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Maharashtra Devendra Fadnavis-Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे सरकार के दौर की योजनाओं पर टेढ़ी नजर?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: March 3, 2025 05:54 IST

Maharashtra Devendra Fadnavis-Eknath Shinde: ठेके में पुणे की एक निजी कंपनी को सालाना 638 करोड़ और तीन साल के लिए कुल 3,190 करोड़ रु. दिए जाने थे.

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ठळक मुद्देएकनाथ शिंदे का राज्य परिवहन (एसटी) महामंडल के लिए 1310 बसों के अनुबंध का निर्णय रद्द किया गया था. निविदा प्रक्रिया में बदलाव का आरोप लगा था और जिसमें महामंडल को कम से कम 2000 करोड़ रु. के नुकसान की आशंका थी.फडणवीस ने मंत्रियों के ‘ओएसडी’ और निजी सचिव के मामले में भेजे गए 125 नामों में से 109 नामों को मंजूरी दी, लेकिन 16 नामों को रोक भी दिया

Maharashtra Devendra Fadnavis-Eknath Shinde: महाराष्ट्र विधानसभा में ठोस बहुमत मिलने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सत्ता के गलियारे में खुलकर खेल रहे हैं. वह आगे-पीछे न देख सीधे प्रहार करने पर भरोसा कर रहे हैं. ताजा मामले में उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के उस ठेके को रद्द कर दिया, जिसमें सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सफाई का काम बाहरी लोगों को दिया गया था. इसके ठेके में पुणे की एक निजी कंपनी को सालाना 638 करोड़ और तीन साल के लिए कुल 3,190 करोड़ रु. दिए जाने थे.

इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राज्य परिवहन (एसटी) महामंडल के लिए 1310 बसों के अनुबंध का निर्णय रद्द किया गया था. इस मामले में पूर्ववर्ती शिंदे सरकार पर कुछ खास ठेकेदारों के लिए निविदा प्रक्रिया में बदलाव का आरोप लगा था और जिसमें महामंडल को कम से कम 2000 करोड़ रु. के नुकसान की आशंका थी.

इसी प्रकार मराठवाड़ा के जालना में राज्य सरकार ने सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सिडको) के माध्यम से खारपुड़ी में एक आवास परियोजना की योजना बनाई थी, जिसे बाद में अव्यावहारिक मान रद्द कर दिया गया था, लेकिन वर्ष 2022-23 में शिंदे सरकार ने परियोजना को पुनर्जीवित कर उसे व्यवहार्य मान लिया था.

बाद में उसे भी मंजूरी मिल गई थी. इन्हीं के साथ मुख्यमंत्री फडणवीस ने मंत्रियों के ‘ओएसडी’ और निजी सचिव के मामले में भेजे गए 125 नामों में से 109 नामों को मंजूरी दी, लेकिन 16 नामों को रोक भी दिया, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि वह किसी ‘दलाल’ को यह जिम्मेदारी नहीं देंगे. अब चर्चा तो यहां तक है कि आने वाले दिनों में कई और निर्णय रद्द किए जा सकते हैं.

यह भी सच है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिंदे ने जिस दबंगई के साथ राज्य सरकार को चलाया, उसमें कुछ गैरफायदा लेने के प्रयास अवश्य हुए होंगे. इसलिए यदि नई सरकार को स्वच्छ प्रशासन देना है तो पुराने गलत फैसलों पर सख्त रुख अपनाने से झिझकना नहीं होगा. किसी निविदा में नियमों का उल्लंघन या अन्य किसी तरह की अनियमितता सामने आने पर होने वाली कार्रवाई का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.

भले ही जिन नेताओं के माध्यम से फैसले लिए गए होंगे, उन्हें कुछ समय के लिए नई सरकार की कार्रवाई अच्छी न लगे, परंतु राज्य के हित में किसी निर्णय से किसी का भी दुराभाव नहीं होना चाहिए. यह भी तय है कि ‘लाड़ली बहन’ जैसी अनेक योजनाओं के निर्णय जल्दबाजी में लिए गए, जिसका गैरफायदा भी लोगों ने उठाया.

अब यदि उसमें सुधार किया जा रहा है तो उसका स्वागत ही होना चाहिए. वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए राज्य का सरकारी खजाना मजबूत होना चाहिए. नई सरकार ने तत्काल इस दिशा में कदम उठाया है, जिसके पीछे कारण स्पष्ट हैं. इसलिए इसे छिपी राजनीति के रूप में देखना राज्य हित में नहीं है. गलतियों और गड़बड़ियों पर टेढ़ी नजर निरंकुश व्यवहार को कहीं थामने के लिए आवश्यक भी होती है. 

टॅग्स :महाराष्ट्रदेवेंद्र फड़नवीसएकनाथ शिंदेअजित पवार
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