प्रतीक माहेश्वरी का नजरियाः भारतीय प्रबंधन शिक्षा और वैकल्पिक शिक्षण पद्धति की आवश्यकता

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 9, 2019 08:48 PM2019-06-09T20:48:25+5:302019-06-09T20:48:25+5:30

भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र में आने वाले सालों में विस्तार की अपार संभावना है क्योंकि, 2022 के अंत तक विश्व की सबसे बड़ी तृतीयक आयु की आबादी और दूसरी सबसे बड़ी स्नातक प्रतिभा भारत में ही होगी.

Prateek Maheshwari opinion: The need for Indian management education and alternative teaching methods | प्रतीक माहेश्वरी का नजरियाः भारतीय प्रबंधन शिक्षा और वैकल्पिक शिक्षण पद्धति की आवश्यकता

प्रतीक माहेश्वरी का नजरियाः भारतीय प्रबंधन शिक्षा और वैकल्पिक शिक्षण पद्धति की आवश्यकता

भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र दुनियाभर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. आज भारत में लगभग 903 विश्वविद्यालय और 39,050 कॉलेज हैं, जो लगभग 37 मिलियन छात्र-छात्रओं की शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. भारतीय युवाओं में शिक्षा की भारी भूख, भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र पर विस्तार के लिए निरंतर दबाव बनाए हुए है. इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की एक रिपोर्ट ‘शिक्षा और प्रशिक्षण-2018’ के अनुसार भारत, अमेरिका के बाद ई-लर्निग के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है. इसके वर्ष 2021 तक लगभग 1.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 9.5 मिलियन उपयोगकर्ताओं तक पहुंचने की उम्मीद है. भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र में आने वाले सालों में विस्तार की अपार संभावना है क्योंकि, 2022 के अंत तक विश्व की सबसे बड़ी तृतीयक आयु की आबादी और दूसरी सबसे बड़ी स्नातक प्रतिभा भारत में ही होगी.

पिछले एक दशक की संतोषजनक प्रगति के बावजूद, भारतीय उच्च शिक्षा क्षेत्र अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. इनमें आपूर्ति और मांग में अंतर, शिक्षण की खराब गुणवत्ता, अवसरों की असमान पहुंच और सीमित अनुसंधान सुविधा व मौलिकता प्रमुख हैं. भारत में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (जी.ई.आर.) केवल 25} है, जो चीन (44}) और अमेरिका (86}) जैसे देशों की तुलना में अभी भी बहुत नीचे है. भारत सरकार वर्ष 2020 तक जी.ई.आर. को 30} तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की संख्या में भारी और तीव्र वृद्धि की आवश्यकता है. 

वैश्विक स्तर पर अनुसंधान की गुणवत्ता भी लगातार घटती जा रही है. जाहिर है, भारत में उच्च शिक्षा क्षेत्र कई कठिनाइयों का सामना कर रहा है और भारतीय प्रबंधन शिक्षा कोई अपवाद नहीं है. भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन संस्थान वैश्विक रैंकिंग में काफी नीचे हैं और मध्यम स्तरीय संस्थान अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इंस्टीटय़ूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट, स्विट्जरलैंड की ‘वर्ल्ड टैलेंट रिपोर्ट’ के अनुसार 63 विश्व अर्थव्यवस्थाओं के एक ताजा सव्रेक्षण में 2018 में भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के मापदंड पर 53 वें पायदान पर है, जबकि 2007 में यह स्थान 26 वां था. 

दुनियाभर के शिक्षाविदों ने विभिन्न विषयों के संदर्भो में फ्लिप्ड/इनवर्टेड कक्षाओं, एक्टिव लर्निग स्ट्रेटेजीज, सिमुलेशन और मिश्रित शिक्षण मॉडल आदि का प्रयोग किया है और इन वैकल्पिक शिक्षण पद्धतियों को छात्र-छात्रओं के सीखने के अनुभव को बढ़ाने में काफी हद तक उपयोगी पाया है. भारतीय प्रबंधन शिक्षा में इन वैकल्पिक शिक्षण पद्धतियों का समावेश न केवल छात्र-छात्रओं में समस्या सुलझाने और निर्णय लेने की योग्यता विकसित करेगा, अपितु उन्हें जटिल और गतिशील व्यावसायिक वातावरण के लिए पूर्ण रूप से तैयार करने में भी कारगर सिद्ध हो सकता है. 

टेक्नोलॉजी का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है. डिजिटल अनबंडलिंग और मिश्रित शिक्षण मॉडल के उपयोग से आने वाले वर्षो में भारतीय शिक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर क्रांति आने की उम्मीद है. इस संदर्भ में विश्वविद्यालयों, प्रबंधन शैक्षणिक संस्थाओं, अध्यापकों व छात्र-छात्रओं की सहभागिता नितांत आवश्यक है. अतएव भारत सरकार और विभिन्न शैक्षिक निकायों को अति शीघ्र नीतिगत स्तर पर इस दिशा में सार्थक कदम उठाने चाहिए.

Web Title: Prateek Maheshwari opinion: The need for Indian management education and alternative teaching methods

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