Social media: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट के कारण कभी सांप्रदायिक तो कभी जातीय सद्भाव का बिगड़ना बेहद चिंताजनक है. आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जहां कुछ असामाजिक तत्वों की भड़काऊ टिप्पणियों के कारण पूरे समाज की शांति भंग हो जाती है.
ताजा मामला सतारा जिले का है जहां खटाव तहसील के एक गांव में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर रविवार रात दो समुदायों के बीच झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा 10 लोग घायल हो गए. हालांकि सोशल मीडिया पर समाज का माहौल बिगाड़ने वाली टिप्पणियां करने के खिलाफ लोगों को कई वर्षों से शासन-प्रशासन द्वारा आगाह किया जा रहा है और दोषियों के लिए कानून की अलग-अलग धाराओं के तहत सजा का भी प्रावधान है. लेकिन चिंता की बात यह है कि इस तरह की घटनाएं कम होने के बजाय दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही हैं.
शायद इसी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में सोशल मीडिया पर अभद्र पोस्ट मामले में सुनवाई करते हुए सख्ती दिखाई. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले माफी मांग कर बच नहीं सकते और उन्हें सजा मिलना जरूरी है. यह विडंबना ही है कि जो सोशल मीडिया समाज के लिए वरदान का काम कर सकता है, उसे कुछ लोग अभिशाप बनाने पर तुले हुए हैं.
यह सच है कि सोशल मीडिया आज अधिकांश लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. उसका लोगों के बीच संचार और जानकारी साझा करने के लिए उपयोग किया जाता है. उस पर साझा की जाने वाली जानकारी कुछ ही समय में बहुत बड़े जनसमुदाय तक फैल सकती है. लेकिन सोशल मीडिया की इस ताकत का उपयोग कुछ लोग झूठी खबरें और अफवाहें फैलाने के लिए कर रहे हैं.
अक्सर ऐसा देखा गया है कि उत्तेजक और भ्रामक सामग्रियों के तथ्यों की वास्तविकता की पड़ताल किए बिना ही लोग उसे आगे फैलाते रहते हैं और इस तरह किसी चीज के दुष्प्रचार में जाने-अनजाने सहभागी बन जाते हैं. इसलिए आज के समय में हर व्यक्ति को एक जागरूक नागरिक बनना चाहिए और भ्रामक व उत्तेजक सोशल मीडिया पोस्ट को फारवर्ड करने से बचना चाहिए.