राजिंदर सिंह महाराज का ब्लाॉगः ...जो हमारी आत्मा के चांद हैं

By राजिंदर सिंह महाराज | Published: October 17, 2019 08:46 AM2019-10-17T08:46:24+5:302019-10-17T08:46:24+5:30

पहले लड़कियों की शादी बाल्यकाल में ही हो जाती थी और उन्हें अपने ससुराल किसी दूसरे गांव में जाना पड़ता था, जहां पर मुश्किल समय में उनकी सहायता के लिए तथा उनका मन बहलाने के लिए कोई भी नहीं होता था.

karwa chauth 2019: Who are the moons of our soul, Puja Vidhi, Muhurat | राजिंदर सिंह महाराज का ब्लाॉगः ...जो हमारी आत्मा के चांद हैं

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Highlightsभारतीय विवाहिता नारियों के लिए करवा-चौथ अति मंगलमय एवं पावन पर्व है. यह उत्तर तथा उत्तर-पश्चिमी भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यह व्रत कार्तिक कृष्ण-पक्ष की चतुर्थी को विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य एवं खुशहाली की मंगल-कामना के लिए रखती हैं.

भारतीय विवाहिता नारियों के लिए करवा-चौथ अति मंगलमय एवं पावन पर्व है. यह उत्तर तथा उत्तर-पश्चिमी भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यह व्रत कार्तिक कृष्ण-पक्ष की चतुर्थी को विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य एवं खुशहाली की मंगल-कामना के लिए रखती हैं.

पहले लड़कियों की शादी बाल्यकाल में ही हो जाती थी और उन्हें अपने ससुराल किसी दूसरे गांव में जाना पड़ता था, जहां पर मुश्किल समय में उनकी सहायता के लिए तथा उनका मन बहलाने के लिए कोई भी नहीं होता था. तब यह प्रथा आरंभ हुई कि विवाह के बाद जब नवविवाहिता अपनी ससुराल जाए, तब वह एक सहेली को अपने साथ ले जाए जो उसके मुश्किल समय में, चाहे पति से संबंधित हो या ससुराल से, उसकी सहायता कर सके. इस प्रकार करवा-चौथ इस मित्रता के उत्सव के रूप में मनाया जाना आरंभ हुआ. बाद में यह व्रत पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूजा करने के साथ जुड़ गया.

क्या कभी हमने विचार किया कि इस व्रत का अभिप्राय क्या है? इस व्रत का भी अन्य व्रतों की भांति एक आध्यात्मिक महत्व है. हमारे सारे त्यौहार, उत्सव, और व्रत आत्मोन्नति के लिए ही बनाए गए थे, और ये व्रत अंतत: मोक्ष व प्रभु-प्राप्ति के लिए ही रखे जाते थे. परंतु धीरे-धीरे हम इनका वास्तविक अर्थ भूल गए तथा सांसारिक रस्मो-रिवाज में ही उलझकर रह गए. 

वास्तव में करवा-चौथ के व्रत की यह कहानी, जिसमें सुबह तारों की छांव में व्रत रखते हैं और शाम को चांद देखकर व्रत खोलते हैं, प्रतीक है एक ऐसे फासले का जो हमें आध्यात्मिकता की एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक ले जाता है; यह व्रत आत्मा-परमात्मा के मिलन की एक मंजिल का वर्णन है, तारों से चांद तक की यात्रा का वर्णन है. 

इसमें स्त्रियों को सारा दिन प्रभु की याद में व्यतीत करना चाहिए. यह व्रत तभी सार्थक है जब हम सुबह अपने अंतर में तारे देखें, सारा दिन प्रभु की याद में व्यतीत करें, भजन करें और शाम को अपने अंतर में चांद देखें. इसी क्रम में सूर्य तथा फिर अपने सद्गुरु के नूरानी स्वरूप को देखें, जो कि हमारे दिलों के चांद हैं, जो कि हमारी आत्मा के चांद हैं. यही करवा-चौथ को मनाने का सबसे अच्छा तरीका है. 

Web Title: karwa chauth 2019: Who are the moons of our soul, Puja Vidhi, Muhurat

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