शशिधर खान का ब्लॉगः एक साथ और अलग अलग चुनाव की दुविधा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 3, 2019 09:35 PM2019-07-03T21:35:06+5:302019-07-03T21:35:06+5:30
कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग की 15 जून की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और शीर्ष कोर्ट से अर्ज किया कि चुनाव आयोग को सभी राज्यों में सभी रिक्त सीटों के लिए एक साथ चुनाव कराने का निर्देश दिया जाए और इस अधिसूचना को रद्द किया जाए.
शशिधर खान
गुजरात में दो राज्यसभा सीटों के लिए अलग-अलग चुनाव कराने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के जवाब में चुनाव आयोग ने दलील दी कि कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो कहता हो कि इन दोनों सीटों का चुनाव अलग-अलग नहीं कराया जाना चाहिए. गुजरात में कांग्रेस विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता परेशभाई धनानी की ओर से इस संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के जवाब में चुनाव आयोग ने गुजरात की दो रिक्त राज्यसभा सीटों के लिए एक साथ चुनाव नहीं कराने के अपने फैसले को सही ठहराया.
कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग की 15 जून की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और शीर्ष कोर्ट से अर्ज किया कि चुनाव आयोग को सभी राज्यों में सभी रिक्त सीटों के लिए एक साथ चुनाव कराने का निर्देश दिया जाए और इस अधिसूचना को रद्द किया जाए.
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में ऐसे समय में दायर की गई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘एक देश एक चुनाव’ नारे के तहत एक साथ चुनाव कराने पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा कर रहे थे. उसी क्रम में बिहार की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए चुनाव अलग हुआ. गुजरात के लिए अलग तारीख तय की गई.
उत्तर प्रदेश की 12 रिक्त विधानसभा सीटों के लिए अलग से चुनाव होना है. प्रधानमंत्री की ही ‘एक देश एक चुनाव’ चर्चा के दौरान गुजरात के कांग्रेस नेता ने विभिन्न राज्यों की सभी राज्यसभा, विधानसभा सीटों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी. ‘एक देश एक चुनाव’ चर्चा और अलग-अलग चुनाव भी जारी है. चुनाव आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलीलों में से दो गौर करने और आम मतदाताओं की समझ में आने लायक हैं.
एक तो यह कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. चुनाव आयोग की दूसरी दलील ये है कि ऐसा कोई कानून नहीं है, जो कहता हो कि गुजरात में इन दो सीटों के लिए अलग-अलग चुनाव नहीं होने चाहिए. चुनाव आयोग ने इन दोनों सीटों की ‘आकस्मिक रिक्तियां’ इसका कारण बताया.
चुनाव आयोग की इस दलील के पीछे राजनीतिक कानून काम कर रहा है. गुजरात विधानसभा का अंकगणित कहता है कि राज्यसभा की दोनों सीटों के लिए अगर एक साथ चुनाव होते तो भाजपा एक ही सीट जीत पाती. अलग-अलग चुनाव होने पर दोनों सीटों पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही थी. ये दोनों सीटें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने से रिक्त हुईं. भाजपा राज्यसभा की दोनों सीटों पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है.