ब्लॉग: आजादी के वर्तमान अमृत काल में सेंगोल के मायने

By अवधेश कुमार | Published: May 29, 2023 12:11 PM2023-05-29T12:11:02+5:302023-05-29T12:11:39+5:30

Significance of Sengol in present time of India's independence and new Parliament | ब्लॉग: आजादी के वर्तमान अमृत काल में सेंगोल के मायने

ब्लॉग: आजादी के वर्तमान अमृत काल में सेंगोल के मायने

नए संसद भवन में और वह भी आजादी के अमृत वर्ष में सेंगोल का स्थापित होना अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है. सेंगोल दरअसल संस्कृत का राजदंड ही है. हालांकि सेंगोल की सच्चाई सामने आने के बाद कहा जा रहा है कि सी. राजगोपालाचारी ने चोल वंश के सत्ता हस्तांतरण की परंपरा को ध्यान में रखते हुए नेहरूजी को इसका सुझाव दिया था. इसकी पूरी कथा हमारे सामने नहीं है किंतु निश्चय ही अनेक लोगों से उस पर विचार-विमर्श हुआ होगा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए.

केवल चोल शासन के दौरान ही नहीं, वैदिक काल से लेकर लंबे समय तक हमारे यहां सत्ता हस्तांतरण या राज्यारोहण के दौरान ज्ञानी पंडित जनों द्वारा राजदंड प्रदान किए जाने तथा इसके माध्यम से राष्ट्र, शासन और जनता के प्रति कर्तव्यों की सीख देने के विवरण हैं. यह विशिष्ट और सिद्ध मंत्र से अभिषिक्त तथा शुद्ध धार्मिक नियमों से निर्मित ऐसा दंड था जिसके बारे में माना जाता था कि जहां यह है वहां इसका प्रभाव पूरे माहौल को सकारात्मक और प्रेरक बनाए रखता है.  

सेंगोल शब्द तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से निकला है जिसका अर्थ होता है, ‘नीति-परायणता’. सेंगोल राजदंड है. जब एक राजा दूसरे राजा को सत्ता सौंपता था तो सेंगोल भी सौंपता था. हमारे मनीषियों ने अंग्रेजों से 14 अगस्त, 1947 की रात्रि में सत्ता हस्तांतरण इसी पारंपरिक रीति-रिवाज से कराया. 14 अगस्त, 1947 की आधी रात तमिल अधिनमों यानी पुरोहितों ने ही सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में पहले वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन और फिर उनसे लेकर पंडित नेहरू को सौंपा था. पूरी प्रक्रिया शुद्ध कर्मकांडीय तरीकों से संपन्न हुई थी.  

जरा सोचिए, कितनी साधना के बाद यह परंपरा विकसित की गई होगी. सेंगोल के निर्माण के पूर्व कर्मकांड, निर्माण के बीच, निर्माण होने के बाद और फिर सौंपने के समय. भारत देश की अंतःशक्ति धर्म और अध्यात्म है. ज्ञानी जनों ने अपनी साधना से ऐसे मंत्र और विधियां विकसित कीं जिनकी सूक्ष्म शक्तियों से मनुष्य की मनोस्थिति और वातावरण को बदला जा सकता है. पांच फुट लंबा सेंगोल चांदी से बना है और उस पर सोने की परत चढ़ाई गई है. 

इसमें नंदी न्याय के पोषक के साथ राष्ट्र की शक्ति, एकता और अखंडता का प्रतीक है. अगर विद्वान पंडितों की मानें तो यह आशाओं और अनंत संभावनाओं के साथ एक सशक्त, स्वतंत्र, समृद्ध और न्यायपूर्ण राष्ट्र के निर्माण के संकल्प की अंतःशक्तियों से परिपूर्ण है. यह देश के सर्वांगीण कल्याण की भावनाओं तथा सत्तासीन को हर क्षण दायित्वों के प्रति सचेष्ट रहने को प्रेरित करने वाला दंड है.

Web Title: Significance of Sengol in present time of India's independence and new Parliament

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