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उमेश चतुर्वेदी का ब्लॉगः पूरे देश में एनआरसी लागू करने की सुगबुगाहट

By उमेश चतुर्वेदी | Updated: October 23, 2019 08:12 IST

सर्वोच्च न्यायलय के आदेश पर देश के पूर्वी राज्य असम में भारतीय और विदेशी मूल के नागरिकों की पहचान का जो काम राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के जरिए किया गया है, अभी उस पर ही विवाद है. अब देश के कई राज्यों में इसे लागू करने की मांग होने लगी है.

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ठळक मुद्देराष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. बहस की वजह बना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरसंघचालक भैयाजी जोशी का वह बयान, जिसमें उन्होंने देशभर में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू करने पर जोर दिया है.

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. बहस की वजह बना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरसंघचालक भैयाजी जोशी का वह बयान, जिसमें उन्होंने देशभर में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू करने पर जोर दिया है. ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 16 से 18 अक्तूबर तक चली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के बाद उन्होंने कहा कि देशभर में एनआरसी लागू करने की जरूरत है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए. भैयाजी जोशी ने इसका कारण बताया कि चूंकि देशभर में बड़ी संख्या में घुसपैठिए हैं, लिहाजा तत्काल उनकी पहचान किए जाने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार को पहले अपने नागरिकों के हितों की चिंता करनी चाहिए.

सर्वोच्च न्यायलय के आदेश पर देश के पूर्वी राज्य असम में भारतीय और विदेशी मूल के नागरिकों की पहचान का जो काम राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के जरिए किया गया है, अभी उस पर ही विवाद है. अब देश के कई राज्यों में इसे लागू करने की मांग होने लगी है. हरियाणा के मुख्यमंत्नी मनोहर लाल खट्टर भी हरियाणा में एनआरसी लागू करने की बात कर चुके हैं, जबकि दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी भी कह रहे हैं कि अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी तो दिल्ली में भी एनआरसी लागू किया जाएगा. 

इसी तरह की मांग कमोबेश दूसरे भाजपा शासित राज्यों में उठ रही है. यहां यह याद रखना चाहिए कि भारत के गणराज्य बनने के बाद तकरीबन सभी राज्यों में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर बनाए गए. अपने नागरिकों का इस रूप में एक तरह से सभी राज्यों ने 1951 की जनगणना के आधार पर डेटा बैंक बनाया था, लेकिन व्यापक रूप से इसे अद्यतन सिर्फ असम में किया गया, बाकी राज्यों ने नहीं किया. इस बीच अक्तूबर महीने में उत्तर प्रदेश ने इसे अपडेट करने की तैयारी शुरू की है.

बहरहाल, भुवनेश्वर में भैयाजी जोशी के बयान देने के बाद अब भाजपा शासित राज्यों पर राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर अपडेट करने का दबाव रहेगा. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान गृह मंत्नी रहे लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय नागरिकों के लिए बहुउद्देश्यीय पहचान पत्न जारी करने का विचार दिया था. तब उनके इस विचार का खासा विरोध हुआ था. 

दूसरी बार सत्ता में आने के बाद भाजपा ने इस विचार को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय नागरिकता संशोधन कानून बनाने की तैयारी की. इसका विधेयक साल 2016 में संसद में पेश भी हुआ, लेकिन वह पास नहीं हुआ. अब एक बार फिर सरकार इस विधेयक को पेश करने की तैयारी में है.

टॅग्स :एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजिका)आरएसएस
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