राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉगः इस कठिन समय में हमें सीखना होगा कि निर्भय कैसे रहें
By राजिंदर सिंह महाराज | Published: April 19, 2020 06:57 AM2020-04-19T06:57:48+5:302020-04-19T06:57:48+5:30
हम सबके लिए वर्तमान समय मुश्किलों और तनाव से भरा हुआ है. अत्यधिक डर और चिंता का वातावरण हमारी भावनाओं पर हावी होता जा रहा है. दुनियाभर में लोगों का जीवन पूरी तरह ठहर-सा गया है...
हम सबके लिए वर्तमान समय मुश्किलों और तनाव से भरा हुआ है. अत्यधिक डर और चिंता का वातावरण हमारी भावनाओं पर हावी होता जा रहा है. दुनियाभर में लोगों का जीवन पूरी तरह ठहर-सा गया है. हर इंसान यह सोचकर चिंतित है कि आने वाले दिनों में क्या होगा. लोग अपने स्वास्थ्य और अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य को लेकर काफी घबराए हुए हैं. इन हालात में हम तमाम तरह के भय से स्वयं को कैसे मुक्त रखें? आइए पहले समझें कि हम डरते क्यों हैं.
डर या तो संदेह के कारण पैदा होता है या किसी अज्ञात आशंका से. हमारी यह चिंता कि अगले पल क्या होगा, डर को हमारे अंदर लाती है. जब हमें स्वयं पर संदेह होता है तो हमें डर होता कि कहीं हमसे कोई गलती न हो जाए या हम कोई गलत निर्णय न ले लें. जब हमें संदेह होता है कि हमारे प्रयास यदि हमारे अनुकूल न हुए तो क्या असर होगा. जब हम संसार को चलाने वाली ताकत के अस्तित्व पर संदेह करने लगते हैं तो हमें किसी न किसी दुर्घटना का डर बना रहता है.
वास्तविकता की अपेक्षा हमें यह सोच भयभीत करती है कि आगे क्या होगा. जिन्हें मौत से डर लगता है, वास्तव में वे किसी अज्ञात से डरते हैं. किसी न किसी रूप में यह डर हमें निगलने को हमेशा तैयार रहता है. लोग अज्ञात से डरते हैं क्योंकि यह दर्दनाक या दुखदायी हो सकता है. वे नहीं जानते कि भविष्य के गर्भ में क्या है, इसलिए चिंता और डर अपनी पैठ बनाने लगते हैं.
जीवन में निर्भयता कैसे लाएं? हमारी आत्मा, जो पूर्णतया चैतन्य है, परम पिता परमात्मा का अंश होने के कारण निर्भय है. चूंकि प्रभु चेतनता के महासागर हैं और आत्मा उनसे एकरूप है, इसलिए यह परमात्मा का ही लघु रूप है. प्रभु भय से रहित हैं और इसलिए आत्मा भी निर्भय है. जब हम अपनी आत्मा के सम्पर्क नहीं रहते तो डर से घिर जाते हैं. आत्मा सत्य है और चेतन स्वरूप है. पूर्ण सत्य के साथ जुड़े रहने का अर्थ है किसी भी तरह के डर का न रहना. आत्मा के लिए डर जैसी कोई चीज नहीं.
हमें यह समझना होगा कि वास्तव में शक्ति से भरपूर हमारी आत्मा ही सभी चुनौतियों का सामना करती है. यदि हम आत्मा की इस शक्ति से जुड़ पाएं तो हर तरह के डर से जीत सकते हैं और हम एक स्थायी शांति और सुरक्षा के घेरे में रहने लगते हैं. हमारी आत्म-शक्ति, पिता-परमेश्वर से एकमेक होने के कारण सदा हमारे साथ होती है और जीवन की चुनौतियों में हमारी मददगार बनती है. जरूरत केवल इस बात की है कि हम खामोशी से बैठें और आत्मा की शक्ति का अनुभव करें. एक बार हम अपनी आत्म-शक्ति को पहचान लें तो हमारा जीवन प्रेम, खुशी, निर्भयता और आस्था से भर उठता है.