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राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉगः बाहरी सफाई के साथ करें मन की भी सफाई

By राजिंदर सिंह महाराज | Updated: November 4, 2021 11:17 IST

हम अपने आप मन को तब तक शांत नहीं कर सकते, जब तक हमें किसी पूर्ण सद्गुरु की मदद न मिले। एक पूर्ण सद्गुरु हमारी मदद कैसे करते हैं? सबसे पहले वे हमें पवित्न नाम से जोड़ते हैं।

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दिवाली खुशियों का त्यौहार है। इतिहास से हमें पता चलता है कि आज के दिन बड़े-बड़े संतों-महात्माओं के जीवन में अनेक घटनाएं हुई हैं। दिवाली से कुछ दिन पहले हम अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। अपने घर की सफाई के दौरान हम उन चीजों को बाहर निकालते हैं जो हमारे लिए उपयोगी नहीं होतीं। अगर हम अपने साथ बहुत सा अनावश्यक सामान ढोते फिर रहे हैं या उन चीजों की ओर ध्यान देने में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं जो हमें कोई लाभ नहीं पहुंचातीं तो इसका मतलब यह है कि हम ऐसी जिंदगी जी रहे हैं जिसमें कि हमारा अपने जीवन लक्ष्य के प्रति कोई ध्यान नहीं है। ऐसी अवस्था में हमारे अंदर हर वक्त एक संघर्ष चलता रहता है, जिसमें एक ओर हमारा मन इस बाहरी संसार में लिप्त रहना चाहता है तो दूसरी ओर हमारी आत्मा अंतर में परमात्मा को पाना चाहती है। हमारी आत्मा मन द्वारा उत्पन्न गंदगी को साफ करने की कोशिश करती रहती है। हमारा मन पांच चोरों काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार की मदद से हमारे अंदर गंदगी पैदा करता है।

हम अपने आप मन को तब तक शांत नहीं कर सकते, जब तक हमें किसी पूर्ण सद्गुरु की मदद न मिले। एक पूर्ण सद्गुरु हमारी मदद कैसे करते हैं? सबसे पहले वे हमें पवित्न नाम से जोड़ते हैं। जब हम ध्यान-अभ्यास के दौरान अपने सद्गुरु द्वारा दिए गए इन नामों का जाप करते हैं तो इससे हमारा मन शांत होता है, जिससे कि हम अपने अंदर प्रभु की ज्योति व श्रुति का अनुभव करते हैं। दूसरा, सद्गुरु हमें यह भी समझाते हैं कि निष्काम सेवा करने से हम मन के दुष्प्रभावों से मुक्ति पा सकते हैं और अपने मन पर नियंत्नण रख सकते हैं जिससे कि हमारी आत्मा भी साफ बनी रहती है। अपने सद्गुरु के मार्गदर्शन में ही हम अपने जीवन को सही दिशा की ओर ले जाकर सही मायनों में दिवाली का त्यौहार मना सकते हैं।

सभी धर्मो की बुनियादी शिक्षाओं में हमें समझाया गया है कि जैसे हम बाहरी दिवाली मनाते हैं, ठीक उसी प्रकार हम अपने अंतर में भी दिवाली मना सकते हैं। दिवाली के त्यौहार पर हम जो दीये और पटाखे जलाते हैं वो सब हमारे अंतर में मौजूद प्रभु की ज्योति और श्रुति का प्रतीक हैं। तो आइए! दिवाली के इस त्यौहार पर हम बाहरी सफाई के साथ-साथ अपने अंदर की भी सफाई करें और सबसे जरूरी कि हम ध्यान-अभ्यास में भी समय दें, ताकि हमें प्रभु की ज्योति और श्रुति का अनुभव हो जिससे कि हम सच्चे मायनों में दिवाली के इस त्यौहार को मना सकें।

टॅग्स :दिवाली
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