रहीस सिंह का ब्लॉगः नेबर्स फर्स्ट नीति का संदेश देती यात्रा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 11, 2019 07:21 AM2019-06-11T07:21:57+5:302019-06-11T07:21:57+5:30

सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री की इस यात्र का इंतजार मालदीव कर रहा था या भारत स्वयं? क्या प्रधानमंत्री की मालदीव यात्र क्षतिपूर्ति के उद्देश्य से की गई थी या फिर संबंधों की नई बुनियाद रखने के उद्देश्य से?

Rahees Singh's blog: Implementation of Neighbors First Policy | रहीस सिंह का ब्लॉगः नेबर्स फर्स्ट नीति का संदेश देती यात्रा

रहीस सिंह का ब्लॉगः नेबर्स फर्स्ट नीति का संदेश देती यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्र के लिए पड़ोसी द्वीपीय देश यानी मालदीव को चुना. सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री की इस यात्र का इंतजार मालदीव कर रहा था या भारत स्वयं? क्या प्रधानमंत्री की मालदीव यात्र क्षतिपूर्ति के उद्देश्य से की गई थी या फिर संबंधों की नई बुनियाद रखने के उद्देश्य से?

इस बार शपथ ग्रहण के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्क देशों के बजाय बिम्सटेक देशों को आमंत्रित किया था जिसके चलते मालदीव छूट गया था. ऐसे में यह संदेश जा सकता था कि भारत अपनी नेबर्स फस्र्ट पॉलिसी से पीछे हट रहा है. इसलिए भारत को यह बताने की आवश्यकता थी कि उसने नेबर्स फस्र्ट पॉलिसी का परित्याग नहीं किया है बल्कि वह निकट और सन्निकट पड़ोसियों को एक साथ लेकर चलना चाहता है. यह संदेश देने के लिए भारत को मालदीव को वरीयता देनी ही पड़ती. परंतु मसला सिर्फ इतना सा नहीं है, बल्कि मालदीव भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती है और भारत अब पुरानी गलतियां दोहराना नहीं चाहता. 

यही बात श्रीलंका के संबंध में कही जा सकती है. ध्यान रहे कि भारत लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहा था कि मालदीव और श्रीलंका में पैर जमाने का अवसर प्राप्त हो. श्रीलंका में भारत को पहले अवसर मिला लेकिन श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना छोटे से अवकाश के बाद फिर चीन की ओर झुकते दिखे जिससे लगा कि श्रीलंका में महिंद्रा राजपक्षे के शासनकाल की पुनरावृत्ति न हो जाए. हालांकि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की कार्यशैली अभी तक भारत-श्रीलंका बॉन्ड को मजबूत बनाए रखने में सहायक सिद्ध हो रही है. 

मालदीव की बात करें तो मालदीव की इस यात्र से भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक तरफ तो यह संदेश देना चाहता है कि उसके अपने करीबी पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध हैं और दूसरी तरफ वह यह भी बताना चाहता है कि हिंद महासागर में वह संयोजकता, सुरक्षा और संपर्क के मामले में बेहद संवेदनशीलता एवं रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहता है. उधर श्रीलंका इस समय कई चुनौतियों से गुजर रहा है. इनमें पहली और सबसे बड़ी है चीन के ऋण जाल की, जिससे बाहर निकलने का उसके पास कोई रास्ता फिलहाल नजर नहीं आ रहा. दूसरी समस्या है आतंकवाद की और तीसरी सांप्रदायिकता संबंधी है. 

इन देशों में भारत को निवेश व आर्थिक सहायता में वृद्धि करनी होगी अन्यथा भारत चीन को इन देशों से लंबे समय तक दूर नहीं रख पाएगा. हमें यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि इब्राहिम सोलेह और मैत्रीपाला सिरिसेना, दोनों ही नेता इस समय ओपन डिप्लोमेसी की बजाय क्लोज्ड डिप्लोमेटिक ट्रैक पर अधिक चलते दिख रहे हैं, जिसके अपने निहितार्थ हैं.

Web Title: Rahees Singh's blog: Implementation of Neighbors First Policy

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