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वीरे दी वेडिंग की मास्टरबेशन सीन से समय मिले तो रजिया की गुमनाम कब्र पर जाइये

By भारती द्विवेदी | Updated: June 6, 2018 17:17 IST

फेमिनिज्म ही नहीं कई मुद्दों पर देश की दिशा-दशा तय करने वाली दिल्ली में, देश को फेमिनिज्म का पाठ पढ़ाने वाली पहली महिला शासक रजिया सुल्तान की जिस तरह से उपेक्षा हुई है। वो आपको हैरान कर देगा।

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फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' में अभिनेत्री स्वरा भास्कर के मास्टरबेशन सीन ने एक बार फिर नारी विमर्श का मुद्दा छेड़ दिया है। एंटी फेमिनिस्टों के लिए ये संस्कृतिक के खिलाफ है। वहीं फेमिनिज्म समर्थकों के लिए ये आम चीज है जो कि दिखाया जाना चाहिए। दिल्ली जो कि फेमिनिज्म के मामले में काफी आगे हैं। यहां पर फेमिनिज्म कई तरह की हैं। फेमिनिज्म की एक पहचान बड़ी बिंदी, फैब इंडिया की साड़ी और झोला बन चुका है। वहीं दूसरी पहचान है सोशल मीडिया पर अपनी निजी बातें लिखकर डिबेट करना। फेमिनिज्म की एक तस्वीर ये भी है कि मर्दों की गलत आदतों को डिफेंड कर एकतरफा झंडा उठाए रखना। लेकिन इन सबके बीच जो असल फेमिनिज्म है वो कहीं दब सा गया है।

फेमिनिज्म ही नहीं कई मुद्दों पर देश की दिशा-दशा तय करने वाली दिल्ली में, देश को फेमिनिज्म का पाठ पढ़ाने वाली पहली महिला शासक रजिया सुल्तान की जिस तरह से उपेक्षा हुई है। वो आपको हैरान कर देगा। 

तंग गलियों से गुजरते हुए, उपेक्षित का मतलब समझ आता है

तुर्कमान गेट से पूछते-पूछते आप रजिया सुल्तान की क्रब पर पहुंचते हैं। पहुंचने के पहले पूछने का जो सिलसिला था, उस दौरान आपको एहसास होगा कि वहां के लोकल लोगों में बहुतों को नहीं पता। कुछ लोगों को कंफ्यूजन था और कुछ लोगों ने सटीक बताया। सटीक बताने वाले भी उस जगह को रजिया की कब्र नहीं 'रानी-साजी के कब्र के नाम से जानते हैं। साजी रजिया की बहन थीं। बताए गए रास्ते पर आगे बढ़ने के दौरान जैसै-जैसे गली संकरी होती है, आपका मन खिन्न होगा। जो गली रजिया सुल्तान क्रब के पास ले जाती है, वो इतनी संकरी है कि लोग और गाड़ी एक साथ नहीं आ सकते या फिर आप सांस नहीं ले पाएंगे। इतनी गंदगी है कि आप बहुत बार नाक बंद करने पर मजबूर हो जाते हैं। लोगों अपने-अपने हिसाब से जितनी जमीन घेर घर बना सकते हैं, बना लिया है। खैर इन सारी चीजों को नोटिस करते आप उस जगह पहुंच जाते हैं। स्मारक के नाम पर आपको खंडहर के बाहर आर्किलॉजिकल विभाग का बोर्ड दिखता है। 

थोड़ी रखरखाव इसलिए है क्योंकि नमाज अता होती है

वहां से जब आप अंदर जाते हैं। वहां बैठे शख्स जब आप थोड़ी बहुत तहकीकात करते हैं तो पता चलता है कि रजिया की कब्र को देखने के लिए उन तंग गलियों हिंदुस्तानी से ज्यादा विदेशी सैलानी आते हैं। थोड़ी बहुत जो साफ-सफाई दिख रही है, वो वहां के इमाम की वजह से हैं। हर रोज वहां नमाज अता की जाती है इसलिए साफ रखना पड़ता है। आर्किलॉजिकल विभाग की तरफ से जो गॉर्ड यहां के लिए रखा गया है, वो तभी आता है, जब उसका मन होता है। वरना वो अपनी ड्यूटी रजिस्टर में साइन करके पूरा कर लेता है।

भला हो मजार की दिशा का, वरना नमाज भी अता नहीं होती

जो लिखा है वो बिल्कुल सच है। रजिया सुल्तान की कब्र अगर थोड़ी साफ-सफाई के साथ दिखती है, तो उसकी वजह है रजिया की कब्र का पूरब दिशा में होना। वहां बैठे शख्स से बात करने पर पता चलता है कि अगर रजिया की कब्र पश्चिम में होती तो हर रोज अता की जाने वाली नमाज भी यहां नहीं होती। क्योंकि मुस्लिमों में ये माना जाता है कि नमाज पढ़ते वक्त अगर उनके सामने कोई भी प्रतिमा, मजार होगी तो वो नमाज उन्हें समर्पित हो जाएगी। तो ये वो वजह है जिसकी वजह से रजिया की कब्र की देखभाल हो जाती है। 

सही मयानों में फेमिनिज्म को हवा देने वाली रजिया बस नाम भर रह गई हैं। दिल्ली पर राज कर पहली महिला शासक का तमगा हासिल करने वाली रजिया ना सिर्फ सरकार की तरफ से बल्कि लोगों की तरफ से भी भंयकर उपेक्षा का शिकार हुई हैं।

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