प्रमोद भार्गव का ब्लॉगः जल परिवहन के क्षेत्र में नई क्रांति
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 15, 2018 21:56 IST2018-11-15T21:56:27+5:302018-11-15T21:56:27+5:30
जहाजों को खाली करने के लिए जर्मनी से उच्चस्तरीय क्रेनें आयात की गई हैं। इन कंटेनरों में कोलकाता से औद्योगिक सामग्री आई है, अब इधर से कंटेनरों में खाद भरकर भेजा जाएगा, जो पूर्वी भारत के प्रदेशों के बंदरगाहों तक आसानी से पहुंच जाएगा।

प्रमोद भार्गव का ब्लॉगः जल परिवहन के क्षेत्र में नई क्रांति
- प्रमोद भार्गव
काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में जल परिवहन का नया इतिहास रचा गया है। सुनहरे अक्षरों में लिखे गए इस अध्याय का श्रीगणोश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। प्रदूषण मुक्त जल परिवहन की यह सुविधा उद्योग जगत और देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का द्वार खोलेगी। 5369।18 करोड़ रु। लागत की यह परियोजना 1383 किमी लंबी है, जो हल्दिया से वाराणसी तक के गंगा नदी में जलमार्ग का रास्ता खोलती है।
इसे राष्ट्रीय जलमार्ग-1 नाम दिया गया है। इसे भारत सरकार एवं विश्व बैंक द्वारा आधी-आधी धनराशि खर्च करके अस्तित्व में लाया गया है। अब यहां 1500 से 2000 टन के बड़े मालवाहक जहाजों की आवाजाही नियमित हो जाएगी। इसके तहत तीन मल्टी मॉडल टर्मिनल वाराणसी, साहिबगंज व हल्दिया में बनाए गए हैं। साथ ही दो इंटर मॉडल टर्मिनल भी विकसित किए जाएंगे। वाराणसी में इस टर्मिनल का लोकार्पण नरेंद्र मोदी ने कोलकाता से आए जहाज से कंटेनर को उतारने की प्रक्रिया को हरी झंडी दिखाकर किया है।
जहाजों को खाली करने के लिए जर्मनी से उच्चस्तरीय क्रेनें आयात की गई हैं। इन कंटेनरों में कोलकाता से औद्योगिक सामग्री आई है, अब इधर से कंटेनरों में खाद भरकर भेजा जाएगा, जो पूर्वी भारत के प्रदेशों के बंदरगाहों तक आसानी से पहुंच जाएगा। कालांतर में इस जलमार्ग से एशियाई देशों में भी ढुलाई आसान होगी।
इस जलमार्ग से सामान ढुलाई के अलावा पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी एशिया तक क्रूज टूरिज्म की नई शुरुआत होगी। इससे ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत गंगा सफाई का जो अभियान चल रहा है, उसे भी बल मिलेगा। 23000 करोड़ की इस परियोजना के तहत फिलहाल 5000 करोड़ रु। की परियोजनाएं क्रियान्वित हैं।
यह खुशी की बात है कि लुप्त हुए मार्ग और जहाजरानी उद्योग को जीवनदान मिल रहा है। अंतर्राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही तरह के मार्ग विकसित किए जा रहे हैं। फिलहाल देश में जलमार्गो की हिस्सेदारी महज 3.6 फीसदी है। 2018 के अंत तक इसे 7 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।
चीन में जल परिवहन की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत, अमेरिका में 21 और कोरिया व जापान में 40 प्रतिशत से ज्यादा है। अब यदि 111 नदियों पर जलमार्ग विकसित हो जाते हैं तो तय है कि जल परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। नितिन गडकरी ने 2020 तक इससे 200 लाख टन माल निर्यात करने की उम्मीद जताई है। इससे एक साथ शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा।
किसान और कृषि उत्पादों के व्यवसाय से जुड़े लोगों को अंतर्राज्यीय व अंतर्देशीय वितरण में सीधा लाभ मिलेगा। दरअसल जल परिवहन बेहद सस्ता और सुगम है। सड़क, रेल व जल मार्ग पर प्रति यात्री खर्चा क्रमश: डेढ़ रुपए, एक रुपए और 30 पैसे प्रति किलोमीटर आता है। एक जहाज से 15 रेल वैगन या 60 ट्रक के बराबर माल ढुलाई होती है। इस कारण ईंधन की भी बड़ी मात्र में बचत होती है।
{प्रमोद भार्गव वरिष्ठ पत्रकार व साहित्कार हैं। वे जनसत्ता से लेकर हंस तक कई पत्र-पत्रिकाओं में लेखन का काम कर चुके हैं। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। उनकी भाषा और भाषाई शिक्षा के बुनियादी सवाल (भाषा और शिक्षा) और मीडिया का बदलता स्वरूप (पत्रकारिता) पत्रकारिता के क्षेत्र के दो बड़ी महशूर किताबें हैं।)}