ओ से ओटीपी, ओटीटी, ओपीडी और ऑक्सीजन

By पीयूष पाण्डेय | Published: July 3, 2021 01:42 PM2021-07-03T13:42:43+5:302021-07-03T13:45:57+5:30

जिस तरह शारीरिक रूप से जीवित रहने के लिए हमें हवा की जरूरत है, वैसे ही इन दिनों आर्थिक रूप से जीवित रहने के लिए ओटीपी की जरूरत है।

teach your children about OTP OPD OTT and Oxygen | ओ से ओटीपी, ओटीटी, ओपीडी और ऑक्सीजन

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsकोरोना काल के बाद जरूरी है कि बच्चों को ओ से ओपीडी के बारे में बताया जाए। जीवित रहने के लिए हवा की जरूरत है, वैसे ही इन दिनों आर्थिक रूप से जीवित रहने के लिए ओटीपी की जरूरत है।

अंग्रेजी वर्णमाला में एक वर्ण है-ओ। गोल-गोल। गणित के शून्य का हमशक्ल। इतना हमशक्ल कि कई बार पासवर्ड जैसी बवालिया चीजों में ओ और जीरो एक दूसरे से इतना घुलमिल जाते हैं कि जब तक उनका असल चरित्र समझ आए, तब तक पासवर्ड लॉक हो चुका होता है, लेकिन आज मसला जीरो का नहीं, ओ का है। अंग्रेजी वर्णमाला की किताबों में बच्चों को पढ़ाया जाता है-ओ से आउल यानी उल्लू। मजेदार बात ये कि लाखों बच्चों ने असली उल्लू को सिर्फ किताबों में, अलबत्ता ‘इंसानी उल्लू’ को पढ़ाई में कमजोर किसी बच्चे की अध्यापक द्वारा पिटाई के वक्त 'उल्लू है क्या' कहते हुए साक्षात देखा है।

उल्लू बहुत विशिष्ट है, लेकिन आसानी से दिखता नहीं है। बच्चों को ऐसी बात बतानी चाहिए, जिसे वो आसानी से देख सकें। मसलन-ओटीटी, ओटीपी, ओपीडी। कोरोना के दौरान जब फिल्में सिनेमाघर में प्रदर्शित नहीं हो रहीं तो बच्चों और बड़ों ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर खूब फिल्में देखीं। ओटीटी प्लेटफार्म पर फिल्म रिलीज के कई लाभ हैं। आम लोगों को बड़ा फायदा यह है कि घटिया फिल्म देखने के बावजूद बंदा बच्चों को संस्कारवान बनाए रखने के चक्कर में ढंग से गालियां नहीं देता। इसके अलावा, पॉपकॉर्न वगैरह में खर्च होने वाले उसके पैसे बच जाते हैं। वो स्क्रीन पर जूता नहीं उछाल पाता, पोस्टर नहीं फाड़ पाता और कुर्सियों की सीट नहीं फाड़ पाता अर्थात् संयम सीखता है।

जिस तरह शारीरिक रूप से जीवित रहने के लिए हमें हवा की जरूरत है, वैसे ही इन दिनों आर्थिक रूप से जीवित रहने के लिए ओटीपी की जरूरत है। बच्चों को ओ से ओटीपी के विषय में बताना चाहिए क्योंकि ये वो 'आइटम' है, जो किसी गैर के साथ शेयर करने पर बिना बंदूक के आपको लुटवा सकता है। आजकल तो वैसे भी हाल ये है कि दरवाजा खुला रखने पर जितने मच्छर घर के भीतर नहीं आते, मोबाइल ऑन रखने पर उससे ज्यादा ओटीपी आ जाते हैं।

कोरोना काल के बाद जरूरी है कि बच्चों को ओ से ओपीडी के बारे में बताया जाए। वो इतने सशक्त बनें कि अस्पताल के आउट पेशेंट डिपार्टमेंट यानी ओपीडी से ही वापस लौट सकें और उन्हें इमरजेंसी या आईसीयू जैसे विभाग में जाने की नौबत न आए।

वैसे, ओ से ये सब नहीं सिखाना तो ओ से ऑक्सीजन के बारे में बताना चाहिए। जिस तरह नेता भले पांच साल अपने क्षेत्र में न दिखें, लोकतंत्र के पर्व को संचालित करने के लिए उसकी आवश्यकता पड़ती है। उसी तरह ऑक्सीजन भले कभी दिखे नहीं, भले उसकी गंध महसूस न हो पर जिंदा रहने के लिए उसकी जरूरत होती ही है। बच्चों को सिखाइए-ओ से ऑक्सीजन।

Web Title: teach your children about OTP OPD OTT and Oxygen

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