कैसिनो संचालकों की मनमानी और प्रशासन की शोचनीय बेपरवाही

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 2, 2022 13:30 IST2022-12-02T13:26:54+5:302022-12-02T13:30:42+5:30

गोवा के कसीनो कल्चर का स्याह पहलू यह है कि जुए की लत का शिकार न केवल युवा हो रहे हैं, बल्कि पूरा परिवार इसकी गिरफ्त में आ रहा है, महिलाएं भी पीछे नहीं। इनकी बढ़ती हुई तादाद परेशानी का सबब बनती जा रही है।

The arbitrariness of casino operators and the deplorable indifference of administration | कैसिनो संचालकों की मनमानी और प्रशासन की शोचनीय बेपरवाही

कैसिनो संचालकों की मनमानी और प्रशासन की शोचनीय बेपरवाही

Highlightsगोवा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां जुआ कानूनी तरीके से खेला जा सकता है।साल 1999 में यहीं पर पहला कैसिनो खोला गया था।राज्य में ऑफशोर और ऑनशोर मिलाकर 26 कैसिनो चल रहे हैं।

गोवा में बड़े पैमाने पर पहुंचने वाले पर्यटक कैसिनो क्लब में जाते हैं और अपनी किस्मत आजमाते हैं। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो गोवा जाने पर कैसिनो जाना जरूरी समझते हैं। ये कैसिनो मनोरंजन, खाना, मौज-मस्ती और रात बाहर गुजारने के अड्डे बने हुए हैं। अगर आपके पास पैसे हैं तो वहां आपके लिए बहुत कुछ हो रहा होता है। यहां लोग पोकर, तीन पत्ती, रुले, इंडियन फ्लश, बैकारट, ब्लैकजैक, पोंटून, कसीनो वार्स, मनी व्हील जैसे मनी मेकिंग गेम्स खेलते हैं। यहां शौकीन लोग करोड़ों रुपए पोकर और तीन पत्ती खेलने में उड़ा देते हैं। 

बताया जाता है कि कई लोग यहां एक रात में करोड़ों रुपए बना चुके हैं, वहीं कई कंगाल हो चुके हैं। दुर्भाग्यजनक बात यह है कि यहां पर कैसिनो संचालकों की मनमानी चल रही है और प्रशासन बेपरवाह है। गोवा में तेरह साल पहले खानपान और मनोरंजन के नाम पर कैसिनो की आमद हुई थी लेकिन धीरे-धीरे ये जुए के अड्डे बनते गए और चिंताजनक स्थिति है कि अब लोगों को इसकी लत लगती जा रही है। कैसिनो माफिया जनजीवन के साथ-साथ पणजी की मांडवी नदी का जल-जीवन भी बर्बाद करने पर आमादा हैं। इस गंभीर स्थिति को सरकार नजरअंदाज कर रही है। 

गोवा के कसीनो कल्चर का स्याह पहलू यह है कि जुए की लत का शिकार न केवल युवा हो रहे हैं, बल्कि पूरा परिवार इसकी गिरफ्त में आ रहा है, महिलाएं भी पीछे नहीं। इनकी बढ़ती हुई तादाद परेशानी का सबब बनती जा रही है। गोवा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां जुआ कानूनी तरीके से खेला जा सकता है। साल 1999 में यहीं पर पहला कैसिनो खोला गया था। फिलहाल राज्य में ऑफशोर और ऑनशोर मिलाकर 26 कैसिनो चल रहे हैं। इनमें छह ऐसे हैं जो मांडवी नदी में पानी के जहाज पर चलते हैं। रोजाना हजारों मेहमान जुए के इन अड्डों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं। 

कहना गलत न होगा कि राजस्व के संकट से जूझते राज्य के लिए कैसिनो से मिलने वाले टैक्स की रकम आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। हालांकि, गोवा की राजनीतिक पार्टियां और आम जनता भी राज्य के कैसिनो उद्योग के खिलाफ आवाज उठाती रहती हैं। निश्चित ही कैसिनो कल्चर राज्य की स्थानीय संस्कृति को भ्रष्ट कर रहा है लेकिन हर सरकार की इससे मिलने वाले राजस्व की ओर नजर रहती है।

दिवंगत मनोहर पर्रिकर जब विपक्ष में थे तब उन्होंने कहा था कि कैसिनो अपराध और देह व्यापार को बढ़ावा देते हैं और जुए से कभी अच्छा पर्यटन नहीं पनप सकता है। लेकिन तमाम विरोधों के बावजूद स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

Web Title: The arbitrariness of casino operators and the deplorable indifference of administration

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