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Republic Day 2025: ऐसे बदलती रही गणतंत्र दिवस परेड की शक्ल

By विवेक शुक्ला | Updated: January 23, 2025 06:38 IST

Republic Day 2025: मशहूर कमेंटेटर जसदेव सिंह ने दशकों तक गणतंत्र दिवस परेड का रेडियो और टीवी के लिए आंखों देखा हाल सुनाया.

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ठळक मुद्देपरेड देखने वाले दर्शकों को झांकियां बहुत मोहित करती थीं.सम्मानों से सम्मानित रणभूमि के वीरों का हर्षध्वनि से स्वागत करते. आतंकवाद के पनपने के बाद बहुत कुछ बदल गया.

Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस पर परेड निकलने का सिलसिला 1955 से चालू हुआ था. देश ने अपने पहले चार गणतंत्र दिवस समारोह नेशनल स्टेडियम, लाल किला और रामलीला मैदान में ही मनाए थे. वक्त के गुजरने के साथ  फिर परेड में बालवीर पुरस्कार विजेता, झांकियां, मोटरसाइकिलों पर करतब दिखाते सेना और अर्धसैनिक बलों के जवान और अन्य चीजें जुड़ती रहीं. गणतंत्र दिवस परेड का विस्तार होता रहा. ब्रिगेडियर चितरंजन सावंत ने गणतंत्र दिवस परेड की 1980 से लेकर 2023 तक कमेंट्री की थी. वे बताते थे कि एक दौर में परेड देखने वाले दर्शकों को झांकियां बहुत मोहित करती थीं.

दर्शक विक्टोरिया क्रॉस और अन्य सम्मानों से सम्मानित रणभूमि के वीरों का हर्षध्वनि से स्वागत करते. फिर मोटरसाइकिलों पर निकलने वाले जांबाज सैनिकों के करतबों को देखकर भी वे गर्व महसूस करने लगे. गणतंत्र दिवस के समय राजधानी में पड़ने वाला जाड़ा उन हजारों-लाखों लोगों को हतोत्साहित नहीं कर पाता है, जो परेड को साक्षात देखते हैं.

मशहूर कमेंटेटर जसदेव सिंह ने दशकों तक गणतंत्र दिवस परेड का रेडियो और टीवी के लिए आंखों देखा हाल सुनाया. वे कहते थे कि पंजाब में आतंकवाद के दौर से पहले कर्तव्यपथ ( पहले राजपथ) पर आम इंसान भी मजे में पहुंच जाता था. पुलिस की सांकेतिक उपस्थिति रहती थी. उधर खोमचे वाले भी दिखाई देते. पर आतंकवाद के पनपने के बाद बहुत कुछ बदल गया.

फिर सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त हो गई कि आम जन के लिए कर्तव्यपथ पहुंचना पहले जैसा तो नहीं रहा. गुजरे 20-25 साल पहले तक 26 जनवरी को सुबह चार-साढ़े बजे तक हजारों लोग कर्तव्यपथ और परेड के मार्ग पर पहुंच जाते थे. इनमें हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोग भी होते थे. उनके लिए परेड को देखना मानो किसी पर्व पर व्रत रखने के समान ही होता था.

गणतंत्र दिवस परेड का श्रीगणेश कर्तव्यपथ से ही क्यों होता है? दरअसल  कर्तव्यपथ भारत के औपनिवेशिक काल से लेकर स्वतंत्र और गणतंत्र होने के सफर का महत्वपूर्ण प्रतीक है. इंडिया गेट भारत के उन शहीदों की याद दिलाता है, जिन्होंने देश के लिए अपनी जानों के नजराने पेश किए. चूंकि राजपथ से गणतंत्र दिवस परेड का श्रीगणेश होता है, इसलिए इसे आप देश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सड़क मान सकते हैं.

राजपथ शुरू होता है रायसीना हिल पर स्थित राष्ट्रपति भवन से. राजपथ से इंडिया गेट के बीच में विजय चौक आता है. ये परेड का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है. इसके बीच में परेड राष्ट्रपति को सलामी देते हुए राजधानी की सड़कों से होते हुए लाल किले पर समाप्त होती है.

संसद पर 13 दिसंबर, 2001 को हुए हमले के बाद साल 2002 की गणतंत्र दिवस परेड के रूट को सरकार ने बदल दिया था. इस तरह से पहली बार परेड का रूट बदला गया था. परेड के रूट को छोटा कर दिया गया था. तब से परेड इंडिया गेट से आईटीओ, दरियागंज होते हुए लाल किले पर समाप्त होने लगी. इस तरह परेड ने कनॉट प्लेस में आना बंद कर दिया.

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