प्रदर्शनकारियों के कंधे पर बंदूक की रणनीति
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 16, 2018 08:58 PM2018-12-16T20:58:52+5:302018-12-16T20:58:52+5:30
आतंकियों के खिलाफ भारत की जंग में कश्मीरी प्रदर्शनकारियों की हमेशा की अड़ंगा डालने की आदत का अंजाम शनिवार को दहला देने वाला रहा
आतंकियों के खिलाफ भारत की जंग में कश्मीरी प्रदर्शनकारियों की हमेशा की अड़ंगा डालने की आदत का अंजाम शनिवार को दहला देने वाला रहा. सुरक्षाबलों की फायरिंग में आधा दर्जन से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को जान गंवानी पड़ी. यह प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों द्वारा तीन आतंकियों को ढेर कर दिए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ के दौरान स्थानीय प्रदर्शनकारियों द्वारा आतंकियों को बचाने की कोशिशें कोई नई बात नहीं है. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों, पत्थरबाजों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ भी जम्मू-कश्मीर के जनजीवन का हिस्सा सा बन गई है. पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद अब पुरानी हरकतों में फिर इजाफा हुआ है. आतंकवादियों को सीमापार से मिलने वाली मदद अब कोई नई बात नहीं रह गई है.
अमेरिका ने भी इसके लिए न केवल पाकिस्तान को वक्त-वक्त पर लताड़ा है बल्कि कई बार आर्थिक मदद बंद करके वहां फाकाकशी के हालात तक बना डाले हैं. यही वजह है कि पाकिस्तान ने चीन के साथ भी हाथ मिलाने के भरसक प्रयास किए लेकिन वहां की सरजमीं पर फलता-फूलता आतंकवाद एक ऐसा खतरा है जिसने चीन को भी हिलाकर रख दिया. यह साल प्रदर्शनकारियों की मौत के लिहाज से काफी चौंकाने वाला रहा है.
धैर्य की परीक्षा में हमारे सुरक्षाबल हमेशा से खरे उतरते रहे हैं. अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा के चलते वह आमतौर पर हथियार नहीं उठाते और कोशिश करते हैं कि उनके हथियारों का रुख केवल और केवल आतंकियों पर ही केंद्रित रहे. अफसोस की बात है कि जम्मू-कश्मीर में सीमापार से आतंकियों की घुसपैठ जारी है और अब तो स्थानीय युवा भी गुमराह होने लगे हैं. पिछले दिनों आतंकियों से मुकाबले में कम उम्र के नौजवानों का मारा जाना इस बात का संकेत है कि जहर किस हद तक फैल चुका है. प्रदर्शनकारियों के कंधों पर बंदूक रखकर भारत पर निशाना साधने का कुत्सित षड्यंत्र खत्म की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता ने माहौल को और मुश्किलों भरा बना दिया है. यह भी अफसोस की बात है कि वहां के राजनीतिक दल राष्ट्रीय एकता और अखंडता की परिभाषा को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं. इस साल सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 45 से ज्यादा लोगों का मारा जाना यह बताता है कि जल्द ही अगर जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता नहीं लाई गई तो आने वाला वक्त मुश्किलों भरा होगा