लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: नागरिकों के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं आवारा कुत्ते

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 26, 2023 13:18 IST

आक्रामक कुत्तों से बचने के प्रयास में वह जमीन पर गिरे तथा अस्पताल में तीन दिन पहले उनकी मौत हो गई। अहमदाबाद महानगरपालिका ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि सूचना मिलने पर वह आवारा कुत्तों के मामले में कार्रवाई करते हैं। 

Open in App
ठळक मुद्देआवारा कुत्तों की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैफिर वो चाहे हाल में गुजरात के उद्योगपति की मृत्यु हो या सचिन तेंदुलकर के बेटे को चोट लगनायह सभी प्रकरण कुछ आवारा कुत्तों के काटने या उनसे जान बचाने के दौरान ही यह घटना हुई है

अहमदाबाद में प्रसिद्ध उद्योगपति पराग देसाई को आवारा कुत्तों के आतंक के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी। एक बड़े चाय ब्रांड समूह के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई 15 अक्तूबर की शाम अपने निवास से चहलकदमी करने निकले लेकिन, आवारा कुत्तों का एक झुंड उनके पीछे लग गया।

इन आक्रामक कुत्तों से बचने के प्रयास में वह जमीन पर गिरे तथा अस्पताल में तीन दिन पहले उनकी मौत हो गई। अहमदाबाद महानगरपालिका ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि सूचना मिलने पर वह आवारा कुत्तों के मामले में कार्रवाई करते हैं। 

दूसरे शब्दों में महानगरपालिका आवारा कुत्तों की समस्या से नागरिकों को निजात दिलवाने के लिए अपनी ओर से कोई पहल नहीं करती, जबकि इस संबंध में कई अदालतों, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के भी स्पष्ट निर्देश हैं। यही नहीं आवारा कुत्तों की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से स्थानीय निकायों को अनुदान भी मिलता है लेकिन उसका भी उपयोग नहीं होता।

राज्य सरकारें भी यह सुनिश्चित नहीं करतीं कि इस अनुदान का स्थानीय निकाय पूरा उपयोग करे तथा आवारा कुत्तों से नागरिकों को बचाने के लिए समय-समय पर जारी किए गए दिशा-निर्देशों एवं अदालती आदेशों का कड़ाई से पालन किया जाए। 

पिछले कुछ महीनों में आवारा कुत्तों के हमले में लोगों के प्राण गंवाने की कई घटनाएं सामने आई हैं। इस साल फरवरी में हैदराबाद के चैतन्यपुरी इलाके में चार साल के बच्चे को कुत्तों ने बुरी तरह घायल कर दिया। स्थानीय प्रशासन नागरिकों की शिकायत के बाद भी खामोश रहा। नतीजा यह हुआ कि इस घटना के एक सप्ताह के भीतर हैदराबाद के ही अंबरपेठ इलाके में आवारा कुत्तों ने चार साल के एक अन्य बच्चे की जान ले ली। 

पिछले महीने फरीदाबाद में कुत्तों के हमले में ढाई साल के बच्चे सहित छह लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे। 16 मई को प्रसिद्ध पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के पुत्र अर्जुन को लखनऊ में आवारा कुत्तों ने काट लिया। 

पिछले महीने 11 तारीख को कुणाल चटर्जी नामक एक वकील हाथों में पट्टी बांधकर एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ के सामने पेश हुए। प्रधान न्यायाधीश ने उनसे हाथ में पट्टी बंधी होने का कारण पूछा तो चटर्जी ने बताया कि आवारा कुत्तों के हमले में वह घायल हुए हैं। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की खंडपीठ ने आवारा कुत्तों के आतंक को लेकर दायर सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया। 

अदालत ने इसे गंभीर समस्या करार दिया। तीन सदस्यीय इस पीठ के समक्ष सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि आवारा कुत्तों का आतंक पूरे देश में एक गंभीर समस्या बन गया है। आवारा कुत्तों की समस्या के बारे में स्थानीय प्रशासन की घोर उदासीनता बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई के दौरान सामने आई। 

आवारा कुत्तों के आतंक पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नागपुर महानगरपालिका ने जानकारी दी थी कि नागपुर में 10 हजार आवारा कुत्ते हैं और उसने 40 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी की है। जब आवारा कुत्ते ही 10 हजार हैं तो चालीस हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी कैसे हो गई। इस पर हाईकोर्ट ने नागपुर मनपा को फटकार लगाई थी। मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने आवारा कुत्तों को खाद्य सामग्री देने पर रोक लगा दी थी। 

अदालत ने निर्देश दिया था कि जिन लोगों को आवारा कुत्तों की चिंता है, वे उन्हें अपने घर ले जाएं और उनकी देखभाल करें। हाईकोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध तीन पशुप्रेमी महिलाएं सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गईं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में 6.2 करोड़ आवारा कुत्ते हैं और उनके काटने से लोगों के घायल होने पर जान गंवाने की सबसे ज्यादा घटनाएं भी भारत में ही होती हैं। 

आवारा या हिंसक कुत्तों को मारना आसान नहीं है। पशुप्रेमी संगठन उनके बचाव में सामने आ जाते हैं। इन संस्थाओं के सदस्य या अन्य पशुप्रेमियों को आवारा कुत्तों को गोद ले लेना चाहिए या उन्हें शेल्टर होम में पहुंचा देना चाहिए।

माना कि ऐसी संस्थाओं तथा संगठनों के पास संसाधन बेहद सीमित हैं लेकिन वे इस कार्य में प्रशासन की मदद कर सकते हैं। इससे आवारा कुत्तों के आतंक से मुक्ति भी मिलेगी, उनकी देखभाल भी हो सकेगी तथा सड़कों पर पैदल चलना और वाहन चलाना भी सुरक्षित हो जाएगा। आवारा कुत्तों की समस्या का व्यावहारिक समाधान जरूरी है।

 

टॅग्स :गुजरातअहमदाबादलखनऊ
Open in App

संबंधित खबरें

ज़रा हटकेVIDEO: AAP विधायक गोपाल इटालिया पर जूता फेंका, देखें वायरल वीडियो

भारतUP: ट्रैफिक रूल्स तोड़ने में नोएडा पहले और लखनऊ दूसरे स्थान पर, राज्य में दस माह में 1.27 करोड़ लोगों का चालन, इनमें एक भी पुलिसवाला नहीं

भारतBhavnagar Complex Fire: आग ने कई अस्पतालों को अपनी चपेट में लिया, चादरों में लिपटे बच्चों को खिड़कियों से बचाया गया, देखें भयावह वीडियो

भारतGujarat: भावनगर में पैथोलॉजी लैब में भीषण आग, बुजुर्गों और बच्चों को बचाने का रेस्क्यू जारी; दमकल की टीमें मौजूद

ज़रा हटकेVIDEO: ट्रेन के नीचे कपल कर रहा था रोमांस, अचानक ट्रेन चल पड़ी, देखें वीडियो

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत