मादक पदार्थों की तस्करी का फैलता जाल चिंताजनक
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: October 20, 2023 09:55 AM2023-10-20T09:55:57+5:302023-10-20T10:00:15+5:30
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि लगभग 300 करोड़ रुपए के मादक पदार्थ मेफेड्रोन की जब्ती के मामले के आरोपी ललित पाटिल की गिरफ्तारी के बाद जल्द ही राज्य में उसकी मादक पदार्थ सांठगांठ पर एक ‘बड़ा खुलासा’ होगा।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि लगभग 300 करोड़ रुपए के मादक पदार्थ मेफेड्रोन की जब्ती के मामले के आरोपी ललित पाटिल की गिरफ्तारी के बाद जल्द ही राज्य में उसकी मादक पदार्थ सांठगांठ पर एक ‘बड़ा खुलासा’ होगा।
मुंबई के अलावा अब राज्य के नाशिक, ठाणे और पालघर जैसे विभिन्न शहरों में नशीली दवाओं की तस्करी गंभीर चिंता का विषय है। वैश्विक ड्रग व्यापार एक बड़ी समस्या है जिस कारण भारत सहित विश्व भर की सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियां हाई अलर्ट पर रहती हैं।
दुनिया में होने वाली मादक पदार्थों की जब्ती में भारत का हिस्सा 1.62 प्रतिशत है। जाहिर है, अधिकारियों की सांठगांठ के बिना इतने बड़े कार्टेल को संचालित नहीं किया जा सकता। मादक पदार्थों का दुरुपयोग स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है, जिसका आज दुनिया सामना कर रही है।
यह एक मनो-सामाजिक बुराई भी है, जो कि सामाजिक कलंक तो है ही, पर कई तरह के अपराध और हिंसा जैसे समाज विरोधी व्यवहार को भी जन्म देती है. मादक पदार्थों की तस्करी से बड़े पैमाने पर धन की उगाही और हेराफेरी होती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ता है।
आमतौर पर इस धन का इस्तेमाल आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए ही होता है। ये गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अवैध नशीले पदार्थों के कारण दुनिया भर में करीब 2 लाख लोग मौत का शिकार होते हैं जिनमें अधिकतर 30 वर्ष की आयु के आसपास के होते हैं।
हमारे देश में मादक पदार्थ अथवा शराब के कारण हर दिन करीब 10 आत्महत्याएं दर्ज होती हैं. नशीले पदार्थों का सेवन न केवल इसकी गिरफ्त में आने वाले व्यक्ति, बल्कि पूरे परिवार, समाज को बर्बाद कर देता है। सीमा के पार से होने वाली नशीले पदार्थों की तस्करी के परिणामस्वरूप हमारे सीमावर्ती राज्य प्रभावित हो रहे हैं।
जानकारों के अनुसार, अवैध ड्रग्स में ‘डार्क नेट’ और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इन पर नियंत्रण लगाना बड़ी चुनौती है। वहीं, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और लत से खतरों के बारे में जागरूकता और शिक्षा की कमी भी है। इस बढ़ते खतरे से निपटने हेतु सभी एजेंसियों को सम्मिलित और समन्वित प्रयास करने होंगे।