शीलेश शर्मा का ब्लॉग: अहमद पटेल- एक कुशल रणनीतिकार का चला जाना
By शीलेष शर्मा | Published: November 27, 2020 09:59 AM2020-11-27T09:59:04+5:302020-11-27T10:06:13+5:30
अहमद पटेल का जाना कांग्रेस के लिए बड़े हादसे की तरह है. वे कांग्रेस के स्तंभ, रणनीतिकार और संकट मोचक थे. पत्रकारों से भी खुल कर चर्चा करते थे. पत्रकारों से उनकी राय जानते और गंभीरता से मनन करते.
1980 की वह शाम जब मरहूम जीतेन्द्र प्रसाद के आवास पर अहमद भाई से मेरी पहली मुलाकात हुई. जीतेन्द्र प्रसाद तब दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे थे और उसी समय अहमद भाई ने भी चुनाव जीता था. जीतेन्द्र प्रसाद से मेरे पारिवारिक रिश्ते थे जिसके कारण धीरे-धीरे अहमद भाई से भी रिश्ते प्रगाढ़ होते चले गए.
जब-जब मुझे किसी कांग्रेस से जुड़ी खबर की पुष्टि करनी होती थी तो मैं सीधे अहमद भाई से संपर्क करता था. उनकी तत्परता इतनी थी कि वे तुरंत जवाब देते, या जवाब देने में देरी होती तो वे देर रात फोन से संपर्क कर बड़ी विनम्रता से क्षमायाचना करते हुए मेरी जिज्ञासा शांत करते.
कांग्रेस के स्तंभ, रणनीतिकार और संकट मोचक
अहमद भाई के साथ दिनोंदिन रिश्ते इतने निकट होते चले गए कि मेरी पुत्री के विवाह में उन्होंने घंटों बिताए तथा वहां मौजूद पत्रकारों से जमकर भोजन पर चर्चा की. अहमद भाई कांग्रेस के स्तंभ, रणनीतिकार और संकट मोचक थे. उत्तर प्रदेश से जुड़ा जब भी कोई मसला उठता, वे अक्सर मुझे बुलाकर लंबी चर्चा करते ताकि उस मुद्दे की जड़ तक पहुंच सकें.
यह केवल मेरे साथ नहीं था, यह उनकी शैली का हिस्सा था. वे पत्रकारों से उनकी राय जानते और गंभीरता से मनन करते. एक बार मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सलाह दी कि वे एक थिंक टैंक स्थापित करें जो पार्टी को जमीनी हकीकत से रूबरू करा सके. सोनिया गांधी ने अहमद पटेल को बुलाकर ऐसा ही करने को कहा, परंतु किन्हीं कारणों से वे उस पर अमल नहीं कर सके.
जिस समय तेलंगाना को पृथक राज्य बनाने की मांग उठ रही थी, उस समय उन्होंने मुझे जिम्मेदारी सौंपी कि मैं आंध्र के कांग्रेसी सांसदों से संपर्क कर उनके विचार पता करूं. मैंने ऐसा ही किया. उसी समय मैंने अहमद भाई को सुझाया कि वे सांसद के.आर.जी.रेड्डी को बुलाकर बात करें.
समय तय हुआ, के.आर. जी.रेड्डी ने मुलाकात की, जयपाल रेड्डी से भी बातचीत हुई, इधर वे अन्य नेताओं से भी मिले और उसी के बाद आंध्र प्रदेश के सांसदों के विरोध के बावजूद तेलंगाना को पृथक राज्य बनाने का निर्णय घोषित हो गया.
दोस्तों के दोस्त थे अहमद पटेल
अहमद पटेल मित्रों के मित्र थे. वे मित्रता निभाते थे बिना किसी हिचक के. अक्सर उनसे मुलाकात का समय रात का तय होता था लेकिन जब मुलाकात होती थी तो लंबी चर्चा के बाद समाप्त होती. राजनीतिक मामलों से लेकर व्यक्तिगत मामलों तक वे दिल खोल कर बात करते.
अहमद पटेल का जाना कांग्रेस के लिए जितना बड़ा हादसा है, उतनी ही बड़ी क्षति मेरे लिए एक सच्चे मित्र के जाने की है. मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं.