भारत में लुप्त हो रही हैं सबसे ज्यादा भाषाएं, आखिर क्या है वजह

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: June 8, 2022 03:01 PM2022-06-08T15:01:28+5:302022-06-08T15:01:28+5:30

हमारे देश में कई भाषाओं की मौत हो चुकी है. भारत ऐस देशों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं. साथ ही हम उन देशों में भी शामिल हैं जहां सबसे ज्यादा भाषाओं की मौत हो रही है या दूसरे शब्दों में कहें तो वे लुप्त हो रहे हैं.

Most languages ​​are disappearing in India, what is the reason | भारत में लुप्त हो रही हैं सबसे ज्यादा भाषाएं, आखिर क्या है वजह

भारत में लुप्त हो रही हैं सबसे ज्यादा भाषाएं

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बिल्कुल सही कहा है कि बोलने से ही हमारी भाषाएं जीवित रह पाएंगी. मुंबई स्थित राजभवन में उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के पहले सम्मेलन में बोलते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि सभी को अपनी बोलियों एवं भाषाओं को अधिक से अधिक व्यवहार में लाना चाहिए क्योंकि भाषाएं या बोलियां लिखने की अपेक्षा सुनने एवं बोलने से अधिक आती हैं. 

दरअसल बोलने वालों की संख्या में लगातार कमी आते जाने के कारण ही हमारे देश में अनेक भाषाओं की मौत हो चुकी है. हकीकत तो यह है कि भारत दुनिया के उन देशों में से है जहां सबसे ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं लेकिन चिंताजनक यह है कि हम उन देशों में भी शामिल हैं जहां सबसे ज्यादा भाषाएं लुप्त हो रही हैं. 

एक अध्ययन के अनुसार भारत में इस समय 42 भाषाएं या बोलियां संकट में हैं क्योंकि उनके बोलने वालों की संख्या कुछ हजार ही रह गई है. जबकि पिछले 50 वर्षों में भारत की करीब 20 फीसदी भाषाएं विलुप्त हो चुकी हैं. वर्ष 1961 की जनगणना के बाद देश में 1652 मातृभाषाओं के होने का पता चला था. हालांकि बाद में 1100 भाषाओं को ही मातृभाषा माना गया. 

आधिकारिक तौर पर तो 199 भाषाओं को ही विलुप्त हुआ माना जा रहा है लेकिन भाषाविदों का मानना है कि देश में लगभग ढाई सौ भाषाएं विलुप्त हो चुकी हैं. कोई भी भाषा तब मृत या विलुप्त मानी जाती है जब उसे बोलने वाला कोई भी जीवित न बचे. यह सच है कि मानव इतिहास में पहले भी भाषाएं विलुप्त हुई हैं लेकिन जिस अभूतपूर्व तेजी के साथ अब वे लुप्त हो रही हैं उतनी तेजी से ज्ञात इतिहास में पहले कभी नहीं हुईं. 

भारत में भाषाओं का इतिहास 70 हजार साल पुराना माना जाता है लेकिन करीब दस हजार साल पहले जब लोग खेती की ओर मुड़े तो बहुत सारी भाषाएं विलुप्त हो गईं. हालांकि भाषाओं को लिखने का इतिहास लगभग चार हजार साल पुराना ही है. माना जाता है कि दुनिया में इस समय सात हजार से ज्यादा भाषाएं बोली जा रही हैं लेकिन आशंका यह है कि अगले सौ सालों में 90 फीसदी के करीब भाषाएं गायब हो जाएंगी. 

बेशक हमें देश और दुनिया में संपर्क के लिए मुख्यधारा की कोई एक भाषा चाहिए होती है लेकिन अपनी मातृभाषा को भूलना किसी को भी वैचारिक रूप से पंगु बना देता है. किसी भी भाषा के मरने के साथ पूरी एक परंपरा और संस्कृति भी खत्म हो जाती है. कोई भी शब्द एक-दो दिन में नहीं बनता, उसके पीछे लंबा समय लगता है और हर शब्द का अपना एक इतिहास होता है. किसी भी भाषा के शब्द का हम दूसरी भाषा में हू-ब-हू अनुवाद कर ही नहीं सकते, क्योंकि उस शब्द की जड़ें सिर्फ अपनी भाषा में ही मौजूद होती हैं. 

यह वैज्ञानिक तथ्य है कि दूसरी भाषाओं को सीखना हमारे मस्तिष्क की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और हम जितनी ज्यादा भाषाएं सीखते हैं, हमारी सीखने की क्षमता उतनी ज्यादा बढ़ती है. इसलिए हर व्यक्ति को अधिक से अधिक भाषाएं सीखने की कोशिश करनी चाहिए ताकि किसी भी भाषा के मरने की नौबत न आए और हमारी भाषाई विरासत समृद्ध बनी रहे. 

Web Title: Most languages ​​are disappearing in India, what is the reason

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे