प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: घटते पक्षियों को चाहिए संरक्षण
By प्रमोद भार्गव | Updated: March 3, 2020 19:53 IST2020-03-03T19:53:13+5:302020-03-03T19:53:13+5:30
रिपोर्ट के अनुसार 319 को सामान्य और 442 पक्षियों को न्यूनतम सरंक्षण की जरूरत है. औद्योगिक और तकनीकी विकास की तीव्रता के चलते दो हजार से अब तक 52 प्रतिशत पक्षियों की संख्या घटी है.

प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: घटते पक्षियों को चाहिए संरक्षण
पांच तत्वों से निर्मित जीव-जगत के लिए प्रकृति ने एक ऐसा तंत्र बनाया है, जहां सभी जीवों की खाद्य श्रृंखला एक-दूसरे पर निर्भर रहती है. लेकिन इस दुनिया में मनुष्य ऐसा समर्थ प्राणी हो गया है कि उसने अपनी सुविधा और लिप्सा पूर्ति के लिए पक्षियों, कीट-पतंगों और जानवरों तक को नहीं छोड़ा. इसी का परिणाम है कि प्रवासी जीवों पर संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीएमएस) में ‘स्टेट ऑफ इंडिया बर्डस 2020’ रिपोर्ट में 867 भारतीय पक्षियों पर अध्ययन किया गया, जिसमें 101 पक्षी प्रजातियों को अधिकतम संकटग्रस्त माना गया है.
रिपोर्ट के अनुसार 319 को सामान्य और 442 पक्षियों को न्यूनतम सरंक्षण की जरूरत है. औद्योगिक और तकनीकी विकास की तीव्रता के चलते दो हजार से अब तक 52 प्रतिशत पक्षियों की संख्या घटी है. इनमें भी 22 प्रतिशत की संख्या बहुत तेजी से कम हो रही है. शेष 48 प्रतिशत में 5 प्रतिशत पक्षियों की संख्या बढ़ी है, जबकि 43 प्रतिशत की संख्या स्थिर है.
इस अध्ययन से संतोष की बात यह निकली है कि 25 साल से ज्यादा की अवधि में गौरैया की संख्या लगभग स्थिर है. राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या बढ़ रही है. गिद्धों की संख्या अब बढ़ना शुरू हो गई है. लेकिन पीले पेट वाला कठफोड़वा, स्नेक ईगल, कपास चैती, बड़ी कोयल, ग्रीनशैंक व सोनचिड़िया की संख्या घट रही है.
पक्षियों से ही जुड़ा एक अध्ययन 2016 में प्रकाशित हुआ था, जिसमें दावा किया गया था कि बीते 35 वर्ष में दुनिया की आबादी दोगुनी हो गई है. इसी कालखंड में वैश्विक जलवायु एवं पर्यावरणीय बदलावों के कारण तितली, मक्खी और मकड़ी जैसे कीट-पतंगों की संख्या में 45 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. यह अध्ययन इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन नेचर ने जारी किया था. इसी संगठन ने भारत के साथ मिलकर पक्षी प्रजातियों पर मंडरा रहे खतरे का अध्ययन भी प्रस्तुत किया था. इसके अनुसार विश्व में पक्षियों की 140 प्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं और 213 विलुप्ति के एकदम कगार पर हैं.