ईश्वर अच्छे लोगों को जल्दी क्यों बुला लेता है?
By विकास मिश्रा | Updated: August 7, 2019 14:20 IST2019-08-07T14:19:26+5:302019-08-07T14:20:34+5:30
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।

ईश्वर अच्छे लोगों को जल्दी क्यों बुला लेता है?
दिल जैसे बैठा जा रहा है और मन बार-बार बस यह सवाल पूछ रहा है कि ईश्वर अच्छे लोगों को जल्दी क्यों बुला लेता है? मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि सुषमा जी हमारे वक़्त की सबसे शानदार और सलीकेदार राजनेता थीं. उनके जैसा आम आदमी का मददगार इस मौजूदा दौर में और कोई दिखाई नही देता था. किसी ने उन तक अपनी परेशानी पहुंचाई तो उस तक मदद जल्दी और जरूर पहुंचती थी.
निर्णय लेने कि विलक्षण प्रतिभा की धनी थीं वो. पिछले साल की बात है मॉरिसस में विश्व हिंदी सम्मेलन होने वाला था. उनके साथ जाने वाले प्रतिनिधि मंडल में मैं भी शामिल था। दिल्ली से हम जिस दिन रवाना होने वाले थे, उसी दिन अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया। देश गमगीन था।
सबके सामने यह सवाल था कि प्रतिनिधि मंडल जाए या न जाए? सुषमा जी ने कहा कि अटल जी ताउम्र हिन्दी की सेवा में समर्पित रहे। विश्व हिंदी सम्मेलन में जाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हां, प्रतिनिधि मंडल के साथ सुषमा जी नही गईं। वो दूसरे दिन आईं। पूरे समय सम्मेलन में रहीं। इसी दौरान पोर्ट लुइस में हम चुनिंदा पत्रकारों के साथ वो करीब डेढ़ घंटे तक थीं।
मॉरिसस, फीजी, सूरीनाम में हिंदी को लेकर बड़ी आशान्वित थीं। बड़ी योजनाएं थी उनके भीतर। इन देशों में हिंदी विश्वविद्यालय स्थापित करना चाहती थीं। संस्कृत को आम आदमी तक पहुंचाने की तमन्ना थी उनकी। कौन जानता था कि ये तमन्नाएं अधूरी रह जाएंगी! वो हमारे वक़्त की भाषा विद थीं।
संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार था लेकिन वो संस्कृत की दीवानी थीं। कहती थीं कि संस्कृत जैसी कोई दूसरी वैज्ञानिक भाषा नही। हमने अपने वक़्त का सबसे कुशल राजनेता तो खोया ही है, हिंदी का सबसे बड़ा झंडाबरदार भी खो दिया है। सुषमा जी हम आपको कभी नही भूलेंगे।
आदरांजलि