पीयूष पांडे का ब्लॉग: बजट पर कुछ क्रांतिकारी सुझाव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 1, 2020 08:44 AM2020-02-01T08:44:38+5:302020-02-01T08:44:48+5:30
अब देश के लोगों को बजट की ऐसे प्रतीक्षा है, जैसे कई कुंवारे लड़कों को लड़की देखने जाते वक्त होती है. वो मन ही मन उम्मीद लगाए लड़की के घर पहुंचते हैं कि ऐश्वर्या या कटरीना सरीखी खूबसूरत लड़की उनकी राह तक रही होगी.
बजट से पहले का सरकारी हलवा कब का बंट के चट हो चुका. अब देश के लोगों को बजट की ऐसे प्रतीक्षा है, जैसे कई कुंवारे लड़कों को लड़की देखने जाते वक्त होती है. वो मन ही मन उम्मीद लगाए लड़की के घर पहुंचते हैं कि ऐश्वर्या या कटरीना सरीखी खूबसूरत लड़की उनकी राह तक रही होगी.
मिडिल क्लास के लिए बजटीय कटरीना-ऐश्वर्या-आलिया इनकम टैक्स की दर है, जिसके कम होने का वो हर साल इंतजार करते हैं. भले कुछ समझ ना आए लेकिन मध्यवर्गीय लोग नीरस बजट भाषण सिर्फ इसी उम्मीद में देखते हैं कि इनकम टैक्स में कुछ छूट मिलेगी. वित्त मंत्री भी सयाने हैं. वो इनकम टैक्स घटाने-बढ़ाने वाला ऐलान सबसे आखिर में करते हैं.
उन्हें मालूम है कि जिस तरह तेंदुलकर के आउट होते ही आधी पब्लिक मैच छोड़कर चली जाती थी, उसी तरह टैक्स की घोषणा के साथ ही आधी पब्लिक टेलीविजन बंद कर देगी.
एक जमाना था, जब संसद में शाम को बजट पेश होता था और लोगों को सुबह अखबार से जानकारी मिलती थी. बजट अब सरकारी आयोजन नहीं टीवी इवेंट है.
वित्त मंत्री कितने बजे उठे, उन्होंने क्या खाया-पिया सब दर्शकों को सुबह छह बजे से बताया जाता है. मेरी नजर में बजट छलावा है. जिस तरह घर का बजट बनाते वक्त भले आप दो फिल्मों के लिए रकम आवंटित कर दो लेकिन बच्चों की सैर का कार्यक्रम या आकस्मिक हॉस्पिटल का एक चक्कर आपकी फिल्म का प्लान डुबो देता है, वैसे ही सरकार भी कई मंत्रालयों के लिए बजट आवंटित करती जरूर है लेकिन सभी मंत्रालयों को बजट के मुताबिक पूरी रकम मिल ही जाए-जरूरी नहीं.
अपने भी कुछ क्रांतिकारी सुझाव हैं.
1- आंदोलनों के मद्देनजर एक विशेष आंदोलन मंत्रालय गठित हो. उसके लिए बड़ी रकम आवंटित हो ताकि कम से कम आंदोलन मंत्री आंदोलनकारियों से मिलें, उनकी बात सुनें और समस्या निपटाएं.
2- मान्यताप्राप्त आंदोलनकारियों को बस-ट्रेन में मुफ्त सफर की व्यवस्था की जाए.
3- बेरोजगार प्रदर्शनकारियों को सेल्फी भत्ता दिया जाए.
4- जनता को मन की बात करने के लिए एक अलग सरकारी चैनल खोला जाए.
और आखिरी सुझाव जनता के लिए. वो ये कि आप पढ़ने की प्रैक्टिस कीजिए. बजट दस्तावेज पढ़िए. घोषणापत्र पढ़िए. पास होने वाला हर कानून पढ़िए. और हां, संविधान पढ़िए.