पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने फौरी कार्रवाई बतौर पाकिस्तान से व्यापार में एमएफएन अर्थात सर्वाधिक तरजीह वाले देश का दर्जा वापस ले लिया और उस पर कूटनीतिक दबाव बनाते हुए दुनिया भर को इस आतंकी कृत्य में उसके लिप्त होने की जानकारी दी, ताकि उसकी आतंकी गतिविधियों के चलते उसे अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग किया जा सके.
पाकिस्तान के उच्चायुक्त को विदेश सचिव विजय गोखले ने तलब कर पुलवामा आतंकवादी हमले के मद्देनजर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ त्वरित तथा दिखाई देने वाली कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया और कहा कि उसे तुरंत आतंकवाद से जुड़े गुटों और लोगों को अपनी धरती से काम करने देना बंद करना होगा. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने पुलवामा अटैक में शहीद जवानों की शहादत के बाद देश को भरोसा दिलाया कि हमले के बाद जो देश की अपेक्षाएं हैं, कुछ कर गुजरने की भावनाएं हैं, वो स्वाभाविक हैं.
हमारे सुरक्षा बलों को इस मामले में पूर्ण स्वतंत्नता दे दी गई है. दरअसल कूटनीतिक दबाव के साथ-साथ जरूरी है कि भारत अपने रक्षा तंत्न को मजबूत करे, वैसे तर्कसंगत बात यही है कि युद्ध कोई समाधान नहीं है, अलबत्ता सर्जिकल स्ट्राइक कई मामलों में समाधान जरूर हो सकता है. अपने आंतरिक सुरक्षा तंत्न को अधिक प्रभावी बनाएं ताकि प्रशासन के हर स्तर पर बेहतर सामंजस्य हो.
चिंता की बात यह है कि इस नृशंस हमले के दोषी कश्मीरी युवा को जैश ने ही लगभग एक वर्ष पूर्व आतंकी बनाया और हमले के वक्त भी जैश के आतंकियों ने उसको घेरा दिया. इन हालात में सरकार को कुछ भटके हुए कश्मीरी युवाओं के दिमाग में जहर भरने से रोकने के लिए विशेष कदम उठाने होंगे. साथ ही आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने वाले प्रदेश के कुछ असामाजिक तत्वों से निपटने के नए तौर-तरीकों पर भी सोचना होगा.