चंद रोज में थम जाएगा शोक और श्रद्धांजलियों का गुबार, फिर शुरू होगी शहीदों के परिजनों की मुश्किलें, न मीडिया काम आएगी, न सरकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 16, 2019 17:56 IST2019-02-16T17:46:37+5:302019-02-16T17:56:33+5:30

शहीदों की खबर आने के बाद भी मनोज तिवारी रात 9 बजे एक कार्यक्रम में डांस कर रहे थे। अमित शाह कर्नाटक में सभा कर रहे थे। पीएम मोदी झांसी में उद्घाटन कर रहे थे..

martyr of CRPF soldiers, families will face many problems, neither media nor any government support | चंद रोज में थम जाएगा शोक और श्रद्धांजलियों का गुबार, फिर शुरू होगी शहीदों के परिजनों की मुश्किलें, न मीडिया काम आएगी, न सरकार

चंद रोज में थम जाएगा शोक और श्रद्धांजलियों का गुबार, फिर शुरू होगी शहीदों के परिजनों की मुश्किलें, न मीडिया काम आएगी, न सरकार

रजनीश

जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में शुक्रवार को हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत हो गई। विस्फोट इतना भयंकर था कि कई सैनिकों की पहचान भी नहीं की जा सकी जबकि कई जवान गंभीर हालातों में अस्पताल में भर्ती हैं। कई जवान अस्पातल पहुंचते-पहुंचते तो कई अस्पताल पहुंचकर शहीद हो गए। ये जवान किसी बड़े बिजनेस घरानों, नेता, अभिनेताओं के घर से नहीं थे बल्कि गरीब और किसान परिवारों के बेटे हैं। ये अपनी उस बूढ़ी मां जिसको एक पल के लिए खुद से दूर नहीं रखना चाहते उसको छोड़ देश की रक्षा खातिर दिन रात एक करते हैं। और जब किसी हमले का शिकार होने के बाद इनकी क्षत विक्षत लाश मां के सामने पहुंचती है तो बरबस उसके मन से यही निकलता है कि जब सरकार हमारे बच्चे का एक इंच सीना कम होने की वजह से सेना में भर्ती करने से मना कर देती है तो हम अपने लाला का पूरी तरह से क्षत-विक्षत शव कैसे ले लूं।

जब एक बेटे की लाश उसके पिता के पास पहुंचती है तो उसका कलेजा रो उठता है। उस गरीब, किसान पिता के हिस्से में सिर्फ दुख ही आया है। बच्चे की पढ़ाई लिखाई के लिए एकमात्र किसानी की आय पर निर्भर पिता फसल के उचित दाम, सिंचाई की व्यवस्था की मांग करने पर पहले सरकार से लाठियां खाता है। फिर किसी तरह से पढ़ा लिखा कर बेटे के हिस्से में आती है सेना की नौकरी। ऐसी नौकरी जिसमें खेत में पानी लगाए रहने के दौरान भी पिता का दिल दिमाग हमेशा बेटे की चिंता में लगा रहता है। उद्योगपतियों का अरबों रुपए का कर्ज माफ कर देने वाले इस देश में जब कुछ हजार रुपयों का कर्ज न चुका पाने वाला पिता, सरकार और बैंकों द्वारा धमकाया और जलील किया जाता है उसके बाद भी वह देश के लिए बेटे की शहादत पर गर्व करता है। उनके गर्व के इस भाव को मीडिया भी महंगे भाव पर बेच लेता है।

हां, मीडिया भावनाएं बेचता है, उस शहीद जवान के माता-पिता की भवनाओं के साथ खेलता है। अगर वह भावनाएं बेचता नहीं है तो पूरे देश को तौर तरीके बताने वाला मीडिया क्या इतना संवेदनशील नही है कि शहीद जवानों की खबरें दिखाते समय कम से कम हमले के दिन और उसके अगले कुछ दिनों तक बीच बीच में दिखाए जाने वाले फूहड़, अश्लील, नाचते-गाते और जश्न मनाते विज्ञापन रोक सकता था। लेकिन किसी चैनल में इतनी हिम्मत नहीं दिखी। अगर आपने भी यही देखा और अनुभव किया है तो समझिए सब व्यापारी हैं और हर खबर से फ़ायदा उठाना ही इनका एकमात्र उद्देश्य है।

शहीदों की शहादत के बाद उनके घर की जो हकीकत मीडिया के कैमरे से आप देखते हैं उस पर गौर करिए। बिना पेंट और मरम्मत के अधूरे बने घर के कोने में खड़ी चारपाई कितनी पुरानी हो चुकी है, क्या आपने ये जानने की कोशिश की जो शख्स देश की खातिर मिट्टी में मिल गया उसकी पत्नी और बच्चे कब से उसके गले लग जाने को तड़प रहे थे। आम आदमी अगर नौकरी से छुट्टी लेकर घर जाता होगा तो पत्नी और बच्चों की कई मांग रहती होंगी लेकिन एक जवान का परिवार सिर्फ उसके एक बार घर आ जाने की मांग करते हैं।

ध्यान दीजिए उन बच्चों पर जो थोड़ा बड़े हो गए हैं और गांव के पास स्कूल में पढ़ने भी जाने लगे हैं वो रोते बिलखते अपने शहीद पिता के उन सपनों को बताते हैं, जो उस जवान ने अगली छुट्टी में आकर पूरा करने का वादा किया था। जहां बड़े स्कूल में हफ्ते के सभी दिनों के अलग ड्रेस कोड हैं उस दौरान उस शहीद के बच्चों के कपड़ों को देखिए। वो किसी शॉपिंग माल, बड़ी मॉडर्न फैशन की दुकान के खरीदे नही हैं। बल्कि ये कपड़े शहीद जवान के पिता ने नाती पोतों के लिए उस दुकान से खरीदे हैं जहाँ से इन्हें इस बात पर उधार लिया गया है कि 'बेटा छुट्टी पर आएगा तो पैसे चुका देंगे'।

शहीद जवान की विधवा हो चुकी उस पत्नी को देखिए जिसको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसे बड़े न्यूज चैनल पर दिखाया जा रहा है। उसका सिंदूर, सुहाग सब कुछ चला गया। पति देश की खातिर कुर्बान हो गया। अब उन मासूम बच्चों को पालने के लिए पत्नी को कितनी कुर्बानी देनी पड़ेगी उसका अंदाजा इस टीवी चैनल को नही है। शहीद के शव के अंतिम संस्कार के बाद चैनल दोबारा उस गांव भूलकर झांकने भी नहीं जाएगा। सरकार के दिए मुआवजे को पाने के लिए शहीद के पिता उसकी पत्नी को कितने चक्कर काटने पड़ेंगे वो उन्हीं को भुगतना है। उसके बाद भी मुआवजा मिल जाए इसकी कोई गारंटी नहीं, मिले भी तो पूरा मिले इस बात की भी गांरटी लेने वाला कोई विभाग नही है।

अब सरकार से पैसे दिलाने के नाम पर उस शहीद की पत्नी से लोग उसका थोड़ा बहुत बचा धन भी ठग लेंगे। वो दलाल जो शहीद के जिंदा रहने तक किसी तरह के डर से आंखे चुराए हुआ था। लेकिन अब जल्दी ही वह शहीद के परिवार की जमीन भी हड़प लेगा और उसी थाने कोतवाली में जाकर कुछ ले-देकर मामला सेट कर लेगा। पति को खोने के बाद अभी तक आसूं पूरी तरह सूखे नहीं थे कि अब समाज के लोगों ने उसे रोने के कई और बहाने दे दिए। अब ऐसे ही दर-दर की ठोकरें खाते हुए घुट घुटकर बच्चों के सहारे उसकी पूरी जिंदगी बीतने वाली है। कितना कठिन है एक जवान की पत्नी, पिता, मां और बच्चा होना। 

नागरिक होते हुए तब और दुख होता है जब सैनिकों की शहादत पर राजनीति की जाती है। सैनिकों को शहीद हुए 24 घंटे भी नहीं बीते थे राजनीति से प्रेरित पोस्टर बैनर सोशल मीडिया में तैरने लगे थे। अधिकांश मीडिया भी इस मामले जिम्मेदार हुक्मरानों से सवाल पूछने की जगह उनकी जिम्मेदारी तय करने की जगह नागरिकों के दुख, गुस्से और उनकी भावनाओं को हवा दे रहे हैं। 

शहीदों की खबर आने के बाद भी मनोज तिवारी रात 9 बजे एक कार्यक्रम में डांस कर रहे थे। अमित शाह कर्नाटक में सभा कर रहे थे। इनके ट्विट हैं। क्या इनसे नहीं पूछना चाहिए कि इतना बड़ा हमला कैसे हो गया? इनसे संवेदनशील तो वो नागरिक हैं जिन्होंने अपने कई कार्यक्रम रद्द कर दिए। 

जवानों की मौत पर अगल अलग राज्य की सरकारें अलग अलग मुआवजा देती हैं। कहीं यह राशि 5 लाख तो कहीं 10 लाख है। सैनिकों के मुआवजे में ही भेदभाव क्यों है, उद्योगपतियों के देश से भागने और उनका अरबों रुपए माफ करने में तो कोई भेदभाव नहीं है। जबकि इन शहीदों को पेंशन तक नहीं है। शहादत के बाद पत्नी और उसका परिवार कैसे चलेगा? इस पर बात कोई बात नहीं होगी।

ये लेखक के निजी विचार हैं। लोकमत न्यूज का इस लेख से कोई संबंध नहीं है।

Web Title: martyr of CRPF soldiers, families will face many problems, neither media nor any government support

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे