर्फ!
By हरीश गुप्ता | Updated: June 1, 2023 11:32 IST2023-06-01T11:31:10+5:302023-06-01T11:32:43+5:30
भारत का जोर अन्य क्षेत्रों में संबंध बढ़ाने से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी)पर अमन-चैन बनाए रखने पर है।

फाइल फोटो
सत्ता के गलियारों में फुसफुसाहट है कि चीन के साथ पर्दे के पीछे की बातचीत चल रही है और सीमा मुद्दों का समाधान हो सकता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर 1 जून को ब्रिक्स विदेश मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में अपने चीनी समकक्ष किन गैंग से मिल सकते हैं।
यह 2023 में उनकी अब तक की तीसरी बैठक होगी। भारत का जोर अन्य क्षेत्रों में संबंध बढ़ाने से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी)पर अमन-चैन बनाए रखने पर है।
विदेश मंत्री को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों के भीतर कोई समाधान निकल सकता है, हालांकि पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान इस बारे में बात करते हुए वह थोड़ा हिचकिचा भी रहे थे।
चीनी तकनीकी श्रम-शक्ति को वीजा जारी करने के संबंध में चीनी कंपनियों के प्रति सरकार के रवैये में मामूली बदलाव देखा जा रहा है। वाणिज्य मंत्रालय कथित तौर पर जिन चीनी इंजीनियरों और तकनीशियनों की भारत में कारखानों या मशीनरी की स्थापना के लिए आवश्यकता है उनको वीजा देने के लिए निर्यातकों के अनुरोधों को विदेश मंत्रालय तक पहुंचा रहा है।
सरकार ने एप्पल के 17 चीनी आपूर्तिकर्ताओं में से 14 को भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम लगाने के लिए प्रारंभिक मंजूरी दे दी है। इसका मकसद आईफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में लोकल वैल्यू चेन का विस्तार करना है।
ऐसी खबरें हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी चीन के एलएसी के मूल हिस्से से पीछे हटने जैसी आश्चर्यजनक खबर देकर राजनीतिक लाभ उठा सकते हैं।
पॉलिटिक्स बनाम मर्डर मिस्ट्री
तत्कालीन लोकसभा सांसद वाईएस विवेकानंद रेड्डी की 15 मार्च, 2019 को हुई हत्या का मामला कई सालों तक ठंडे बस्ते में पड़ा था। अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अचानक इस फाइल को खोला है और उसे इस हत्या के पीछे राजनीतिक साजिश नजर आ रही है। सीबीआई इस हत्याकांड के साथ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के तार जोड़ रही है।
विवेकानंद रेड्डी उनके चाचा थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हत्या की जांच के लिए राज्य पुलिस की एक विशेष जांच दल(एसआईटी)गठित किया था, जबकि जगन मोहन रेड्डी ने सीबीआई जांच की मांग की थी।
जगन मोहन के मुख्यमंत्री बनते साथ कुछ ही महीनों में परिदृश्य बदल गया। मामले को सीबीआई को सौंपने के बजाय, उन्होंने हत्या की जांच के लिए राज्य पुलिस की एसआईटी गठित करने का फैसला किया।
11 मार्च, 2020 को उच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को भेजने का फैसला किया राजनीतिक माहौल के कारण सीबीआई कछुआ गति से आगे बढ़ी।
लगभग तीन वर्षों के बाद, सीबीआई ने दावा किया है कि विवेकानंद रेड्डी के चार हमलावरों में से एक कडप्पा के वाईएसआर-सीपी लोकसभा सांसद वाई.एस. अविनाश रेड्डी के निवास पर आधी रात को मौजूद था।
यह पाया गया कि पुलिस को सूचित करने से पहले कडप्पा सांसद ने चाचा की हत्या के बारे में जगन मोहन रेड्डी को एक व्हाट्सएप कॉल किया गया था। सीबीआई का सवाल है कडप्पा सांसद के घर में चार हमलावर कैसे मौजूद थे और जगन रेड्डी को फोन क्यों किया गया? हालांकि साक्ष्य बहुत कमजोर हैं, लेकिन ये जगन मोहन रेड्डी की नींद हराम करने के लिए काफी हैं क्योंकि सीबीआई हत्या के रहस्य का पता लगाने के लिए कडप्पा सांसद को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है।
वाईएसआर-कांग्रेस के सदस्यों द्वारा संसद में मोदी सरकार के साथ खड़े होने के पीछे एक कारण इस रहस्यमय हत्या को भी माना जाता है। तेलंगाना उच्च न्यायालय किसी भी समय सीबीआई को कडप्पा सांसद को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की अनुमति दे सकती है।
आंध्र प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की दुविधा यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हारने के बाद उसका राजनीतिक सफाया हो गया है। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वाईएसआर-कांग्रेस के साथ गठजोड़ करना है या चंद्रबाबू नायडू की तेलुगुदेशम पार्टी(टीडीपी) के साथ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीबीआई का नरम-गरम रवैया उसे इस दुविधा से बाहर निकालने में मदद करेगा।
भाजपा की मीडिया में व्यापक पहुंच
लोकसभा चुनावों में एक साल से भी कम का समय रह गया है। भाजपा ने बड़े पैमाने पर मीडिया से मेल-मुलाकात शुरू कर दी है। मुलाकात का दौर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से शुरू हुआ है जहां लंच और डिनर के बहाने बातचीत हो रही है।
भाजपा अध्यक्ष, जेपी नड्डा,अमित शाह, राजनाथ सिंह, एस. जयशंकर, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, अश्विनी वैष्णव सहित कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने पत्रकारों से औपचारिक चर्चा की प्रधानमंत्री के नौ साल की उपलब्धियों को गिनाने के लिए पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन भी दिया गया।
इस तरह के संवाद सभी राज्यों की राजधानियों और प्रमुख शहरों में भी हो रहे हैं। सभी केंद्रीय मंत्रियों को अगले एक महीने तक अलग-अलग शहरों में जाने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए नियुक्त किया गया है।
हालांकि, अभी यह रहस्य बना हुआ है कि प्रधानमंत्री खुद वरिष्ठ पत्रकारों से समूहों में मुलाकात करेंगे या नहीं। 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले मोदी ने स्वर्गीय अरुण जेटली के आवास पर वरिष्ठ संपादकों के साथ कम-से-कम तीन रात्रिभोज में भाग लिया था। मोदी के निकट भविष्य में इस तरह की बातचीत में हिस्सा लेने की फिलहाल संभावना नहीं दिख रही है।
बच सकते हैं शिवराज चौहान
लगता है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी आलाकमान ने राहत दे दी है। जब से आंतरिक सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को धूल चाटनी पड़ सकती है, तब से चौहान पर संकट के बादल छाए हुए हैं।
चौहान 2018 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ बड़ी संख्या में विधायकों के भाजपा में आने से चौहान वापस सत्ता में आ गए। कहते हैं कि आलाकमान को चौहान का उपयुक्त उत्तराधिकारी नहीं मिल पा रहा है इसलिए राजनीतिक दुष्परिणामों के बावजूद चौहान नेतृत्व करते रहेंगे।