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ब्लॉग: भारत जोड़ो यात्रा के बीच 24 दिसंबर से 3 जनवरी तक राहुल गांधी का लम्बा ब्रेक! आखिर क्यों पड़ी जरूरत?

By हरीश गुप्ता | Updated: December 22, 2022 14:48 IST

24 दिसंबर से 3 जनवरी तक राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा में नौ दिनों के लंबे ब्रेक ने सभी को चौंका दिया है. पार्टी में किसी को कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है.

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सरकार और न्यायपालिका के बीच एक अभूतपूर्व द्वंद्व के अंतिम परिणाम का देश सांस रोककर इंतजार कर रहा है. उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्तियों और तबादलों में प्रभावी भूमिका निभाने की मोदी सरकार की नए सिरे से इच्छा के कारण मामला हाल ही में भड़क गया है. 

2014 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को अधिनियमित करने का प्रधानमंत्री का पहला प्रयास विफल रहा क्योंकि संविधान पीठ ने यह कहते हुए इसे नकार दिया कि कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त नहीं किया जाएगा. 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी की शानदार जीत के बाद उम्मीद की जा रही थी कि उनकी सरकार एनजेएसी-2 लाएगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अचानक केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजु जाग गए और उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया में कहीं भी जज ही जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं. 

नवंबर 2022 में एक समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के साथ मंच साझा करते हुए रिजिजु ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान की भावना के खिलाफ है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ‘कॉलेजियम प्रणाली को पटरी से उतारने’ के खिलाफ चेतावनी दी. परंतु झुके बिना रिजिजु ने एक टीवी शो में अपना पक्ष दोहराया और संसद के अंदर भी लड़ाई लड़ी. 

उन्होंने घोषणा की, ‘जब तक न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव नहीं होता, तब तक उच्च न्यायिक रिक्तियों का मुद्दा उठता रहेगा.’ मानो इतना ही काफी नहीं था, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी राज्यसभा में यही विचार व्यक्त किए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले को छोड़ा नहीं और आगे कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम पर सार्वजनिक रूप से उच्च संवैधानिक पदाधिकारियों की टिप्पणी ठीक नहीं है. कॉलेजियम प्रणाली ‘देश का कानून’ है जिसका पालन किया जाना चाहिए. लेकिन किरण रिजिजु हार मानने वालों में से नहीं थे और न्यायपालिका को आईना दिखाने के लिए प्रतिबद्ध दिखे. 

संसद में प्रश्नकाल के दौरान सवालों का जवाब देते हुए रिजिजु ने अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों का मुद्दा उठाया. रिजिजु ने जजों के छुट्टियों पर जाने के मामले को भी छुआ. उन्होंने कहा, ‘लोगों में यह भावना है कि लंबी अदालती छुट्टियां न्याय चाहने वालों के लिए बहुत सुविधाजनक नहीं हैं.’ मानो इतना ही काफी नहीं था, रिजिजु ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत याचिकाओं को हाथ में लेने पर भी सवाल उठाया. लेकिन अपनी स्पष्ट प्रतिक्रिया में चंद्रचूड़ ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई मामला बहुत छोटा नहीं है.’ 

उन्होंने पूछा, ‘यदि हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों को नहीं सुनते हैं और राहत नहीं देते हैं, तो हम यहां क्या कर रहे हैं.’ सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए एक और असामान्य कदम उठाया कि इस सर्दी में कोई ‘अवकाश बेंच’ उपलब्ध नहीं होगी. आम तौर पर, सुप्रीम कोर्ट वादियों की सुविधा के लिए छुट्टियों के दौरान दो अवकाश पीठ प्रदान करता रहा है. 

इसके बाद से सरकार चुप है. अनुमान लगाया जा रहा है कि कहीं सरकार बजट सत्र के दौरान एनजेएसी-2 लाने के लिए माहौल का आकलन तो नहीं कर रही थी! राजनीतिक विश्लेषकों और कानूनी जानकारों को आश्चर्य है कि चुनावी वर्ष में सरकार न्यायपालिका के साथ टकराव क्यों मोल ले रही है. दूसरे, विपक्षी दल एनजेएसी-2 को 2023 में समर्थन नहीं दे सकते हैं जैसा कि उन्होंने 2014 में दिया था. मोदी सरकार को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, कृषि कानूनों आदि के संबंध में पीछे हटना पड़ा है.

राहुल का नौ दिन का आश्चर्यजनक ब्रेक

24 दिसंबर से 3 जनवरी तक राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा में नौ दिनों के लंबे ब्रेक ने कांग्रेस पर नजर रखने वालों को चौंका दिया है. क्या राहुल गांधी नए साल और क्रिसमस का जश्न मनाने के लिए विदेश में लंबी छुट्टी पर रहेंगे? पार्टी में किसी को कोई जानकारी नहीं है. 

कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने एक दिलचस्प स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि विश्राम आवश्यक था क्योंकि कांग्रेस नेताओं और सामानों को ले जाने वाले 60 से अधिक ट्रकों (कंटेनरों) की मरम्मत की आवश्यकता है क्योंकि यात्रा को श्रीनगर पहुंचना होगा. इन 60 ट्रकों का उपयोग राहुल गांधी के साथ यात्रा कर रहे लगभग 300 यात्रियों के रहने, सोने और दैनिक जरूरतों के लिए किया जाता है. 

दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी को ऐसा कंटेनर दिया गया है जिसमें एसी, सोफा, स्पेशल किचन आदि सभी 5-स्टार सुविधाएं हैं. कहा जाता है कि भारत-जोड़ो यात्रा पर 100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे और इससे पार्टी को चुनावी दृष्टि से कोई लाभ नहीं होगा.

मोदी के विदेश दौरे

प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्राओं के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के रिकॉर्ड को पार करने की दहलीज पर हैं. मनमोहन सिंह ने 73 विदेश यात्राएं कीं (2004-2009 के दौरान 35 और दूसरे कार्यकाल 2009-2014 के दौरान 38) और दस साल की अवधि के दौरान इन यात्राओं पर 699 करोड़ रुपए खर्च किए गए. 

इसकी तुलना में, प्रधानमंत्री मोदी ने मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से नवंबर 2022 तक 69 विदेश यात्राएं कीं. अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 49 विदेश यात्राएं और दूसरे कार्यकाल में अब तक 20 यात्राएं की हैं. मोदी के पास अपने 10 साल के शासन को पूरा करने के लिए 17 महीने और हैं. लेकिन प्रभाव के संदर्भ में यह सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाता है कि मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं के दौरान अधिक वैश्विक प्रभाव डाला है. 

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उनकी 63 विदेश यात्राओं पर 623.82 करोड़ रुपए खर्च किए गए. शेष छह यात्राओं का खर्च केंद्रीय गृह मंत्रालय और भारतीय वायु सेना द्वारा वहन किया गया था जिसके आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन मोदी 8 साल में 181 दिन विदेशी धरती पर रहे जबकि मनमोहन सिंह 10 साल में 149 दिन विदेश में रहे.

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