पवन के वर्मा का ब्लॉग: नए साल में किसानों के लिए कुछ और बेहतर करें
By पवन के वर्मा | Published: December 30, 2018 05:03 PM2018-12-30T17:03:39+5:302018-12-30T17:03:39+5:30
हमें अपने किसानों के लिए कुछ और करना चाहिए. देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या कृषि क्षेत्र पर निर्भर है. किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं; उन्हें अपनी उपज का पर्याप्त प्रतिफल नहीं मिल रहा है.
चूंकि वर्ष समाप्ति की ओर है, यह समय थोड़ा रुक कर अतीत का मूल्यांकन करने और भविष्य की उम्मीदों पर विचार करने का है. अतीत को पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता, लेकिन वह वर्तमान के लिए सबक छोड़ जाता है और वर्तमान को जैसा आकार दिया जाता है वैसा ही भविष्य बनता है. इसलिए यह समय विश-लिस्ट बनाने का है, आशावाद के लिए, भविष्य की उम्मीदों की अभिव्यक्ति के लिए, क्योंकि पुरानी कहावत है कि उम्मीद पर सब जिंदा है. वर्ष 2019 में मैं अपने गणतंत्र के लिए जो विश-लिस्ट बनाना चाहता हूं वह इस प्रकार है :
आइए हम प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए कुछ करें
जब संकट हमारे ऊपर है तो तदर्थ उपायों से काम नहीं चलेगा. जरूरत है कि केंद्र और राज्यों के बीच पूर्ण सहयोग के माध्यम से, एक संस्थागत तरीके से काम किया जाए. हमें अपने किसानों के लिए कुछ और करना चाहिए. देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या कृषि क्षेत्र पर निर्भर है. किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं; उन्हें अपनी उपज का पर्याप्त प्रतिफल नहीं मिल रहा है. उन्हें मौसम की मार ङोलनी पड़ती है क्योंकि भूमि का सिर्फ एक-तिहाई हिस्सा ही सिंचित है. और उन्हें ज्यादा निवेश, बीज, खाद, विस्तारित सेवाओं, शीतगृह सुविधाओं, परिवहन तथा विपणन के बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है. केवल कजर्माफी समाधान नहीं है. हम 2019 को ऐसा साल बनाएं जिसमें एक भी किसान आत्महत्या न करे.
उम्मीद करें कि 2019 में संसदीय चुनाव के परिणाम ऐसे आएंगे जो देश के लिए बेहतर होंगे. सरकार गठबंधन की बने चाहे पूर्ण बहुमत की, वह स्थिर और प्रभावी होगी तथा सुशासन स्थापित करने की ओर ध्यान देगी. नए वर्ष में हम सभ्य संवाद के लुप्तप्राय हो चुके गुण को पुनर्जीवित करें. आइए हम अपने देश को सांप्रदायिक घृणा से मुक्त करें. उन लोगों को नकारें, जो धर्म का उपयोग नफरत और हिंसा फैलाने के लिए करते हैं.
इसके अलावा, उम्मीद करें कि राम मंदिर विवाद शांति से और कानून के अनुसार हल हो जाएगा. हमें अति-राष्ट्रवाद कार्ड खेलना भी बंद करना चाहिए. देशभक्ति एक गुण है, लेकिन यह कुछ लोगों को दूसरों की देशभक्ति के बारे में फैसला करने का लाइसेंस नहीं देता है. उम्मीद करें कि नए साल में हमारी अर्थव्यवस्था फलेगी-फूलेगी. हमारा आदर्श वाक्य होना चाहिए : न्याय के साथ विकास.
उम्मीद करें कि नए साल में खेलों में हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे. लेकिन केवल क्रिकेट में ही नहीं, जो एकमात्र ऐसा खेल प्रतीत होता है जिस पर हम ध्यान केंद्रित करते हैं. हम खेल के दीवानों के देश हैं और एक अरब से अधिक लोगों का राष्ट्र ओलंपिक में एक या दो स्वर्ण पदकों से संतुष्ट नहीं हो सकता. आइए हम खेल की बुनियादी संरचना को विकसित करने के लिए एक समग्र नीति बनाएं और प्रतिभाओं को संवारें.
इस विश लिस्ट में और भी बहुत सारी चीजें जोड़ी जा सकती हैं, लेकिन यदि उपरोक्त सूची में से आधी इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं तो 2019 एक महान वर्ष होगा.