लाइव न्यूज़ :

ब्लॉगः भारत-पाक मैच में दर्शकों द्वारा राष्ट्रगान का सामूहिक पाठ, भावुकता का यह सैलाब सच्चा है या राजनेताओं द्वारा फैलाई जाने वाली पारस्परिक घृणा?

By विश्वनाथ सचदेव | Updated: October 27, 2022 15:19 IST

आज मैं सोच रहा हूं भावुकता का यह सैलाब सच्चा है या हमारे राजनेताओं द्वारा धर्म और जाति के नाम पर फैलाई जाने वाली पारस्परिक घृणा? नहीं, यह कतई सही नहीं है कि हमारे देश में फैलाई जाने वाली सांप्रदायिकता हमारा स्थायी भाव है।

Open in App

भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मुकाबला हमेशा ही रोमांचक होता है, पर इस बार ऑस्ट्रेलिया में हो रहे टी-20 विश्व कप के अपने पहले ही मैच में पाकिस्तान पर भारत की जीत कुछ विशेष ही रोमांचक थी। उन करोड़ों भारतीयों में मैं भी था जो इस मुकाबले को टी.वी. पर देखकर रोमांचित हो रहे थे। पर यदि आप मुझसे पूछें कि मुकाबले का सबसे रोमांचक क्षण कौन-सा था तो मैं स्टेडियम में उपस्थित हजारों भारतीयों द्वारा किए गए राष्ट्र-गान के सामूहिक पाठ के अवसर का नाम लूंगा।

नहीं मैं इस सामूहिक गान को ‘लाइव’ नहीं देख पाया था। आखिरी गेंद पर मिली विजय के बाद मैं पठान, गावस्कर और श्रीकांत की तरह खुशी मना रहा था। बाद में टी.वी पर उस सामूहिक राष्ट्र-गान के दृश्य दिखाए गए थे। जन-गण- मन के साथ मैदान में लहराते तिरंगे को देखना भावुक बना देने वाला था। यह भावुकता दर्शकों के राष्ट्र-प्रेम को दर्शाने वाली थी।

और आज मैं सोच रहा हूं भावुकता का यह सैलाब सच्चा है या हमारे राजनेताओं द्वारा धर्म और जाति के नाम पर फैलाई जाने वाली पारस्परिक घृणा? नहीं, यह कतई सही नहीं है कि हमारे देश में फैलाई जाने वाली सांप्रदायिकता हमारा स्थायी भाव है। विभिन्न धर्मों, जातियों, भाषाओं, वर्गों वाला भारत निश्चित रूप से विभिन्नता में एकता का एक उदाहरण है। हमारी यह विभिन्नता हमारी ताकत है। लेकिन इस हकीकत से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि राजनीतिक स्वार्थों के चलते या फिर स्वयं को दूसरे से अधिक भारतीय समझने के भ्रम में जब-तब देश में सांप्रदायिकता की आग अपनी तपिश से हमें झुलसा जाती है।

सन् 2002 के गुजरात की हिंसा की बात की जाती है तो वर्ष 1984 के दिल्ली-दंगों की याद दिलाना ज़रूरी समझता है हमारा नेतृत्व। दिल्ली में जो कुछ हुआ था उसका बचाव किसी भी दृष्टि से नहीं किया जा सकता, लेकिन यदि उसे ढाल बनाकर गुजरात की हिंसा का बचाव करने की कोशिश होती है तो उसे भी किसी अपराध से कम नहीं माना जाना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में पूरा विश्वास जताते हुए भी यह कहना जरूरी लग रहा है कि अपने शब्दों से हिंसा की आग को भड़काना भी एक जघन्य अपराध है।

एक जनतांत्रिक देश में कुछ दायित्व देश के नागरिक का भी होता है। हर जागरूक और विवेकशील नागरिक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह समाज में घृणा फैलाने की कोशिशों का मुकाबला करने में पहल करें। अपने देश पर, अपनी परंपराओं पर, अपनी साझा संस्कृति पर गर्व होना चाहिए हमें। उस दिन मेलबोर्न में हुए क्रिकेट के मुकाबले में सामूहिक राष्ट्र-गान के समय छलकी राष्ट्र-प्रेम की भावना हमारे जीवन में एक स्थायी भाव बननी चाहिए।

टॅग्स :भारत vs पाकिस्तानआईसीसी टी20 वर्ल्ड कप
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटआईसीसी टी20 विश्व कप से पहले 9 मैच?, बीसीसीआई-कोच गौतम के सामने गंभीर सवाल, संजू सैमसन, जितेश शर्मा, अर्शदीप सिंह और कुलदीप यादव को प्लेइंग इलेवन में कैसे करें फिट?

क्रिकेटटी20 विश्व कप 2026ः अब्दुल समद, बाबर आजम, उस्मान खान और नसीम शाह शामिल, कप्तान सलमान अली आगा ने कहा- अब कोई बदलाव नहीं...

क्रिकेटBCCI ने आईसीसी T20 वर्ल्ड कप 2026 के लिए टीम इंडिया की नई जर्सी को किया लॉन्च

क्रिकेटICC Men’s T20 World Cup 2026: 20 टीम, 4 ग्रुप, 8 स्थल, 55 मैच, 7 फरवरी से 8 मार्च, दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद, चेन्नई, मुंबई, कोलंबो और कैंडी में मुकाबले

क्रिकेटICC T20 World Cup 2026: मुंबई का मशहूर वानखेड़े स्टेडियम T20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के कई अहम मैचों की मेजबानी करेगा, चेक करें डिटेल्स

भारत अधिक खबरें

भारतFIH Men's Junior World Cup: जर्मनी ने गोल्ड पर किया कब्जा, स्पेन के पास रजत और भारत ने जीता कांस्य

भारतगोवा अग्निकांड: गौरव और सौरभ लूथरा का पासपोर्ट रद्द करने पर विचार कर रहा विदेश मंत्रालय, गोवा सरकार ने पत्र दिया?

भारतपीएम मोदी से मिले राहुल गांधी?, मुख्य सूचना आयुक्त और 8 सूचना आयुक्तों के चयन पर बैठक, कांग्रेस सांसद ने असहमति पत्र दिया

भारतइजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी को किया फोन?, गाजा शांति योजना पर बातचीत

भारतमुख्यमंत्री माजी लाडकी बहीण योजनाः 8000 सरकारी कर्मचारियों को लाभ मिला?, अदिति तटकरे ने कहा- 12,000 से 14,000 महिलाओं ने पति खातों का किया इस्तेमाल