राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं जटायु के वंशज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 6, 2020 07:38 AM2020-03-06T07:38:33+5:302020-03-06T07:38:33+5:30

भारत जैवविविधता से परिपूर्ण देश है, जहां पूरी दुनिया का आठ फीसद जैवविविधता वाला भाग मौजूद है. गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्न या इको सिस्टम के लिए बेहद जरूरी हैं. गिद्ध को आहार श्रृंखला के सर्वोच्च स्थान पर आंका गया है. गिद्ध मृतोपजीवी पक्षी है, जिसका पाचनतंत्न मजबूत होता है, जिससे यह रोगाणुओं से परिपूर्ण सड़ा गला मांस भी पचा जाते हैं और संक्रामक रोगों का विस्तार रोकते हैं. 

Rajesh Kumar Yadav blog: Jatayu's descendants Vultures are growing slowly in India | राजेश कुमार यादव का ब्लॉग: धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं जटायु के वंशज

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

विलुप्त होने के कगार पर खड़े जटायु के वंशज गिद्धों की संख्या में अब बढ़ोत्तरी होने लगी है. जंगलों में गिद्धों की संख्या बढ़ने से इनके संरक्षण के लिए चलाए जा रहे प्रयास सार्थक साबित होने लगे हैं जो पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अच्छी खबर मानी जा रही है. 

यह दावा हाल में ही एनटीसीए के स्तर से कराई गई गणना के अनुसार किया जा रहा है. भारत सरकार ने गिद्धों के संरक्षण के लिए एक्स-सीटू संरक्षण कार्यक्रम चला रखा है, जिसका उद्देश्य साल 2030 तक भारत में गिद्धों की पर्याप्त संख्या हासिल करना है. इसमें संरक्षित प्रजनन और सुरक्षित प्राकृतिक आवास मुहैया कराना शामिल है. 

वर्तमान में ऐसे प्राकृतिक क्षेत्नों को चिन्हित किया जा रहा है जहां गिद्धों की प्राकृतिक आबादी है और नए गिद्ध जन्म ले रहे हैं. ऐसे क्षेत्नों के आस-पास डाइक्लोफिनेक-मुक्त भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित कर उन्हें गिद्ध सुरक्षित क्षेत्न घोषित किया जाना है.

भारत जैवविविधता से परिपूर्ण देश है, जहां पूरी दुनिया का आठ फीसद जैवविविधता वाला भाग मौजूद है. गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्न या इको सिस्टम के लिए बेहद जरूरी हैं. गिद्ध को आहार श्रृंखला के सर्वोच्च स्थान पर आंका गया है. गिद्ध मृतोपजीवी पक्षी है, जिसका पाचनतंत्न मजबूत होता है, जिससे यह रोगाणुओं से परिपूर्ण सड़ा गला मांस भी पचा जाते हैं और संक्रामक रोगों का विस्तार रोकते हैं. 

90 के दशक तक भारत में लगभग 40 लाख गिद्ध थे. लेकिन धीरे-धीरे ये विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए. इसलिए सरकार ने इनके बचाव के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू किया, जिसके परिणाम उत्साहजनक हैं. 

गिद्ध दीर्घायु होते हैं लेकिन प्रजनन में बहुत समय लगाते हैं. गिद्ध प्रजनन में पांच वर्ष की अवस्था में आते हैं. एक बार में एक से दो अंडे पैदा करते हैं लेकिन अगर समय खराब हो तो एक ही चूजे को खिलाते हैं. यही कारण है कि भारतीय गिद्ध की आबादी तेजी से नहीं बढ़ रही है. भारत में इस समय तीन गिद्ध प्रजनन केंद्र पिंजौर (हरियाणा), राजाभातखवा (पश्चिम बंगाल) और रानी (असम) में चलाए जा रहे हैं.

Web Title: Rajesh Kumar Yadav blog: Jatayu's descendants Vultures are growing slowly in India

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