Maharashtra New CM News: उम्मीदों को नया नाम मिला है देवाभाऊ?

By विजय दर्डा | Updated: December 2, 2024 05:21 IST2024-12-02T05:21:52+5:302024-12-02T05:21:52+5:30

Maharashtra New CM News: सहज, सरल और सादगी से परिपूर्ण एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्रित्व में लाड़ली बहना योजना का जो ब्रह्मास्त्र महायुति ने फेंका उसने जीत तो दिलाई ही, देवेंद्र फड़नवीस को एक नया नाम दे दिया...देवाभाऊ !

Maharashtra New CM News bjp nagpur Devendra Fadnavis Hopes got new name Devabhau New tenure Chief Minister fulfill incomplete work dreams blog Dr Vijay Darda | Maharashtra New CM News: उम्मीदों को नया नाम मिला है देवाभाऊ?

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Highlightsकुछ महिलाओं को मैंने कहते सुना कि देवता जैसा बड़ा भाई! देवाभाऊ शब्द की दोनों ही व्याख्याएं आदर और सम्मान को दर्शाती हैं.मैं देवेंद्र फडणवीस को उनकी शुरुआती जीवन यात्रा से जानता हूं.

Maharashtra New CM News: महाराष्ट्र में सरकार महायुति की बनेगी, यह उम्मीद तो लोगों को जरूर थी लेकिन राजनीति के प्रकांड पंडितों को भी यह अंदाजा नहीं था कि महायुति इतनी प्रचंड जीत के साथ सत्ता में लौटेगी. और यह अंदाजा तो बिल्कुल ही नहीं था कि 132 सीटों के साथ भाजपा ऐसा प्रदर्शन करेगी. निश्चय ही भाजपा की इस विजय गाथा के मुख्य रचयिता देवेंद्र फड़नवीस रहे हैं. सहज, सरल और सादगी से परिपूर्ण एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्रित्व में लाड़ली बहना योजना का जो ब्रह्मास्त्र महायुति ने फेंका उसने जीत तो दिलाई ही, देवेंद्र फड़नवीस को एक नया नाम दे दिया...देवाभाऊ !

देवाभाऊ की  व्याख्या सामान्य तौर पर हम देवेंद्र भाई के रूप में करेंगे लेकिन मैं भौंचक्क था जब कुछ महिलाओं को मैंने कहते सुना कि देवता जैसा बड़ा भाई! किसी मनुष्य को यदि इस कदर आदर और सम्मान के साथ देखा जाने लगे तो उसके पीछे निश्चय ही गहरे अर्थ छिपे होंगे. देवाभाऊ शब्द की दोनों ही व्याख्याएं आदर और सम्मान को दर्शाती हैं.

यह आदर और सम्मान किसी को यूं ही नहीं मिल जाता. इसे अर्जित करना होता है. मैं देवेंद्र फडणवीस को उनकी शुरुआती जीवन यात्रा से जानता हूं. पार्षद, महापौर से लेकर मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचते देखा है. उपमुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है कि  काम करना है तो कैसे करना है! वे फिर से मुख्यमंत्री बन रहे हैं. उनसे महाराष्ट्र को बड़ी उम्मीदें हैं.

मैं एक पत्रकार भी हूं और लंबे अरसे तक संसदीय राजनीति का हिस्सा रहा हूं इसलिए मैं यह भरोसे के साथ कह सकता हूं कि राजनीति में देवेंद्र फड़नवीस की तरह सहज, सच्चे और आम आदमी के लिए समर्पित राजनेता कम हैं. उन्हें पता है कि आम आदमी की जरूरतें क्या हैं और किस तरह उन जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.

अब उन्हें जब जनता ने देवाभाऊ कहा है और राजनीतिक रूप से पूजा है, अगरबत्ती दिखाई है और सफलता का प्रसाद चढ़ाया है तो देवाभाऊ निश्चय ही बहुत खुश भी हुए हैं. जब देव या देवेंद्र को जनता ने खुश कर दिया है तो उन्हें भी जनता के प्रति मेहरबान हो जाना होगा. जनता के लिए वे देव भी हैं और भाऊ भी हैं तो उनके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है.

विदर्भ और अन्य पिछड़े इलाके का समान विकास करना उनके लिए असंभव काम नहीं है. देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक उदय विदर्भ से हुआ है इसलिए मैं विदर्भ का उदाहरण आपके सामने रखता हूं.  2014 के बाद विकास के बैकलॉग कम तो हुए हैं लेकिन बैकलॉग पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं. बिजली, पानी, उद्योग, घर, स्कूल और सड़क जैसी बुनियादी चीजों का बैकलॉग है लेकिन देवाभाऊ ने कोशिश जरूर की है. जल शिवार योजना के माध्यम से महायुति सरकार ने हजारों-हजार सूखे तालाबों को फिर से पुनर्जीवित किया है. यदि कहीं कोई कमी रही है तो निश्चय ही वह प्रशासकीय कमी रही.

मैंने अपने कॉलम में पहले भी इस बात का जिक्र किया था कि समृद्धि महामार्ग जैसी योजना को क्रियान्वित करके देवेंद्र फडणवीस अपनी बड़ी सोच और व्यापक दृष्टि पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं. उनसे लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसी और भी योजनाएं महाराष्ट्र का गौरव बढ़ाएंगी. इस बात को कोई भी समझ सकता है कि हर गांव में समृद्धि जैसी सड़क बनाना किसी के बूते में नहीं है लेकिन गांव-गांव में ऐसी सड़क तो बनाई ही जा सकती है जहां से किसान एकदम कम समय में मंडी तक अपना सामान पहुंचा सकें.

स्थानीय मंडी से बड़ी मंडी तक और बड़े शहरों तक किसान का सामान पहुंचेगा तो उसे उचित मूल्य मिलेगा. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक विजन 2020 में इसी स्थिति की कल्पना सामने रखी थी. आज हम 2024 के अंतिम महीने में हैं. देवाभाऊ से उम्मीद रहेगी कि कम से कम महाराष्ट्र में वे कलाम साहब की कल्पना को सच में तब्दील कर दें.

मुझे दुख होता है जब मैं देखता हूं कि किसान ने यदि बंपर फसल पैदा की है तो उसे उचित मूल्य नहीं मिल पाता है और पैदावार फेंकनी पड़ती है. हे देवा...यह स्थिति तो बदलो! पैदावार के बाय प्रोडक्ट बनाने के संसाधन जुटा दो तो किसान खुश हो जाएगा. देव और संकल्पित भाऊ के लिए क्या असंभव है?

प्रदेश में विकास की नई इबारत लिखते हुए खासकर इस बात पर ध्यान देना जरूरी होगा कि विकास क्षेत्रवार समग्रता के साथ होना चाहिए. किसी एक खास इलाके का विकास अतिरेक पैदा करता है. जैसे खाना यदि ज्यादा खा लिया जाए तो उल्टी होने की आशंका बनी रहती है, वही स्थिति विकास को लेकर भी है.

जब आप किसी खास इलाके में विकास योजनाओं की भरमार कर देते हैं तो पर्यावरण के खतरे में होने जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं. जब आप विकास को हर इलाके में बांट कर योजनाएं बनाते हैं तो संतुलन बना रहता है. हे देवा...इस बात पर ध्यान जरूर देना! विकास की धारा गांव तक पहुंचाना क्योंकि शहरों का समाधान गांवों में छिपा है.

गांव में यदि छोटे कुटीर उद्योग भी होंगे तो कोई युवा शहर की ओर क्यों पलायन करेगा? चीन का उदाहरण हमारे सामने है जिसने अपने गांवों को मैन्युफैक्चरिंग हब बना दिया है. हमारे पास भी ऐसी अपार क्षमता है देवा! जरूरत  व्यापक दृष्टि के साथ संकल्प और दृढ़ता की है. और हां, प्रदेश की लाड़ली बहनाओं को आर्थिक समृद्धि देने के साथ ही उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करना देवाभाऊ !

और हां, एकनाथ शिंदे के प्रति कृतज्ञता के बगैर बात अधूरी रह जाएगी. वे हमेशा आम आदमी के मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाएंगे. विकास के लिए उन्होंने पैसे की गंगा बहा दी. यह अलग बात है कि कुछ अधिकारी उनकी शैली से खुश नहीं रहे होंगे लेकिन शिंदे ने समाज के अंतिम कतार पर खड़े व्यक्ति के बारे में सोचा. खासकर गरीब तबके की चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने अद्वितीय काम किया. सरकार ऐसी ही होनी चाहिए जो आम आदमी की सरकार कहलाए..!

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